इमरती देवी : विभाग की वैसी फिक्र नहीं जैसी सिंधिया की!

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पंकज शुक्ला

मप्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी फिर सुर्खियों में हैं। उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वे कहते दिखाई दे रही हैं कि डॉक्टर का ट्रांसफर नहीं कराएंगे। इसमें पैसा लगता है, इसलिए उसे सस्पेंड ही कर देते हैं। इससे भाजपा के उन आरोपों को बल मिल रहा है कि मप्र में तबादला उद्योग चल रहा है। मगर, फिक्र का मुद्दा दूसरा है। इमरती देवी का यह बयान उस वक्‍त आया है जब मप्र में दो दलित बच्‍चों को पीट-पीट कर मार डाला गया। जब रतलाम में एक नाबालिग से दुष्‍कृत्‍य का मामला और उसमें पुलिस की भूमिका पर रोष फैला हुआ है। तब बतौर मंत्री इमरती देवी से उम्‍मीद की जा रही थी कि वे बच्‍चों के अधिकारों पर मुखर होती लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। वे तो यह भी भूल गई हैं कि प्रदेश में बाल आयोग का गठन भी नहीं हुआ है। ऐसे में कैसे बच्‍चों के अधिकारों रक्षा होगी, उनकी सुनवाई होगी?

कांग्रेस सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाई गई इमरती देवी तब चर्चा में आई थीं जब कार्यभार ग्रहण करने के बाद पहली बार उन्‍हें 26 जनवरी 2019 को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्‍यमंत्री का संदेश पढ़ना था। मगर वे कुछ पंक्तियां पढ़ कर अटक गईं और यह कहते हुए बैठ गईं थी कि कलेक्‍टर आगे का भाषण पढ़ेंगे। तब उनकी किरकिरी हुई थी मगर कई लोगों ने उनका उपहास उड़ाए जाने की आलोचना की थी। कहा गया कि इस तरह मजाक बना कर उनके संघर्ष को कम नहीं आंका जा सकता।
वैसे उनका अनुभव कम भी नहीं है। वे हायर सेकण्डरी पास हैं। साल 1997-2000 तक जिला युवा कांग्रेस कमेटी ग्वालियर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रही हैं। जिला कांग्रेस कमेटी की महामंत्री एवं किसान कांग्रेस कमेटी की प्रदेश महामंत्री, जिला पंचायत ग्वालियर की सदस्य, कृषि उपज मंडी ग्वालियर की संचालक एवं सदस्य रहीं। 2005 से निरंतर ब्लाक कांग्रेस डबरा की अध्यक्ष रहीं। वे पहली बार 2008 में विधायक बनीं। 2008 से 2011 तक पुस्तकालय समिति की सदस्य तथा 2011 से 2014 तक महिला एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति की सदस्य रहीं। वे अनुसूचित जाति/जनजाति हित रक्षा संघ की संरक्षक भी रहीं। वे 2013 में दूसरी बार तथा 2018 में तीसरी बार विधायक बनी हैं।
कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की समर्थक मंत्री इमरती देवी ने अपने इस पद पर होने का श्रेय सिंधिया को देते हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘भगवान भी आ जाएं तो उनसे भी कहूंगी मुझे तो बनाया है श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने, जब तक जिंदा रहूंगी, जब तक सांस चलेगी, श्रीमंत महाराज साहब की पूजा करती रहूंगी।’ वे सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष बनाने के हर राजनीतिक अभियान की अगुआ रही हैं।
उनका बचपन संघर्ष में बीता है और वे बार-बार यह बात दोहराती भी हैं। शनिवार 28 सितंबर को भोपाल में किशोर न्‍याय पर आयोजित कार्यशाला में भी इमरती देवी ने कहा कि उन्‍होंने मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये बच्चों की सुरक्षा करना बहुत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेदारी है कि बच्चे भेदभाव, उपेक्षा, शोषण और हिंसा से मुक्त वातावरण में बड़े हों।
मगर, बच्‍चों से जुड़े तमाम अपराधों पर इमरती देवी आमतौर पर परिदृश्‍य से गायब ही नजर आती हैं। उन्‍हें न तो बाल आयोग के गठन की फिक्र है और न बच्‍चों के प्रति हो रहे अपराधों की चिंता। न वे आंगनवाडि़यों में खाली पदों को लेकर सक्रिय होती हैं और न बच्‍चों से जुड़े अन्‍य मसलों पर। उज्जैन में 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कृ्त्य और हत्या… भोपाल में 9 साल की बच्ची‍ के साथ दुष्कृत्य और हत्या… मंदसौर शहर में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की कोशिश… अब रतलाम में बच्चियों को वीडियो का डर दिखा कर यौन शोषण करने वाले गिरोह का खुलासा, शिवपुरी जिले में दो बच्चों की लाठियों से पीट पीट कर ह्त्या…वे कहीं सक्रिय नहीं दिखाई दीं। भाषणों में सुनाई देने वाली बच्‍चों की उनकी चिंता उनके कामों में वैसी क्‍यों नहीं दिखती जैसी अपने नेता सिंधिया के लिए दिखाई देती है?
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है