नई दिल्ली
देश में भले ही कुपोषण के मामलों में कमी आई हो लेकिन अभी भी देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण की दर बहुत अधिक है। देश में कुपोषण के कारण 5 साल से कम उम्र के 68 फीसदी बच्चों को मौत का खतरा होता है। यह बात द लांसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्ट की प्रकाशित रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार साल 1990 से 2017 के बीच 5 साल से कम उम्र के बच्चों की कुपोषण के कारण होने वाली मौत की दर में कमी दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कुपोषण से संबंधित डिसेबिलिटी- एडजस्टेड लाइफ इयर दर में विभिन्न राज्यों में सात गुना तक का अंतर है। उत्तर प्रदेश में जहां यह 74,782 हैं वहीं केरल में यह महज 11,002 है। बिहार, असम और राजस्थान ऐसे राज्य हैं जहां यह दर अधिक है। इन राज्यों के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नगालैंड और त्रिपुरा का नंबर है। देश में 5 साल से कम उम्र में कुपोषण से होने वाली मौत की दर 68.2 फीसदी है।
बिहार में यह दर सबसे अधिक 72.7 फीसदी है। वहीं केरल में यह सबसे कम 50 फीसदी है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह दर अधिक है। वहीं मेघालय, तमिलनाडु, मिजोरम और गोवा में कुपोषण के कारण होने वाली मौतों की दर कम है। देश में बाल और मातृत्व कुपोषण के कारण पांच साल से कम उम्र के 69 फीसदी लड़कों की मौत हुई।
वहीं कम वजन और समय पूर्व जन्म के कारण 49.4 फीसदी लड़कों की मौत हुई। इस वजह से मरने वाली लड़कियों की संख्या 42.7 फीसदी थी। विटामिन ए की कमी के कारण 4.97 फीसदी लड़कों की मौत हुई। वहीं 5.62 फीसदी लड़कियां ऐसी थी जिनकी मौत विटामिन ए की कमी के कारण हुई। देश में जिंक की कमी के कारण 0.42 फीसदी बच्चों की मौत हुई। इनमें 0.35 फीसदी लड़के ऐसे थे जिनकी मौत जिंक की कमी के कारण हुई। वहीं, जिंक की कमी के कारण मरने वाली लड़कियों की संख्या 0.48 फीसदी थी।