पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने आर्थिक मंदी पर जताई चिंता

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नई दिल्ली

देश में आर्थिक मंदी की आहट के बीच केंद्र सरकार ने उद्योग जगत को राहत देने के लिए पिछले कुछ वक्त में कई बड़े निर्णय लिए हैं। हालांकि विपक्ष सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से असंतुष्ट नजर आया है। इस बीच पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन के हालिया बयान के बाद केंद्र सरकार की मुश्किल एक बार फिर बढ़ सकती है। दरअसल रघुराम राजन ने देश की धीमी होती अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई है। पूर्व RBI गवर्नर ने देश में बढ़ रहे राजकोषीय घाटे को आर्थिक मंदी की बड़ी वजह बताया है। इसके साथ ही राजन ने मोदी सरकार पर पिछले कुछ वक्त में लिए गए निर्णयों पर निशाना साधा है। राजन का मानना है कि केंद्र सरकार देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर फोकस करने में नाकाम रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व RBI गवर्नर राजन ने यह बातें ब्राउन यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। राजन ने यह भी कहा कि सरकार का देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कमजोर इकोनॉमिक विजन भी देश में आर्थिक मंदी को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। राजन ने कहा कि इस वक्त देश गंभीर रुप से मांग की कमी से जूझ रहा है।

देश का आर्थिक विकास वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में छह साल के सबसे निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गया है। इतना ही नहीं अगले क्वार्टर में भी इसके ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं लग रही है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के अगस्त इंडेक्स के आंकड़े आर्थिक हालात को और चिंताजनक बना रहे हैं। यह पिछले 7 सालों में सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं। इस बार 1.1 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।

राजन ने यह भी कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि में कमी आने की एक बड़ी वजह यह भी है कि सरकार ‘ग्रोथ के नए सोर्स’ नहीं खोज पा रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत में जारी आर्थिक तनाव को लक्षण मानना चाहिए ना की पूरी समस्या।

राजन ने नोटबंदी, GST को लेकर कही यह बात

पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने हालिया आर्थिक मंदी के लिए कई वजहें भी बताईं। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में नोटबंदी लागू करना और गलत तरीके से GST को लागू करना भी आर्थिक मंदी की बड़ी वजह है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने ग्रोथ को बढ़ाने पर फोकस करने के बजाय जनकल्याण के कार्यों और वितरण पर ज्यादा फोकस किया। बता दें कि पिछले कुछ महीनों में मोदी सरकार विपक्ष के साथ ही उद्योग जगत के निशाने पर भी रही है। यही वजह है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को उद्योग जगत को राहत देने और आर्थिक विकास दर में तेजी लाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं करना पड़ी हैं।