शशी कुमार केसवानी
1970,71 दिल्ली विश्वविद्यालय में सहमत नाम की एक कश्मीरी लड़की पढ़ती है। वो बेहद रहमदिल है। पक्षियों से उसे बहुत प्यार है। एक गिलहरी कहीं चलती कार से न कुचल जाए इसके लिए खतरे से खेल जाती है। वह इतनी नाजुक है कि की सुई लगवाने से भी डरती है। पर हालात बदलते हैं और उसकी कायापलट हो जाती है। वह भारत की जासूस बनके पाकिस्तान पहुंच जाती है।
Film Review: Raji, the story of the patriot Kashmiri girl
एक पाकिस्तानी सेना के अधिकारी के बेटे से उसका निकाह होता है। भारत-पाकिस्तान युद्ध के पहले दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है और सहमत खतरों से जूझते हुए भी अपना काम करती रहती है। वह खुफिया जानकारियां भेजती रहती है। भारत के लिए उसके मन में इतना प्यार है कि यह भी नहीं सोचती कि वह जो कर रही है, उसका अंजाम क्या होगा?
पति और देश में वो देश को चुनती है। पाकिस्तान में वो दो लोगों की हत्या भी करती है, कहीं उसका राज खुल न जाए। उसका पति भी भारत की खुफिया एजेंसी की उस कार्रवाई में मारा जाता है, जो उसके यानी सहमत को पाकिस्तान से निकालने के लिए की गई थी। अपना काम करने के बाद सहमत विधवा होकर अपने देश भारत लौट जाती है।
फिल्म का लब्बोलुवाब यही है। फिल्मों में दिखाई जानेवाली जासूसी कहानियों से काफी अलग। सहमत कोई जेम्स बांड जासूस नहीं है।फिल्म में सस्पेंस तो भरपूर है लेकिन वैसे एक्शन इसमें नही हैं, जो ज्यादातर थ्रिलर फिल्मों में दिखते हैं। एक घरेलू सामान्य औसत घर के सदस्यों के लिए पराठे सब्जी बनाते हुए और टोस्ट सेंकते हुए किस तरह जासूसी करती है और इसी का किस्सा है।
आलिया भट्ट ने जिस किरदार को निभाया है उसका अपना डर और संकोच है। सहमत कभी भी पकड़ी जा सकती है। आखिर जिस घर में वो जासूसी कर रही है, वह पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल का घर है। उसका राज कभी भी खुल सकता है। राज अब खुला, तब खुला वाली हालत कई बार पैदा होती है। आलिया ने ऐसी परिस्थिति में फंसी सहमत के मानसिक तनाव के हर क्षण को जिस तरह परदे पर जिया, वह उन्हें एक बेहतरीन अभिनेत्री की कतार में खड़ा कर देता है। इसमें संदेह नहीं कि ये अब तक का आलिया भट्ट का सबसे बेहतरीन काम है। पूरी फिल्म आलिया या उनके चरित्र पर केंद्रित है।
ये बड़े ही ताकतवर तरीके से दिखाती है कि खासकर कश्मीरी मुसलिम भी, सहज रूप से देशभक्त हो सकते हैं और देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा सकते हैं। सहमत के पिता भी भारत के लिए पाकिस्तान में जासूसी करते हैं, यह भी फिल्म में दिखाया गया है। जयदीप अहलावत ने जिस भारतीय खुफिया अधिकारी की भूमिका निभाई है, वह भी मुसलिम है। तीसरा, यह फिल्म युद्ध की व्यर्थता और अमानवीयता को सामने लाती है। जंग में मरनवाले ज्यादातर निर्दोष होते हैं। यह अक्सर भुला दिया जाता है। फिल्म इसकी याद दिलाती है।
मेरे हिसाब से राजी एक शानदार फिल्म है इसे परिवार के साथ देखा जा सकता है।
मेघना गुलजार का जबर्दस्त निर्देशक: बाकी कलाकार विकी कौशल, रजत कपूर, शिशिर शर्मा, जयदीप अहलावत, सोनी राजदान का भी काम अच्छा है।