चीन ने कहा: शी चिनफिंग और मोदी के बीच हुर्इं सहमतियों को किया जाएगा लागू

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नई दिल्ली। पीएम मोदी की चीन यात्रा के ठोस परिणाम भविष्य में दिख सकते हैं। चीन ने कहा है कि वुहान में मोदी और शी चिनफिंग की बैठक केवल ‘टॉक शॉप’ नहीं थी बल्कि नेताओं ने वास्तविक फैसले लिए। भारत में चीन के राजदूत लुओ झाउहुई ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच तय हुई सहमतियों को लागू भी किया जाएगा।
शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान चीनी राजदूत ने मोदी और शी चिनफिंग के बीच मुलाकातों के सिलसिलों और इसके परिणामों पर चर्चा की।
China said: The agreements between Shi Xinfing and Modi will be applicable.
राजदूत लुओ ने कहा कि दोनों सरकारों के आगे बढ़ने का तरीका ‘क्रियान्वयन, हस्तांतरण और कार्रवाई’ का था। उनके मुताबिक दोनों नेताओं के बीच निजी संबंध के लिए यह जरूरी था और इसकी मदद से बैठकों के दौरान लिए गए फैसलों को लागू कराने में मदद मिली।  मोदी और शी के बीच 7 सेशनों में 9 घंटों की मुलाकात हुई। इसमें से 4 घंटे की मुलाकात वन-आॅन-वन रही।

चीनी राजदूत ने कहा कि हम चाहते थे कि मोदीजी को ऐसा महसूस हो कि वह घर आए थे। मुलाकातों के दौरान टेबलों पर लगे कवर गुजरात से मंगाए गए थे और चीनी शेफों को गुजराती पकवान बनाने पर तैनात किया गया था। लुओ ने दोनों नेताओं के बीच बने पर्सनल रिश्तों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि 2014 में जब शी चिनफिंग  मोदी के जन्मदिन पर भारत आए थे तो उन्होंने पीएम को शाकाहारी केक गिफ्ट किया था।

राजदूत ने बताया कि जियामेन मुलाकात के दौरान ही इस अनौपचारिक सम्मेलन को लेकर सहमति बनी थी। दोनों पक्षों न इसे सफल बनाने के लिए काफी कड़ी मेहनत की। राजदूत के मुताबिक भारत और चीन के बीच कई द्विपक्षीय सम्मेलन हुए लेकिन इस बार मामला तीन रूपों में अलहदा था। एक तो यह मुलाकात पेइचिंग से बाहर हुई, दूसरी इसका कोई सेट अजेंडा नहीं था और तीसरा दोनों नेताओं ने ग्लोबल और स्ट्रैटिजिक मुद्दों पर गहराई से विचार किया।

चीनी राजदूत लुओ ने कहा कि भारत ने व्यापार घाटा पर बात की और भारतीय चीनी, फार्मास्युटिकल प्रॉडक्ट्स और नॉन-बासमती चावल के लिए चीनी बाजार खोलने की इच्छा जाहिर की। गुरुवार को झाउहुई ने ट्वीट किया कि चीन ने 1 मई से 28 दवाओं पर इंपोर्ट टैरिफ हटा लिया है। यह भारतीय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री और चीन को दवाओं का निर्यात करने वाले के लिए अच्छी खबर है। राजदूत ने ट्वीट में लिखा कि इसकी मदद से भविष्य में चीन और भारत के बीच व्यापारिक असंतुलन कम होगा।