कर्नाटक चुनाव में मोदी का दांव चला तो फैल हो सकते हैं सभी सर्वे

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बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा और महाराष्ट्र के साथ महादायी जल विवाद को हल करने के लिए बातचीत की घोषणा की है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय की गई यह घोषणा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि इससे कर्नाटक के उत्तरी-पश्चिमी इलाके की कुछ अहम सीटें प्रभावित होती हैं।
Modi’s bets in Karnataka elections can be spread all over Survey
224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा की 50 सीटें इसी इलाके में हैं। इन पर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है। महादायी को लेकर पिछले दो साल से गडग शहर, नदी के किनारे बसे सभी गांवों और पड़ोसी जिले धारवाड़ के कई हिस्सों में आंदोलन चल रहा है।  मोदी ने शनिवार को गडग में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह सोनिया गांधी हैं, जिन्होंने आपको पानी देने से मना किया है। उनकी पार्टी की सरकार केंद्र के अलावा तीनों विवादित राज्यों में थी। अगर आप हमारी पार्टी की सरकार यहां चुनते हैं तो मैं इस विवाद को हल करने के लिए तीनों राज्यों से बातचीत करूंगा।’

बीजेपी की जीत की संभावना
इस बयान के बाद पार्टी के कार्यकतार्ओं और गडग के लोगों ने बताया कि इससे अभी तक कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में बीजेपी की जीत की संभावना बढ़ गई है। गडग के गुरुमूर्ति हिरेमथ ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने खुद महादायी जल विवाद को हल करने का वादा किया है। ऐसे में लोग उनका और उनकी पार्टी का समर्थन करेंगे। हमारी मुख्य मांग वॉटर सप्लाई की है, इसलिए हम उसी पार्टी को समर्थन देंगे जो इसे पूरा करने का विश्वास दिलाएगा।’

महादायी जल विवाद का मुद्दा इस इलाके की 7 सीटों के लिए अहम है। अभी कांग्रेस के पास इलाके की 31 सीटें हैं जबकि 16 पर बीजेपी का कब्जा है। वहीं, जेडीएस के पास 1 सीट और 2 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास हैं। चुनाव से पहले से आए कई सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस और बीजेपी राज्य में करीब 90-90 सीटों पर जीत दर्ज करेंगी। ऐसे में इन 7 सीटों पर जीत-हार का अंतर राज्य में सरकार बनाने के हिसाब से काफी अहम हो जाता है।

सिद्धा ने आचार संहिता का उल्लंघन बताया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पीएम मोदी के इस घोषणा को चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, ‘बतौर प्रधानमंत्री मैं उनसे ऐसी चीजें करने की उम्मीद नहीं करता। हम बीजेपी नहीं हैं, इसलिए ऐसी छोटी चीजों को लेकर चुनाव आयोग के पास नहीं जाएंगे। हमने उनसे इस मुद्दे पर लगातार हस्तक्षेप करने को कहा। अब अगर वह इस मुद्दे पर यह सब ठीक चुनावों से पहले बोलते हैं तो जनता इसे एक चुनावी चाल के तौर पर लेगी।’ महादायी नदी आंदोलन के नेता शंकर आंबली भी सिद्धारमैया की बात से सहमत हैं।