नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने कहा है कि नगा शांति वार्ता के तहत नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुईवा) की ओर से की गई अलग झंडे और संविधान की मांग नहीं मानी जाएगी। नगालैंड के राज्यपाल और वार्ताकार आरएन रवि ने शनिवार को कहा कि बंदूकों के साये में उग्रवादी समूहों के साथ बातचीत स्वीकार नहीं है। इससे एक दिन पहले राज्यपाल ने कहा था कि केंद्र सरकार शांति वार्ता को संपन्न करने के लिए दृढ़ है।
राज्यपाल के मुताबिक, अंतिम समझौते के लिए मसौदा तैयार है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि एनएससीएन-आईएम नगालैंड के लिए अलग ध्वज और संविधान के विवादास्पद मुद्दों को उठा कर रहा है। जबकि वे इन मुद्दों पर केंद्र की स्थिति से पूरी तरह अवगत हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कई मौकों पर एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक संविधान की बात कह चुके हैं।
सरकार का दावा- समझौते से छेड़छाड़ हुई
राज्यपाल ने कहा कि एनएससीएन-आईएम शरारत करते हुए फ्रेमवर्क एग्रिमेंट से छेड़छाड़ कर इसमें काल्पनिक विषयों को शामिल कर रहा है। एनएससीएन-आईएम के महासचिव टी मोइवा और सरकार के वार्ताकार आरएन रवि ने अगस्त 2015 में फ्रेमवर्क एग्रिमेंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए थे।
वार्ताकार ने नगा सोसाइटी के साथ बैठक की
सरकार के वार्ताकार ने कहा कि एनएससीएन-आईएम के कुछ नेता विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को ये कहकर बहका रहे हैं कि उसके और सरकार के बीच समझौता हो गया है। इन बातों पर गौर करते हुए वार्ताकर ने कोहिमा में 18 अक्टूबर को नगा सोसाइटी के सदस्यों के साथ बैठक की। इस बैठक में नागालैंड के सभी 14 जनजातियों के शीर्ष नेतृत्व मौजूद थे। इसमें नेताओं ने शांति प्रक्रिया को जल्द पूरा करने पर अपनी सहमति दी।
नगा संगठन ने प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
संगठन के चेयरपर्सन क्यू सू और महासचिव टी मोइवा ने इस साल प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा था कि नगालैंड के लोग इस बात को लेकर संशय में है कि नगा समास्या का सम्मानित समाधान हो पाएगा या नहीं। राज्य का अलग झंडा और संविधान नगा लोगों की पहचान और उनके गौरव से जुड़ा है। संगठन ने सरकार से कहा था इन दोनों मुद्दों पर चर्चा के बगैर नगा समस्या का बेहतर तरीके से समाधान नहीं हो सकता है।