CAA: SC ने नागरिकता संशोधन कानून पर नहीं लगाई, केंद्र को जारी किया नोटिस

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नई दिल्ली

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कानून पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जरूर दाखिल किया है। इसके बाद अब कोर्ट को इन याचिकाओं में लगे आरोपों का कोर्ट में जवाब देना होगा। कोर्ट ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश और त्रिपुरा राजपरिवार से संबंध रखने वाले प्रद्योत किशोर देव बर्मन समेत कुल 59 याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए केंद्र को यह नोटिस जारी किया है।

सर्वोच्च न्यायालय में 59 याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिन्हें दायर करने वाले ज्यादातर राजनेता हैं जो सांसद या पूर्व सांसद हैं। इनमें जयराम रमेश और बर्मन के अलावा तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) आदि शामिल हैं। मामले में अगली सुनवाई अब 22 नजवरी को होगी।

नागरिकता संशोधन कानून में पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, जैन और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। ज्यादातर याचिकाओं में कानून को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताते हुए संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला बताया गया है।

जयराम रमेश की याचिका में नागरिकता संशोधन कानून-2019 को समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला और 1985 के असम समझौते के खिलाफ घोषित करने की मांग की गई थी। यह कानून सुप्रीम कोर्ट के सरबानंद सोनोवाल मामले में दिए गए फैसले का भी उल्लंघन करता है इसलिए इसे रद्द किया जाए।

याचिका में कहा है कि कोर्ट घोषित करे कि नागरिकता संशोधन कानून अंतरर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। यह कानून संविधान में प्राप्त बराबरी (अनुच्छेद 14) और जीवन (अनुच्छेद 21) के अधिकारों का सीधा उल्लंघन करता है। इस कानून को तैयार करने में संयुक्त संसदीय समिति की सात जनवरी, 2019 की रिपोर्ट की अनदेखी की गई है। इसके अलावा यह केंद्र सरकार, एएएसयू और एएजीएसपी के बीच 15 अगस्त, 1985 को हुए असम समझौते में फॉरेन नेशनल इश्यू के मुद्दे का उल्लंघन करता है।