Should you have long-term side effects or short-term benefits?
विटामिन बी3, विटामिन सी, लिकोरिस, आदि के मिश्रण वाली सुरक्षित क्रीम से बाजार भरा हुआ है। हालांकि त्वचा पर इनके प्रभाव दिखने में समय लगता है। इसी वजह से लोग अन्य विकल्पों को उनके प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद भी चुनते हैं। कोलकाता के त्वचा रोग विशेष डॉ एके सरकार, जो पर्याप्त मेडिकल सुपरविजन के बगैर शेड्यूल-एच दवाओं और हाइड्रोक्विनोन आधारित क्रीम के उपयोग के खिलाफ हैं, ने कहा, ‘‘हाइड्रोक्विनोन के गंभीर तात्कालिक और दीर्घकालिक दुष्परिणाम हो सकते हैं जैसे जलन, पोस्ट हाइपर-इन्फ्लैमटरी, ओक्रोनोसिस आदि।
वास्तव में, हाइड्रोक्विनोन आधारित क्रीम के उपयोग को बंद करने के बाद भी हाइपरपिगमेंटेशन और अनियमित दाग की काफी संभावनाएं हैं और त्वचा का रंग बिगड़ सकता है। इसी वजह से इन दवाओं को सीधे काउंटर से या फिर दोस्तों और परिवारवालों की सिफारिश पर खरीदना असुरक्षित है।‘‘ यूरोपीय संघ, चीन, दक्षिणपूर्व एशियाई देशों, मध्य पूर्व, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे देशों ने हाइड्रोक्विनोन के दुष्प्रभावों की वजह से इसे खतरनाक करार देते हुए सौंदर्य प्रसाधनों में इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। दूसरी ओर, स्टेरॉयड आधारित सामग्री एक अलग समूह होता है, जिसका अनियमित उपयोग त्वचा पर गंभीर दुष्प्रभाव डाल सकता है।
स्टेरॉयड आधारित क्रीम को पहचानना और भी कठिन है, क्योंकि हाइड्रोक्विनोन के विपरीत, इसमें मौजूद यौगिक पैक पर अलग रासायनिक नामों के साथ प्रदर्शित होते हैं। अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि ऐसी क्रीम्स के लंबे समय तक और बिना जानकारी के उपयोग करने से मुंहासे, डर्मेटाइटिस, त्वचा की शुष्कता, गंभीर खुजली, जलन, त्वचा का पतलापन, जगह-जगह असमान दाग, मेलानोसाइट अवरोध (विटिलिगो जैसी स्थिति) इत्यादि जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसी वजह से उपयोग करने से पहले इनका सख्त चिकित्सा पर्यवेक्षण होना आवश्यक है, फिर चाहे इन्हें कम समय के लिए ही क्यों न इस्तेमाल किया जा रहा हो।