बंगलूरू
चंद्रयान-2 के चांद पर उतरने से ठीक पहले लैंडर विक्रम का संपर्क टूट गया और वैज्ञानिक परेशान हो गए। वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो कंट्रोल सेंटर से वैज्ञानिकों को संबोधित किया। उन्होंने संबोधन के दौरान कहा कि विज्ञान में असफलता नहीं होती बल्कि प्रयास और प्रयोग होते हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मिशन के दौरान देश कई बार आनंदित हुआ है। अभी भी ऑर्बिटर पूरी शान से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। इसी बीच प्रधानमंत्री ने जब इसरो अध्यक्ष के सिवन को गले लगाया तो वह भावुक हो हुए।
- अमृत की संतान के लिए कोई निराशा असफलता नहीं है। विज्ञान परिणामों से कभी संतुष्ट नहीं होता। मैंने आपके सुबह-सुबह दर्शन आपसे प्रेरणा पाने के लिए किए हैं। आपकी आंखों में प्रेरणा का समुंदर है। मैं वैज्ञानिकों को उपदेश नहीं बल्कि उनसे प्रेरणा लेने के लिए आया हूं।
- मैं आप सभी को आनेवाले हर मिशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। विज्ञान की इनहेरेंट क्वॉलिटी है प्रयास, प्रयास और प्रयास। वो परिणाम में से नए प्रयास के अवसर ढूंढ़ता है। मेरा आप पर विश्वास है। मुझसे भी आपके सपने और ऊंचे हैं, मुझसे भी आपका संकल्प ऊंचा है। सिद्धियों को चूमने का सामर्थ्य रखता है आपका प्रयास। हम अमृत की संतान हैं। हमें सबक लेना है, सीखना है, आगे बढ़ते जाना है।
- विज्ञान में हर प्रयोग हमें अपने असीम साहस की याद दिलाता है। चंद्रयान-2 के अंतिम पड़ाव का परिणाम हमारी आशा के अनुसार नहीं रहा लेकिन पूरी यात्रा शानदार रही है। हमारे चंद्रयान ने दुनिया को चांद पर पानी होने की अहम जानकारी दी। इस पूरे मिशन के दौरान देश कई बार आनंदित हुआ है। अभी भी ऑर्बिटर पूरी शान से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। भारत दुनिया के अहम अंतरिक्ष शक्तियों में से एक है।
- परिणामों की परवाह किए बिना निरंतर लक्ष्य की ओर बढ़ने की हमारी परंपरा भी रही है और हमारे संस्कार भी। खुद इसरो भी कभी हार न माननेवाली संस्कृति का जीता-जागता उदाहरण है। परिणाम अपनी जगह हैं लेकिन मुझे और पूरे देश को अपने वैज्ञानिकों, अपने इंजिनियरों, आप सभी के प्रयासों पर गर्व है। विज्ञान में विफलता होती ही नहीं है केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं।
- हम असफल हो सकते हैं, लेकिन इससे हमारे जोश और ऊर्जा में कमी नहीं आएगी। हम फिर पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ेंगे। मंगल पर पहली बार में झंडा गाड़ने वाले तो आप ही हैं। असफलता से कोई क्षणित बाधा हमें रोक नहीं सकती। हमें पीछे मुड़कर निराश नहीं होना है। सीखना है आगे बढ़ते जाना है और हम निश्चित रूप से सफल होंगे और कामयाबी हमारे साथ होगी। चंद्रयान-2 की यात्रा शानदार और जानदार रही है।
- इसरो कभी हार नहीं मानने वालों में से है। आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमारे प्रयास और यात्रा सार्थक थी। हमारी टीम ने कड़ी मेहनत की, बहुत दूर तक यात्रा की और ये शिक्षाएं हमारे साथ रहेंगी। आज मिली सीख हमें और मजबूत बनाएगी। हमारे वैज्ञानिकों के संकल्प और मेहनत ने न केवल हमारे नागरिकों के बेहतर जीवन के लिए काम किया है बल्कि पूरी मानवता के लिए किया है।
- मैं अपने वैज्ञानिकों से कहना चाहता हूं कि भारत आपके साथ है। आप सब महान प्रोफेशनल हैं जिन्होंने देश की प्रगति के लिए संपूर्ण जीवन दिया और देश को मुस्कुराने और गर्व करने के कई मौके दिए। हम अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरे हैं कि वह दिन जरूर आएगा। हमारे लिए अभी कई नए आयाम हैं जिन पर हमें पहुंचना है। हमारे अंतरिक्ष अभियान का सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है।
- आप लोग मक्खन पर लकीर करने वाले लोग नहीं पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं। मैं सभी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के परिवार को भी सलाम करता हूं। उनका मौन लेकिन बहुत अहम समर्थन आपके साथ रहा।
- पिछले कुछ घंटों से पूरा देश चिंतित था। हर कोई हमारे वैज्ञानिकों के साथ एकजुटता में खड़ा है। हमें अपने अंतरिक्ष अभियान पर गर्व है। आज चंद्रमा को छूने का हमारा संकल्प और भी मजबूत हो गया है।
- आज भले ही कुछ रुकावटें आई हों, रुकावटें हाथ लगी हो लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ेगा। इससे हमारा हौसला और मजबूत हुआ है।
- मैं आपकी उदासी को समझ सकता था, इसलिए ज्यादा देर तक नहीं रुका। कल रात मैं आपकी मनोस्थिति को समझ रहा था। कई रातों से आप सोए नहीं हैं फिर भी मेरा मन करता था आपको सुबह फिर से बुलाकर आपसे बातें करूं।
- प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘जब मैं देख रहा था कि संपर्क टूट गया है। मैं देख रहा था कि आपके चेहरे मुरझा गए लेकिन यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। देश आप पर गर्व करता है। आपकी इस मेहनत ने बहुत कुछ सिखाया भी है।’
चांद के फलक पर हमारे कदमों के निशां और लहराता तिरंगा देखने का 130 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात चांद की दहलीज तक पहुंच गया। देश के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 लांचिंग के बाद 48 दिन में 3.84 लाख किमी का सफर तय कर रात 1:55 बजे चांद से बिल्कुल करीब तक पहुंच गया।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ के उतरने की सारी प्रक्रिया सामान्य थी। 35 किमी ऊपर से सतह पर उतरने की प्रक्रिया का काउंटडाउन 1:38 बजे शुरू हुआ। 13 मिनट 48 सेकंड तक सब कुछ सही चला। तालियां भी गूंजी, मगर आखिरी के डेढ़ मिनट पहले जब विक्रम 2.1 किमी ऊपर था, तभी करीब 1:55 बजे उसका इसरो से संपर्क टूट गया।
यह स्थिति करीब 12 मिनट तक रही। करीब 2:07 बजे वैज्ञानिकों ने बताया कि संपर्क बहाल करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, 2.18 बजे इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया, विक्रम से संपर्क टूट गया है। हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिवन और उनकी टीम का हौसला बढ़ाते हुए कहा, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हिम्मत रखिए।
पहली बार हो रही थी दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले ही बताया था कि लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट सबसे जटिल होंगे। बहुत तेज गति से चल रहे विक्रम को चांद की सतह तक सफलतापूर्वक उतारना सबसे बड़ी चुनौती थी। विक्रम ने आखिरी वक्त में अपनी दिशा बदल दी, जिसके बाद उससे संपर्क टूट गया।
मालूम हो कि दक्षिणी ध्रुव पर आज तक कोई भी देश लैंड नहीं कर सका है। शुक्रवार सुबह से ही यह मिशन देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चा का सबसे बड़ा विषय था। करोड़ों लोग जहां रात तक टीवी पर जमे रहे, वहीं सोशल मीडिया पर भी छाया रहा। इसरो केंद्र में मौजूद देशभर से चुने गए 70 प्रतिभाशाली छात्रों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मौके पर मौजूद रहे। 22 जुलाई को जीएसएलवी-एमके-3 एम-1 रॉकेट से रवाना हुआ चंद्रयान-2 चांद पर पानी की तलाश की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण अभियान है।