नई दिल्ली। पिछले एक पखवाड़े से अगर आप पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने से खुश हैं, तो शनिवार को आधी रात से आपकी यह खुशी काफूर हो सकती है। सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी करने का मन बना चुकी हैं। कच्चे तेल के महंगे होने और रुपये की कीमत में गिरावट होने के बावजूद सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमत में 24 अप्रैल, 2018 के बाद से कोई वृद्धि नहीं की है। जाहिर तौर पर इसे कर्नाटक चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
Karnataka election ends: Petrol and diesel prices rise, continue to loose pockets
सरकारी तेल कंपनियों के सूत्रों के मुताबिक 13 मई, 2018 से पेट्रोल की कीमत में 1.50 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। वैसे पिछले एक पखवाड़े के दौरान कच्चे तेल की कीमतों का स्तर देखें तो देश में पेट्रोल की खुदरा कीमत में तीन रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि की सूरत बनती है। लेकिन संभवत: एक साथ इतनी बड़ी वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला जाएगा।
सनद रहे कि नियमों के मुताबिक सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत तय करने का अधिकार दे दिया गया है। लेकिन कई बार यह देखा गया है कि विधानसभा चुनावों से पहले तेल कंपनियां कीमतों में वृद्धि करने का सिलसिला कुछ दिनों के लिए स्थगित कर देती हैं।
नई दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 24 अप्रैल, 2018 से 74.63 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है। जबकि इसके बाद कच्चे तेल की कीमत में करीब चार डॉलर प्रति बैरल (159 लीटर) की बढ़ोतरी हुई है। ईरान से परमाणु करार तोड़ने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में और तेजी की संभावना दिख रही है।
शुक्रवार को क्रूड पिछले साढ़े तीन वर्षों के उच्चतम स्तर 77.50 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल को छू सकती है। पेट्रोल डीजल की कीमत में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में हो रहे उतार-चढ़ाव से भी फर्क पड़ता है। शुक्रवार को एक डॉलर की कीमत 67.33 रुपये थी जो पिछले 15 महीनों के दौरान न्यूनतम स्तर है।