सिंधी सेंट्रल पंचायत में इसरानी का चला जादू

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  • सिंधी सेंट्रल पंचायत चुनाव : 11 पदों के लिए 23 उम्मीदवारों की दावेदारी और इसरानी फिर अध्यक्ष, हरीश महासचिव बने

TIO भोपाल

सामाजिक संस्था सिंधी सेंट्रल पंचायत के त्रिवार्षिक चुनाव में भगवानदेव इसरानी दोबारा अध्यक्ष बन गए हैं कुल 1२0 में से 973 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया। 82 फीसदी मतदान में अध्यक्ष पद के लिए अकेले इसरानी ने 75 फीसदी से अधिक मत मिले। उन्होंने 888 वोट हासिल कर विजय प्राप्त की। जीत के बाद इसरानी ने कहा नितेश लाल हारे महासचिव पद पर इसरानी पैनल के सभाग कि सिंधी समाज ने उन्हें दोबारा मौका देकर उन पर जो हरीश नागदेव ने 788 वोट से जीत हासिल की। इस पद रूप विश्वास जताया है, उसे वे हमेशा कायम रखेंगे। उन्होंने पर नितेश लाल को हार का सामना करना पड़ा। जबकि तामक कहा कि समाज को एक सूत्र में बंधने के लिए वे जल्द कोषाध्यक्ष पद पर इसरानी पैनल के प्रदीप आतंवानी जीते। ताम्रद ही एक एप बनवाएंगे। समाज के हर वर्ग के लिए शिक्षा उपाध्यक्ष के 4 पदों के लिए १ उम्मीदवार उपाध्यक्ष भेल व स्वास्थ्य के मामले में मजबूती देने का लक्ष्य रहेगा।

पद में इसरानी पैनल के किशोर तनवानी 700 अध्यक्ष पद पर मीनल कुकरेजा को 72 और मोहनलाल जगदीश साहिता 765, डीडी मेंघानी 754, मोहनलाल भोप तलरेजा को महज 11 वोट ही मिले। चुनाव अधिकारी लालवानी 700 वोट हासिल करके जीत गए। केएल दलवानी की निगरानी में मतदान हुआ। सचिव के 4 पदों के लिए 7 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें जि पुरुष प्रधान समाज समाज समर्पित पैनल की इसरानी पैनल के चारों उम्मीदवार जीते हैं इनमें दिनेश मी उम्मीदवार मीनल कुकरेजा ने हार के बाद सिंधी समाज को मेंघानी 775, ठाकुर पंजवानी 760, शंकर सचदेव 756, पुरुष प्रधान बताया। मीनल ने 1180 सदस्यों में महिलाओं रीता बजाज 747 मतों से विजयी रहे। पंचायत के 55 साल की संख्या 212 पर भी चिंता जाहिर की। के इतिहास में पहली बार महिला बतौर सचिव काम करेगी।

जीत का श्रेय सभी लोगों ने भगवान देव इसरानी को दिया है। आमतौर पर इस तरह के चुनाव समाजों में कम होते है। माहौल ऐसा बना था जैसे विधानसभा का चुनाव हो। समाज के सभी लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। देखने में ऐसा महसूस हो रहा था कि समाज आम आदमी से जुड़ा हुआ है वरना समाज के चुनाव तो बंद कमरे में हो जाते है पर समाज आम आदमी से जुड़ गया है जिसकी वजह से समाज की शक्ति सरकार को भी दिखने लगी है। समाज की एकजुटता के कारण सरकार अपने निर्णयों में समाज के लोगों को सलाह भी लेती है।