मोदी-शाह की साजिश परेशान कांग्रेस, ममता सहित कई पार्टियों को लिखा पत्र

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नई दिल्ली। 2019 के ‘महासमर’ की घड़ी जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है देश का सियासी तापमान वैसे-वैसे चढ़ रहा है। एक तरफ कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की कोशिश कर रही है, तो दूसरी तरफ से अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को सान देते हुए टीआरएस चीफ केसीआर फेडरल फ्रंट की कवायद में जुटे हैं। कांग्रेस से ममता की नाराजगी की खबरों के बीच केसीआर इस बीच ऐक्टिव दिखे तो ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने उनके इस अभियान को मोदी-शाह की साजिश करार दे दिया है। कांग्रेस ने ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, नवीन पटनायक और अन्य विपक्षी नेताओं को चिट्ठी लिख कहा है कि केसीआर के फेडरल फ्रंट की कवायद मोदी-शाह के इशारे पर हो रही है।
Modi-Shah conspiracy letter to many parties including troubled Congress, Mamta
तेलंगाना राष्ट्र समिति के चीफ और तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने पिछले दिनों एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी। इससे पहले केसीआर ने अपनी पार्टी के 17वें स्थापना दिवस पर कांग्रेस और बीजेपी को आगाह करते हुए कहा कि देश आने वाले महीनों में नया शासन देखेगा और वे इसके लिए क्षेत्रीय दलों को एकजुट करेंगे। अब कांग्रेस ने केसीआर की इस कवायद की हवा निकालने की कोशिश की है। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रटरी श्रवण ने ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, नवीन पटनायक समेत कई नेताओं को खत लिखा है।

तेलंगाना कांग्रेस ने लिखा है कि केसीआर का फेडरल फ्रंट ढोंग है और पीएम मोदी व अमित शाह के इशारे पर रची गई राजनीतिक साजिश है। दरअसल इस बीच केसीआर ने हाल के दिनों में फेडरल फ्रंट बनाने की अपनी कवायदों को तेज कर दिया है। इसी क्रम में केसीआर ने 10 मई को हैदराबाद में कई क्षेत्रीय दलों के प्रमुखों को निमंत्रण भी भेजा है। इनमें टीएमसी की ममता बनर्जी, डीएमके के स्टालिन, बीजेडी के नवीन पटनायक, एसपी के अखिलेश यादव और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन शामिल हैं।

खत के पीछे कांग्रेस की अपनी मजबूरी?
दरअसल तेलंगाना कांग्रेस का यह खत के पार्टी की एक सियासी मजबूरी की तरफ भी इशारा कर रहा है। केसीआर का कथित फेडरल फ्रंट 2019 में बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा पाएगा, यह तो तय नहीं है लेकिन एक बात साफ है कि यह कांग्रेस की विपक्षी एकजुटता की कोशिशों के लिए बड़ा झटका है।  केसीआर के फेडरल फ्रंट की कवायद को क्षेत्रीय दलों की तरफ से मिल रहे समर्थन के संकेत ने भी कांग्रेस को अलर्ट कर दिया है।

पिछले दिनों एम्स में लालू और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात के राजनीतिक मायने भी कथित फेडरल फ्रंट को ध्यान में रखकर ही निकाले गए। क्षेत्रीय दलों का गैरबीजेपी-गैरकांग्रेस मोर्चा बनाने की कवायद में ममता बनर्जी की भी मुख्य भूमिका है। कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ तीसरा मोर्चा खड़ा करने के उद्देश्य से 27 मार्च को ममता ने दिल्ली में क्षेत्रीय दलों के कई नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं।

उधर पश्चिम बंगाल की स्थानीय सियासत ममता बनर्जी और कांग्रेस को लगातार एक-दूसरे से दूर ले जा रही है। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी राहुल गांधी से मिले। दोनों के बीच प्रदेश के हालातों पर चर्चा हुई। बताया जाता है कि चौधरी ने राहुल से हालिया पंचायत चुनावों में कांग्रेस नेताओं पर हमले और मारपीट के मामलों सामने रखा और आरोप लगाया कि किस तरह से टीएमसी, कांग्रेस नेताओं के साथ दुव्यवहार कर रही है।

कांग्रेस के आरोपों में कितना दम है ये तो आने वाला समय बताएगा लेकिन अब इस खत पर केसआर व अन्य क्षेत्रीय नेताओं की प्रतिक्रिया देखने लायक होगी। इसी प्रतिक्रिया के आधार पर तय होगा कि फेडरल फ्रंट के रूप में गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस मोर्चा मजबूत होगा या कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों की गोलबंदी होगी।