अहसास

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दिन-ब-दिन ज़िंदगी से प्यार हुआ जाता है
ये कौन मेरी दुनिया में शुमार हुआ जाता है
हल्की सी खलिश मीठी सी कसक
हर पल का अहसास हुई
कि दिल भी मर मर जाने को
बेकरार हुआ जाता है
ये कौन मेरी दुनिया में शुमार हुआ जाता है
ख्वाबों में जीती हूं
ख्यालों में मुस्कुराती हूं
कि हर इक अदा पे ये किसका
इख्तियार हुआ जाता है
ये कौन मेरी दुनिया में शुमार हुआ जाता है
ये कौन सा वजूद
मेरी हस्ती पे छा गया
कि आईना देखकर मेरा अक्स
क्यों शर्मसार हुआ जाता है
ये कौन मेरी दुनिया में शुमार हुआ जाता है
हर बार मिलकर फिर से
मिलने की जुस्तजू
कि हर इक लम्हा किसी की दीद का
तलबगार हुआ जाता है
ये कौन मेरी दुनिया में शुमार हुआ जाता है ….
Neelu Virk
Chandigarh