आतंक के खिलाफ PM मोदी के भाषण में था पाकिस्तान को चीन से मिलने वाली मदद का अप्रत्यक्ष जिक्र

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नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद पर संयुक्त राषट्र के एक वार्ता में चीन को अप्रत्यक्ष रूप से आड़े हाथों लिया। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से चीन द्वारा पाकिस्तान की मदद किए जाने पर कहा कि आतंकवादियों को किसी भी तरीके से धन और हथियार नहीं मिलने देने चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मकसद को पूरा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र लिस्टिंग और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे मशीनीकरण के राजनीतिकरण से बचा जाना चाहिए।

74वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर ‘लीडर्स डायलॉग ऑन स्ट्रेटेजिक रिस्पांसेस टू टेरेरिस्ट ऐंड वॉयलेंट एक्ट्रिमिस्ट नरेटिव्ज: आतंकवाद और हिंसक कट्टरपंथी विमर्श पर रणनीतिक प्रतिक्रिया से संबंधित नेतृत्व वार्ता : में पीएम मोदी ने ये बातें कहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया में कहीं भी होने वाले आतंकवादी हमले को ‘बड़ा या छोटा या ‘अच्छा या बुरा नहीं बल्कि ‘आतंकवादी कार्रवाई ही माना जाना चाहिए। सोमवार को 74वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर ‘लीडर्स डायलॉग ऑन स्ट्रेटेजिक रिस्पांसेस टू टेरेरिस्ट ऐंड वॉयलेंट एक्ट्रिमिस्ट नरेटिव्ज: आतंकवाद और हिंसक कट्टरपंथी विमर्श पर रणनीतिक प्रतिक्रिया से संबंधित नेतृत्व वार्ता : में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बहुपक्षीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को संस्थागत रूप देने का आह्वान किया और जोर देकर कहा कि इस दिशा में भारत मित्र देशों के क्षमता निर्माण और पहले से जारी सहयोग को बढ़ाने की खातिर काम करेगा।

इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) ए गितेश शर्मा ने कहा, ”प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि आतंकवादियों को पैसा और हथियार हासिल नहीं होने दिए जाएं। मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची और वित्तीय कार्य योजना बल (एफएटीएफ) जैसी प्रणालियों का राजनीतिकरण नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन प्रणालियों को लागू करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाले आतंकवादी हमले को ” आतंकवाद ही माना जाना चाहिए, इसे ‘बड़ा या छोटा अथवा ‘अच्छा या बुरा नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और क्षेत्रीय ढांचे के जरिए खुफिया जानकारी साझा करने की प्रक्रिया और जारी सहयोग में ‘गुणात्मक सुधार की जरूरत है।