वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे

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तपस्या तोमर

आठ सितंबर को वर्ल्ड फिजियोथेरेपी-डे है। आज के समय में फिजियोथेरेपी की जरूरत सभी को रहती है। परन्तु जागरुकता की कमी के चलते लोग आज भी वंचित रह जाते है अगर दवा, इंजेक्शन और आॅपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते है तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए। फिजियोथेरेपी में न्यूरोलॉजी, हड्डी, हृदय बच्चों व वृद्धों की समस्याओं से जुड़े खास एक्स्पर्ट भी होते है। आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट इलाज शुरू करने से पहले बीमारी का पूरा इतिहास देखते है। उसी के अनुसार आधुनिक इलेक्ट्रोथेरपी और स्टैचिंग व व्यायाम की विधि अपनाई जाती है। दुष्प्रभाव की अगर बात की जाये तो फिजियोथेरेपी में न के बराबर दुष्प्रभाव होते है परंतु सही तरीके से इलाज होना भी इसमें महत्वपूर्ण है फिजियोथेरेपी में एक खास बात ये भी है की रोगी ही नहीं बल्कि स्वस्थ लोग चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए फिजियोथेरेपी की सलाह ले सकते है।

फिजियोथेरेपी पद्धति का लाभ बच्चों से लेकर बुजुर्ग वर्ग के लोग उठा सकते है

-फिजियोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य दर्द से परेशान मरीजों को आराम प्रदान करके उन्हें सामान्य जीवन जीने योग्य बनाता है।
– यह स्टोक , मल्टीपल स्क्लरोसिस और पार्किन्सन को भी ठीक कर सकता है।
– फिजियोथेरेपी ओथोपेडिक परेशानी जैसे कि आरथरायिटिस और ऐम्प्युटेशन के उपचार में भी कारगर होती है।
– हड्डियों और मांसपेशियों की परेशानी जैसे कमर दर्द या गर्दन दर्द का भी उपचार सम्भव है।

– स्वांस की समस्याएं जैसे कि अस्तमा, सिस्टिक फायब्रोसिस और क्रॉनिक अब्स्ट्रक्टिव पल्मनेरी विकार का भी इलाज सम्भव है।

-महिलाओं के स्वस्थ से संबंधित मामलों में भी फिजियोथेरेपी काम आती है।

-किसी भी प्रकार या चोट की वजह से उत्पन्न होने वाले दर्द को दूर करने में भी फिजियोथेरेपी मदद करती है।

तपस्या भोपाल की जानी मानी फिजियोथेरेपिस्ट है। उनके अपने तीन सेंटर है भोपाल में उन्होंने कई मरीजों को ठीक किया है। जिसके लिए उनके कई सम्मान भी हो चुके है तथा अपने काम के प्रति उनकी लगन उनको बाकी लोगों से ऊपर उठाती है। अपने काम को काम न मानते हुए सेवा के भाव से करना तपस्या का तप है।