नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि 1 अक्टूबर से टैक्स अधिकारी समन, नोटिस, आदेश आदि सेंट्रलाइज्ड कम्प्यूटर सिस्टम के जरिए ही भेजेंगे। सरकार ने यह फैसला उन शिकायतों के बाद लिया, जिनमें कहा गया था कि कुछ अधिकारियों ने नोटिस, समन के जरिए उत्पीड़न किया।
सीतारमण ने कहा- एक अक्टूबर यानी विजयादशमी से फेसलेस स्क्रूटनी होगी। यानी अब ऐसा नहीं होगा कि कोई अफसर किसी व्यक्ति के पास जाएगा और वहां बैठकर नोटिस या समन आदि के बारे में बात करेगा। कई बार ये सारी चीजें उत्पीड़न में बदल जाती हैं।
यूडीआईएन बिना कोई भी कम्युनिकेशन वैध नहीं होगा
वित्त मंत्री ने कहा- सेंट्रलाइज्ड कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा भेजे गए नोटिस, समन आदेश का एक कम्प्यूटर जेनरेटेड यूनीक डॉक्युमेंट आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूडीआईएन) होगा। इस यूडीआईएन के बिना किया गया कोई भी कम्युनिकेशन वैध नहीं माना जाएगा। सभी पुराने नोटिस पर फैसला 1 अक्टूबर से पहले ही लिया जाएगा। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो इन्हें नई व्यवस्था के तहत दोबारा अपलोड किया जाएगा। अब जवाब दिए जाने के तीन महीने के भीतर ही सभी नोटिसों का निपटान कर दिया जाएगा।
सीएसआर के प्रावधानों की समीक्षा करेगा मंत्रालय
वित्त मंत्री ने कहा- इंडस्ट्री की समस्याओं का ध्यान रखते हुए सरकार ने फैसले पर कहा कि कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के नियमों के उल्लंघन को क्रिमिनल ऑफेंस की तरह नहीं देखा जाएगा। इसे केवल सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर ही देखा जाएगा। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री कंपनी एक्ट के तहत सीएसआर के प्रावधानों की समीक्षा करेगी।
सीतारमण ने कहा कि संशोधित आदेश जारी कर सरकार सीएसआर के तहत कंपनियों द्वारा चलाए गए प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए और ज्यादा समय देगी। इंडस्ट्री ने संशोधित कंपनी एक्ट 2013 के तहत सीएसआर के दंडात्मक प्रावधानों पर चिंता जाहिर की थी। एक्ट के तहत एक तय पोर्टफोलियो वाली कंपनियों को अपने 3 साल के सालाना मुनाफे का कम से कम 2% सीएसआर की गतिविधियों में खर्च करना होता है।