TIO भोपाल
मध्य प्रदेश में पुलिस सिस्टम अनबैलेंस (Police System Unbalance) हो गया है. सच कहा जाए तो एडीजी (ADG) की संख्या में बाढ़ आने से पुलिस अफसरों का पिरामिड सिस्टम बिगड़ गया है. जबकि दूसरे अधिकारियों के अधिकार में बेवजह का अतिक्रमण किया जा रहा है. बिगड़ते सिस्टम की वजह से कैबिन की संख्या तो लगातार बढ़ रही है, बल्कि मैदानी पुलिस की हालत कुछ ठीक नहीं है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश पुलिस विभाग (Madhya Pradesh Police Department) में इस वक्त एडीजी के 16 पद हैं, लेकिन अफसरों की सख्या 40 हो गई है.
एडीजी की बाढ़ से बिगड़ा खेल
इन दिनों मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में मानो एडीजी रैंक के अफसरों की बाढ़ आ गई है. विभाग में एडीजी के 16 पद हैं, जो पहले से भरे हुए हैं, लेकिन प्रमोशन की वजह से अब टोटल 40 एडीजी रैंक के अफसर हो गए हैं. 16 अधिकारी तो किसी न किसी पद पर हैं, लेकिन बाकी अफसरों को एडजस्ट करने का काम किया गया. पीएचक्यू में इन अफसरों के लिए शाखाओं को बढ़ाया गया. हालांकि अब पुलिस मुख्यालय में भी एडीजी अफसरों को एडजस्ट करने की जरा सी गुंजाइश नहीं है. ऐसे में इन अफसरों को फील्ड जैसी पोस्टिंग के पद पर सिर्फ बंद कैबिन देने का काम किया जा रहा है. वहीं बालाघाट, उज्जैन, इंदौर के बाद अब भोपाल जोन में एडीजी की पदस्थापना की गई.
प्रदेश की कानून और सुरक्षा व्यवस्था के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. ऐसे में एसी वाले कैबिनों की संख्या बढ़ने से मैदानी पुलिस बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. अफसरों की चाकरी बढ़ रही है और जनता की फजीहत हो रही है. रिटायर्ड डीजीपी आरएलएस यादव ने बताया किया पुलिस कमिश्नर सिस्टम में इन अफसरों की जरूरत है, लेकिन सिस्टम लागू नहीं होने से अधिकारियों का पिरामिड बिगड़ गया है. इसका असर सीधे सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है.
इसलिए अनबैलेंस हुआ पुलिस सिस्टम?
मैदानी पुलिस को एडीजी से लेकर आईजी, डीआईजी, एसपी, एएसपी और सीएसपी के आदेश को मानने पड़ रहे हैं.
>>एडीजी रैंक के अफसर दूसरे अफसरों के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहे हैं.
>>पुलिस रैंक के ज्यादा कम होने से सिस्टम का पिरामिड बिगड़ गया है.
>>एडीजी को जोन की जिम्मेदारी देने से मैदानी पुलिसिंग की व्यवस्था बिगड़ गई है.