मोदी का बड़ा हमला: कहा कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस नूरा कुश्ती में लगे हुए हैं

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तुमकुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे पीएम मोदी ने शनिवार को कांग्रेस के साथ-साथ जेडीएस पर भी तीखा हमला बोला है। पीएम ने तुमकुरु की रैली में कांग्रेस और जेडीएस के बीच साझेदारी का आरोप लगाया और कहा कि दोनों नूरा-कुश्ती में लगे हुए हैं। इस दौरान मोदी ने पूर्व पीएम देवगौड़ा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 2014 में उन्होंने कहा था कि अगर मोदी जीता तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। दरअसल पीएम ने इस नए चुनावी पैंतरे से उस चुनावी सुगबुगाहट को खत्म करने की कोशिश की है जिसमें बीजेपी-जेडीएस के बीच कथित गुप्त समझौते का दावा किया जा रहा है।
Modi’s big attack: Congress and JDS in Karnataka are engaged in Naura wrestling
पीएम ने इस रैली में कांग्रेस और बिना नाम लिए राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। पीएम ने कहा कि कांग्रेस पहले चुनावों में गरीबों की बात करती थी। अब जबसे गरीब का बेटा पीएम बना तो कांग्रेस किसानों की बात करने लगी। पीएम ने तंज कसते हुए कहा कि जिन नेताओं को हरी-लाल मिर्च का फर्क नहीं पता, जो आलू से सोना निकालने की बात करते हैं, वे भी आज किसानों की बात कर रहे हैं।

पीएम ने भद्रा प्रॉजेक्ट जैसी अधूरी सिंचाई योजनाओं का जिक्र कर सिद्धारमैया सरकार पर निशाना साधा और कहा कि वह नदियों को जोड़ने का अटल का सपना पूरा करेंगे। पीएम ने कहा कि कर्नाटक में 7 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र ने 836 करोड़ रुपये कर्नाटक के खजाने में भेजे हैं लेकिन यहां की भ्रष्ट सरकार सिर्फ 12 करोड़ रुपये खर्च कर पाई है।

पीएम मोदी ने तुमकुरु की अपनी रैली में बीजेपी की चुनावी रणनीती को बिल्कुल साफ कर दिया। पीएम ने यहां न केवल लिंगायत वोटर्स को लुभाने के लिए सिद्धगंगा मठ व डॉ. शिवकुमार स्वामी का जिक्र किया बल्कि वोकलिंगा वोटर्स को अपनी ओर खींचने के लिए जेडीएस को कांग्रेस का साथी भी बता दिया। दरअसल तुमकुरु जिले में 11 विधानसभा सीटें हैं। इनमें लिंगायत और वोकलिंगा वोटर्स की संख्या तकरीबन बराबर है। पीएम ने अपने संबोधन में कर्नाटक के सामाजिक, सांस्कृतिक विकास में मठों और संतों के योगदान के बहाने सिद्धगंगा मठ की यात्रा और इसके मुखिया संत डॉ. शिवकुमार स्वामी से अपनी मुलाकातों का जिक्र किया।

लिंगायतों को बीजेपी का कोर वोटर्स समझा जाता रहा है लेकिन इस बार कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने का कार्ड खेल इसमें सेंध लगाने की कोशिश की है। पीएम ने अपने संबोधन में मठों और संतों को शामिल कर कोशिश की कि अपने कोर वोटर्स में बिखराव को रोका जाएगा।