लापरवाही पर सीएम नाराज, कई अधिकारी-कर्मचारियों पर गिरी गाज

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TIO भोपाल

मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जन-अधिकार कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक बार फिर कडा एक्शन दिखाया है| सीएम ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा सरकार की मंशा है कि लोगों की समस्याओं का समाधान मौके पर ही हो ताकि उन्हें भटकना नहीं पड़े। इसमें कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर्स से कहा कि वे पटवारियों के साथ बैठक कर उन्हें जन-हितैषी विशेषकर नामांतरण आदि प्रकरणों में संवेदनशीलता के साथ काम करने को कहें और वे स्वयं गाँव में जाकर पटवारियों के काम की समीक्षा करें। वहीं लापरवाही बरतने पर सीएम ने आयुक्त और मंडी सचिव, पटवारी, समेत कई अधिकारी कमर्चारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिए|

मंत्रालय से गुरूवार को संभागायुक्तों और कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सीएम कमलनाथ ने कहा स्वयं गांव में जाकर पटवारियों के कामों की समीक्षा करें। अभी कई दौरों में सामने आता है कि जनता उनके काम से खुश नहीं है। कलेक्टर तय करें कि जनता के काम प्राथमिकता से हों। इसके लिए राज्य स्तर से भी निगरानी की जाए। नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं। इसके बावजूद यदि ठीक काम नहीं होता है, तो दोषियों पर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा जो जिले सीएम हेल्पलाइन में खराब हालत में हैं, उनके लिए भी संभागायुक्तों की जवाबदेही तय की जाए। नाथ ने कहा कि आपकी सरकार-आपके द्वार कार्यक्रम के परिणाम बेहतर मिलें यह सभी कलेक्टर्स को सुनिश्चित करना है। उन्होंने अतिवृष्टि से प्रभावित जिलों में सभी बाढ़-प्रभावित लोगों को राहत और मुआवजा 15 अक्टूबर तक देने के निर्देश दिए। उन्होंने वन अधिकार प्रकरणों में कलेक्टर्स से विशेष सतर्कता बरतने को कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रकरण कागजी कार्यवाही के कारण निरस्त नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि निरस्त हुए प्रकरणों की जाँच की जाएगी और इसमें लापरवाही पाई गई तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

खराब प्रदर्शन वाले जिलों की जिम्मेदारी आयुक्तों की

सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों की समीक्षा करते हुए सीएम ने कहा कहा कि सभी संभाग के आयुक्त स्वयं इन प्रकरणों की समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों की जिम्मेदारी आयुक्तों की होगी। मुख्यमंत्री ने जय किसान फसल ऋण माफी योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी कलेक्टर अपने जिलों में इस बात की जाँच करें कि जिन पात्र किसानों के ऋण माफ हो गए हैं, उन्हें बैंकों से नोड्यूज प्रमाण-पत्र प्राप्त हो जाएँ। इस कार्य में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।

इन पर गिरी गाज

-वीडियो कॉन्फ्रेंस में ग्वालियर के प्रदीप कुमार को समय पर छात्रवृत्ति स्वीकृत नहीं करने पर सहायक आयुक्त आदिवासी और सीहोर में किसान बलवान दांगी को भावांतर योजना में भुगतान नहीं होने पर मंडी सचिव और वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी को मुख्यमंत्री ने निलंबित करने के निर्देश दिए।

-गुना जिले में कमलू अहिरवार की वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत न करने के मामले ग्राम रोजगार सहायक को दोषी पाए जाने पर उनकी सेवा समाप्त कर दी गई। -श्योपुर के मांगी शिवहरे के एमए प्रथम सेमिस्टर का रिजल्ट घोषित न करने पर संबंधित कर्मचारियों को दो इंक्रीमेंट रोके गए।

-छतरपुर में किसान भरत कुमार के नामांतरण प्रकरण को समय पर निराकरण न करने पर पटवारियों को निलंबित किया गया।

-इसी तरह रीवा में विनायक प्रसाद पटेल के कर्ज प्रकरण में प्राथमिक सहकारी संस्था के प्रबंधक को निलंबित किया गया।

– जबलपुर में किसान वीरेंद्र राजपूत को चना विक्रय करने का भुगतान समय पर नहीं करने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

-नरसिंहपुर के किसान हेमराज सेन को ढेड़ साल से भावांतर राशि न मिलने पर और किसानों के भुगतान की राशि गभन करने पर समिति के प्रशासक और पदाधिकारी पर एफआईआर कर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

-मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने भी इस मामले में अदालत से स्टे लिया है उसे तत्काल वेकेट किया जाए