क्या राष्ट्रपति शासन की बात करना विधायकों को धमकी है

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मुंबई

महाराष्ट्र में 24 अक्तूबर को चुनाव परिणाम आए थे लेकिन आठ दिन बाद भी सरकार गठन को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। भाजपा और शिवसेना अपनी-अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं। दोनों ही पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर बयानों के तीर छोड़ रहे हैं। इसी बीच शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता से मुलाकात की। जिसे लेकर आशंका जताई जा रही है कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिश कर रही है।

वहीं भाजपा नेता ने जल्द सरकार गठन न होने की सूरत में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कही। जिसपर शनिवार को शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउस ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘सत्ताधारी पार्टी के एक नेता कह रहे हैं कि यदि सरकार गठन में देरी होगी तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। क्या यह चुने हुए विधायकों के लिए धमकी है?’

शरद पवार से मुलाकात को लेकर राउत ने कहा कि भाजपा शिवसेना को छोड़कर सब एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में जिस तरह की परिस्थिति पैदा हो गई है उसमें सभी राजनातिक पार्टियां एक-दूसरे से बात कर रही हैं। केवल शिवसेना-भाजपा बात नहीं कर रही हैं।’

बता दें भाजपा नेता सुधीर मुंगटीवार ने शुक्रवार को कहा कि यदि सात नवंबर तक सरकार नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। मुंगटीवार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘महाराष्ट्र की जनता ने किसी एक पार्टी को नहीं बल्कि महायुति (भाजपा-शिवसेना गठबंधन) को जनादेश दिया है। हमारागठबंधन फेविकोल और अंबुजा सीमेंट से ज्यादा मजबूत है। एक निश्चित समय के अंदर नई सरकार का गठन होना जरूरी है वरना राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना होगा।’