अयोध्या मामला में मुस्लिम पक्ष के वकील ने पांच दिन सुनवाई होने पर जताई आपत्ति

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नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में लगातार चौथे दिन सुनवाई शुरू कर दी है। मुस्लिम पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अदालत से कहा कि यह अफवाह है कि अदालत मामले की सुनवाई के लिए पूरे पांच दिन बैठेगी।

उन्होंने पांच दिन सुनवाई किए जाने को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘यदि सुनवाई हफ्ते में पांच दिन होती है तो यह अमानवीय है और न्यायालय की सहायता करना संभव नहीं होगा। हम अदालत की इस गति के साथ नहीं चल सकेंगे। मुझे इस केस को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’ इसपर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा, ‘हमने आपकी परेशानी सुन ली है। हम आपको जल्द ही सूचित कर देंगे।’

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रोजाना सुनवाई का फैसला लिया था। इसके मुताबिक हफ्ते के मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुनवाई के लिए तय किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार और शुक्रवार को नए मामलों की सुनवाई होती है। लेकिन गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तय किया कि इस केस की सुनवाई हफ्ते के पांचों दिन होगी।

ऐसा पहली बार हो रहा है, जब संवैधानिक बेंच किसी केस की सप्ताह में 5 दिन सुनवाई करेगी। परंपरा के मुताबिक संवैधानिक बेंच सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, बुधवार एवं गुरुवार को सुनवाई करती है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की हर वर्किंग डे पर सुनवाई की बात कही है।

कोर्ट का मानना है कि इससे दोनों पक्षों के वकीलों को अपनी दलीलें पेश करने का वक्त मिलेगा और जल्द ही इस पर फैसला आ सकेगा। गुरुवार को केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने वकीलों को हैरान कर दिया, जब उन्होंने कहा कि वे इस केस की रोजाना सुनवाई करेंगे। संवैधानिक बेंच इस मामले को प्राथमिकता में रख रही है। जजों ने फैसला लिया है कि उन्हें केस पर फोकस बनाए रखना चाहिए, जिसका रिकॉर्ड 20,000 पेजों में दर्ज है।

फोकस बनाए रखने के लिए 5 दिन सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के एक सूत्र ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘सोमवार से शुक्रवार तक संवैधानिक बेंच के जजों को अलग-अलग मामले में बिठाने से उनका फोकस नहीं रहेगा, जो अयोध्या जैसे मामले में अहम है। जजों को मामले के दस्तावेजों को पढ़ना होगा, जिसमें वक्त लगेगा। ऐसे में हर सोमवार और शुक्रवार को 60 से 70 याचिकाओं की सुनवाई करने से जजों का फोकस डाइवर्ट होगा। अयोध्या केस से जुड़े दस्तावेजों को पढ़ने और उन पर फैसले लिखने के लिए वक्त चाहिए।’