मुंबई
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का 11 अक्टूबर को जन्मदिन है। वैसे तो अमिताभ की फिल्मों के बारे में आप सब कुछ जानते होंगे। आप ये भी जानते होंगे कि अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) राजनीति में भी हाथ आजमा चुके हैं। एक समय ऐसा था जब गांधी परिवार से नजदीकियों की वजह से अमिताभ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा तक कहा जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं अमिताभ ने कुछ ही समय में राजनीति से सन्यास क्यों ले लिया?
दरअसल इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अपने दोस्त राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए अमिताभ बच्चन 1984 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतरे थे। चुनाव के समय इलाहाबाद की गलियों में अमिताभ के पोस्टर लगाकर विरोधी पार्टी के नेता उनका मजाक उड़ाते थे। उन्हें नचनिया कहते थे। लेकिन इन सबसे हटकर अमिताभ बच्चन यूपी के पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा को हराने में सफल हो गए थे।
लेकिन राजनीति ने ऐसी करवट ली कि बोफोर्स घोटाले में नाम आने के बाद सांसद अमिताभ का राजनीति से मोह भंग हो गया और उन्होंने राजनीति छोड़ दी। हालांकि अमिताभ इस मामले को ब्रिटेन की अदालत में लेकर गए और जीत भी गए लेकिन इसके साथ ही उनकी गांधी परिवार से दूरी भी बढ़ने लगी। अमिताभ बच्चन तो राजनीति करने दोबारा सीधे तौर पर नहीं आए लेकिन उनका परिवार समाजवादी पार्टी के लिए समर्पित दिखाई दिया। क्योंकि उस दौरान अमिताभ बच्चन की कंपनी ABCL मुश्किल दौर से गुजर रही थी और गांधी परिवार से कोई मदद न मिलने पर अमर सिंह ने उनकी मदद की। इसके बाद पूरा परिवार कई बार पार्टी के कार्यक्रमों दिखाई दिया और बाद में जया बच्चन पार्टी की सांसद भी बनीं।