TIO भोपाल
ईओडब्ल्यू (EOW) ने ई-टेंडर घोटाले (E-Tender Scam) में एफआईआर (FIR) दर्ज करने के बाद अब सिंहस्थ घोटाले (Singhastha Scam) पर शिकंजा कस दिया है. घोटाले से जुड़ी छह अलग-अलग शिकायतों में प्रारंभिक जांच यानि पीई दर्ज कर ली गई है. ईओडब्ल्यू ने आरोपियों को भी चिन्हित कर लिया है. जबकि दावा किया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच के बाद जल्द ही अलग-अलग एफआईआर भी दर्ज की जाएंगी.
आपको बता दें कि बीजेपी सरकार में हुए सिंहस्थ घोटाले को लेकर अलग-अलग छह शिकायतें ईओडब्ल्यू को मिली थीं. इन्हीं शिकायतों पर उसने अब अलग-अलग छह पीई दर्ज कर ली हैं. ये सभी पीई सिंहस्थ के लिए की गई खरीदी में घोटाले को लेकर दर्ज की गई हैं. आरोप है कि सिंहस्थ के दौरान अलग-अलग खरीदी के दौरान करोड़ों का घोटाला किया गया है. इस घोटाले की जांच के दौरान कई नौकरशाह और राजनेता बेनकाब होंगे.
इन पर होगा एक्शन
>>पहली पीई- सिंहस्थ के दौरान खरीदी गई दो हजार एलईडी लाइट का पता नहीं चला. इनकी कीमत 3.6 करोड़ रुपए है. पीई में नगर निगम उज्जैन और एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पॉवर सर्विसेस को संदिग्ध माना गया है.
दूसरी पीई- खरीदी गई 434 पानी की टंकियों और स्टैंड स्टोर शाखा में जमा नहीं किए गए. पीई में कार्यपालन यंत्री और उपयंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को संदिग्ध माना गया है.
>>तीसरी पीई- मेला क्षेत्र में अस्थायी लाइनों, ट्रांसफार्मरों और खंभों के लिए 17 करोड़ रुपए में ठेका दिया गया था, लेकिन उसे खोलने के लिए अलग से 4.5 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया. पीई में जांच के घेरे में अधीक्षण यंत्री मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी आ गए हैं.
>>चौथी पीई- मकोडिया आम से खाक चौक, खाक चौक से मंगलनाथ मंदिर तक 2.9 किलोमीटर का डिवाइडर बनाने के साथ इलेक्ट्रिकल पॉल और लाइट लगाने के लिए 1.11 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया था, लेकिन केवल मंगलनाथ से सांदीपनी आश्रम तक 900 मीटर में काम किया गया. जबकि भुगतान पूरा किया गया. पीई में कार्यपालन यंत्री और अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग को संदिग्ध माना गया है.
पांचवीं पीई- प्रत्येक पंडाल स्तर पर 500 शौचालय और 10 चार्जिंग रूम में लाइट नहीं लगाई. मलबा और नंबर नहीं डाले गए. आवश्यक संख्या में सफाई कर्मचारी भी तैनात नहीं थे. पीई में नगर निगम उज्जैन सफाई विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में है.
>>छठी पीई- HOLD UP FENCE के लिए अजंता वायर एंड फेब्रिकेशन वर्क्स उज्जैन को 12 करोड़ रुपए का क्रय अदा दिया गया था. विक्रेता फर्म को 3000 रुपए मूल्य की सामग्री के विरूद्ध 6589 रुपए का भुगतान किया गया. पीई में मुख्य महाप्रबंधक लघु उद्योग निगम, निरीक्षक उज्जैन और अजंता वायर एंड फेब्रिकेशन वर्क्स उज्जैन को संदिग्ध माना गया है.
पीई के बाद जल्द होगी एफआईआर
ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला है कि कई ऐसी सामग्री खरीदी गई, जो सिर्फ कागजों में थी. छह अलग-अलग केस में दर्ज की गई पीई में पानी की टंकी, एलईडी लाइट, इलेक्ट्रिकल पॉल, डिवाइडर, शौचालय और चार्जिंग रूम खरीदी में करोड़ों का घोटाला होने की जानकारी मिली है. अब ईओडब्ल्यू इन शिकायतों के अलावा भी सिहंस्थ के दौरान हुई तमाम खरीदी की जांच भी कर रही है. अभी पीई दर्ज की गई है और जल्द ही अलग-अलग एफआईआर भी दर्ज होगी.
केएन तिवारी (डीजी, ईओडब्ल्यू, मप्र) का कहना है कि ईओडब्ल्यू को अलग-अलग शिकायत मिली है. सभी छह शिकायतों में प्रारंभिक जांच कर सबूतों को जुटाया जा रहा है. पता लगाया जा रहा है कि जो सामान खरीदा गया, वो आखिर गायब कहां हो गया. सामान खरीदा भी गया या फिर नहीं, इस बिंदु पर भी जांच की जा रही है. हर स्तर पर खरीदी को मंजूरी दी गई है. सभी स्तरों की जांच जारी है. जल्द ही सबूतों के आधार पर एफआईआर भी दर्ज की जाएगी.