चीन-पाक की जिद पर कश्मीर पर UN की ‘बंद बैठक

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नई दिल्ली

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में आज शाम कश्मीर मुद्दे पर ‘बंद कमरे में’ चर्चा होगी। पाकिस्तान की गुहार पर चीन ने इसकी पहल की है जो सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में एक है। वह चर्चा के दौरान सदस्य देशों की औपचारिक बैठक बुलाए जाने पर जोर देगा, जिसे रूस के तगड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बता रहा है लेकिन असलियत यह है कि यह UNSC की पूर्ण बैठक नहीं है। चर्चा पूरी तरह अनौपचारिक है, जिसका कोई रिकॉर्ड तक मैंटेन नहीं किया जाएगा।

क्यों हो रही है मीटिंग?
पाकिस्तान ने कश्मीर पर यूएनएससी की आपातकालीन बैठक की मांग की। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूएन में पाकिस्तान की स्थाई प्रतनिधि मलीहा लोधी के जरिए यूएनएससी के प्रेजिडेंट जोना रॉनेका को चिट्ठी लिखकर इसकी मांग की। वह पिछले शुक्रवार को चीन की राजधानी पेइचिंग पहुंचे थे और चीन से अपील की थी कि वह कश्मीर मुद्दे को यूएन सिक्यॉरिटी काउंसिल में उठाने में पाकिस्तान का साथ दे। चीन ने पाकिस्तान की इसी गुहार पर सिक्यॉरिटी काउंसिल की मीटिंग की मांग की।

2. कब होगी मीटिंग?
सुरक्षा परिषद के मौजूदा अध्यक्ष पोलैंड ने शुक्रवार को इस मामले पर चर्चा के लिए न्यू यॉर्क की समय के मुताबिक सुबह 10 बजे (भारतीय समयानुसार शाम 7.30 बजे) का वक्त तय किया है। इस बातचीत में सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी और 10 अस्थायी, यानी सभी 15 सदस्य देशों के प्रतिनिधि ही हिस्सा लेंगे।

3. क्या कह रहा है पाकिस्तान?
कुरैशी आज होने वाली मीटिंग को पाकिस्तान की ऐतिहासिक राजनयिक उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि कश्मीर मुद्दे पर 40 साल बाद यूएनएससी चर्चा करने पर राजी हुआ है।

4. भारत ने क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी चीन गए और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाकात में स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतिरक मामला है। उन्होंने दोटूक कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अस्थायी सांवैधानिक प्रावधानों को खत्म करने से वहां बेहतर प्रशासन और विकास को गति दी जा सकेगी।

5. क्या पाकिस्तान भी होगा मीटिंग में?
पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान अपने प्रतिनिधि की मौजूदगी और अपने विचार रखने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उसे यह इजाजत नहीं दी गई है। दरअसल, सिक्यॉरिटी काउंसिल की इस तरह की औपचारिक बैठक तभी बुलाई जा सकती है जब उसके कुल 15 में से कम-से-कम 9 सदस्य देश इस प्रस्ताव से राजी हों।

6. किस तरह की मीटिंग?
अभी सिक्यॉरिटी काउंसिल की अध्यक्षता पोलैंड के पास है। चीन ने पोलैंड से पाकिस्तानी प्रतिनिधि की मौजूदगी में काउंसिल की औपचारिक मीटिंग की मांग की थी, लेकिन वह सदस्य देशों की सहमति नहीं जुटा पाया। इसलिए, चीन की पहल पर अब बंद कमरे में एक अनौपचारिक मीटिंग होगी।

7. आखिरी बार कब हुई थी ऐसी मीटिंग?
कश्मीर पर सुरक्षा परिषद ने इस तरह की अनौपचारिक मीटिंग आखिरी बार 1971 में बुलाई थी। वहीं, सुरक्षा परिषद की कश्मीर मुद्दे पर आखिरी औपचारिक या पूर्ण बैठक 1965 में हुई थी। आज होने वाली मीटिंग औपचारिक या पूर्ण बैठक नहीं कहलाएगी, बल्कि यह बंद कमरे की मीटिंग होगी जिसका चलन आज कल बढ़ता जा रहा है।

8. भारत को किसका साथ?
आज की मीटिंग के दौरान रूस भारत का साथ देगा। वह स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि यह मुद्दा द्विपक्षीय है। एक आधिकारिक बयान में रूस ने बताया, ’14 अगस्त को पाकिस्तान की पहल पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच टेलिफोन पर बातचीत हुई।’ मॉस्को में जारी इस बयान में रूस ने कहा, ‘नई दिल्ली द्वारा जम्मू-कश्मीर का कानूनी दर्जा बदलने के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच दरकते रिश्तों के बीच दक्षिण एशिया के हालात पर चर्चा हुई। रूस की तरफ से तनाव कम करने पर जोर देते हुए कहा गया कि पाकिस्तान और भारत के बीच मतभेद सुलझाने का कोई विकल्प नहीं है, सिवाय द्विपक्षीय बातचीत के। यूएन में रूस के प्रतिनिधियों की यह अटल सोच है।’

9. और कौन कर सकते हैं भारत की मदद?
भारत यूएनएससी के स्थाई सदस्यों के जरिए कश्मीर के मुद्दे को सुरक्षा परिषद में उठाने के चीन के प्रयासों पर पानी फेरने की व्यवस्था में जुटा है। इनमें फ्रांस भी शामिल है। भारत के इस प्रयास को यूरोपियन यूनियन के उन सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है जो अभी सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य भी हैं।

10. मीटिंग के मायने क्या?
सुरक्षा परिषद के एक सदस्य देश के राजनियक ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इस मीटिंग की कोई भी बात बाहर नहीं आएगी। उन्होंने कहा, ‘बातचीत का ब्यौरा या दूसरी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की जाएंगी क्योंकि इसका मकसद सिर्फ सामने रखे मुद्दे पर सदस्यों को अनौपचारिक तौर पर बात करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसमें सिर्फ विचारों का आदान-प्रदान होना है। इस बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाएगा या इसमें किसी औपचारिक फैसले पर नहीं पहुंचा जाएगा।’