नई दिल्ली, बेंगलुरु। फ्लिपकार्ट के ग्रुप चेयरमैन सचिन बंसल कुछ सप्ताह पहले तक अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट के साथ डील में मोलभाव की अगुआई कर रहे थे, लेकिन हाल की घटनाओं से वह काफी निराश थे। सूत्रों ने बताया कि वॉलमार्ट को मेजॉरिटी स्टेक बेचने की डील पर सहमति बनने के समय सचिन दरकिनार हो गए थे।
Walmart’s biggest deal, Sachin Bansal, will now sell his stake
सचिन अब अपनी 5.5 पर्सेंट हिस्सेदारी लगभग 1 अरब डॉलर में बेचकर कंपनी से बाहर हो जाएंगे। उन्होंने आईआईटी-दिल्ली के अपने साथी बिन्नी बंसल के साथ मिलकर एक दशक पहले फ्लिपकार्ट की शुरूआत की थी। हालांकि, उनके इस तरह जाने से बहुत से प्रश्न भी उभरे हैं। सूत्रों ने बताया, कुछ सप्ताह पहले तक सचिन बंसल डील का एक अहम हिस्सा थे। वॉलमार्ट के साथ मोलभाव के अंतिम चरण तक सचिन और हिस्सेदारी खरीदने न कि अपनी हिस्सेदारी बेचने की उम्मीद कर रहे थे।
वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट में 77 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा के कुछ घंटों बाद सचिन ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, दुखद है कि मेरा काम यहां पूरा हो गया। 10 वर्षों के बाद कमान सौंपने और फ्लिपकार्ट से निकलने का समय आ गया है। बुधवार देर रात हुई इस डील की घोषणा के समय फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के सीनियर मैनेजमेंट में शामिल लोग मौजूद थे, लेकिन सचिन का नहीं दिखना हैरान करने वाला था।
फ्लिपकार्ट ग्रुप के सीईओ बिन्नी बंसल ने कंपनी के कर्मचारियों को एक टाउन हॉल मीटिंग में बताया कि सचिन अब कंपनी का हिस्सा नहीं हैं। इस दौरान उनके साथ वॉलमार्ट इंक के ग्लोबल चीफ एग्जिक्युटिव आॅफिसर डग मैकमिलन और फ्लिपकार्ट के चीफ एग्जिक्युटिव आॅफिसर कल्याण कृष्णमूर्ति मौजूद थे।
इससे पहले एंप्लॉयीज को लिखे एक ईमेल में बिन्नी ने कहा था कि सचिन और फ्लिपकार्ट अलग हो रहे हैं। उन्होंने कहा था, पिछले 11 वर्षों में फ्लिपकार्ट सबसे अधिक पहचाने जानेवाले ब्रैंड्स में शामिल हुआ है और देश में यह टॉप ई-कॉमर्स कंपनी है। सचिन की दूरदृष्टि और नेतृत्व के बिना यह संभव नहीं हो सकता था। सचिन ने जनवरी 2016 में सीईओ के तौर पर इस्तीफा देने के बाद से खुद को कंपनी के रोजाना के कामकाज से अलग कर लिया था, लेकिन वह फ्लिपकार्ट में इन्वेस्टमेंट लाने से जुड़ी बातचीत में प्रमुख भूमिका निभाते थे।