टसर के कपड़े पर अगरबत्ती से जलाकर बनता है कट वर्क

0
1037

TIO भोपाल

रविशंकर शुक्ल कम्युनिटी हॉल में 17 दिवसीय प्रदर्शनी सिल्क इंडिया का शुभारंभ हुआ इस प्रदर्शनी में देश के कई राज्यों के सिल्क बुनकरों बने 200 से ज्यादा तरह के सिल्क का प्रदर्शन किया है। सिल्क पर ठेठ देसी ढंग से होने वाले परंपरागत कढ़ाई और बुनाई का काम लोगों को अपनी ओर खींच रहा है ।

सिल्क बुनकरों के उत्थान के लिए काम कर रही है संस्था हस्तशिल्पी द्वारा इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है प्रदर्शनी के आयोजक टी अभिनंदन ने बताया कि रविशंकर शुक्ल कम्युनिटी हॉल में आयोजित सिल्क इंडिया प्रदर्शनी का मकसद ग्रामीण क्षेत्र के सिल्क बुनकरों को विपणन के लिए उचित जगह उपलब्ध कराना है। इस प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों से आए सिल्क बुनकरों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है।

प्रदर्शनी में बनारस से आए जमाल ने अपने हाथों से बनी खड्डी साड़ी को प्रदर्शित किया है प्योर जरी से बनने वाली साड़ी 6 महीने में बन पाती है इसमें ताने और बाने में सिंगल धागा ही चलता है। यही कारण है कि इस साड़ी की कीमत 95 हजार के करीब है । असमिया धागे से बनी खड्डी साड़ी जरी का काम भी देखने लायक है। कोलकाता से आए सपनभद्र अपने साथ कट वर्क की साड़ियां लाए हैं। टसर मूंगा पर पहले हैंड वर्क किया जाता है और फिर इसे अगरबत्ती से जलाकर कट वर्क होता है। साड़ी को अगरबत्ती से चलाने का काम काफी सावधानी से किया जाता हैं।

जरा सी लापरवाही से साड़ी खराब हो सकती है । कट वर्क की साड़ी को देखकर प्रतीत नहीं होता की अगरबत्ती से जला कर तैयार किया गया हैं। टी अभिनन्द ने बताया कि प्रदर्शनी में ढाका सिल्क भी प्रदर्शित किया गया है । प्रदर्शनी 29 सितंबर तक चलेगी। कला प्रेमी सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक प्रदर्शनी देखने के लिए आमंत्रित हैं ।