राजधानी के चौराहों पर हनीट्रैप की चर्चा

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भोपाल TIO

चालान में बड़े लोगों के नाम सामने आने से प्रदेश में फिर चौराहों पर हनीट्रैप की चर्चा शुरू हो गई है लेकिन अब देखना होगा कि इस मामले का पूरा रहस्य उजागर होगा या नहीं यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा।  खासतौर से भाजपा सरकार में फले फूले इस गोरख धंधे के पूर्व मंत्री विधायक सांसदों का नाम पुलिस की फेहरिस्त में नहीं आया। कमलनाथ सरकार के दो मंत्रियों से जुड़े ओएसडी जरूर बेनकाब हुए हैं। लेकिन दलाल पत्रकारिता से जुड़े केवल दो ही नाम उजागर हुए हैं। भोपाल की विशेष अदालत में   मानव तस्करी मामले के चालान में एसआईटी ने रसूखदारों के नामों का उल्लेख तो कर दिया, लेकिन उनके खिलाफ अहम साक्ष्य होने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

इससे एसआईटी की जांच सवालों के घेरे में आ गई है। चालान में व्यवसायी अरुण सहलोत, मीडियाकर्मी गौरव शर्मा, वीरेन्द्र शर्मा, छतरपुर के थाना प्रभारी का जिक्र किया है। इनके अलावा एक आईएएस अफसर का भी जिक्र लेकिन चालान में नाम का खुलासा तक नहीं किया गया। इस मामले की पीड़ित और हनीट्रेप मामले में आरोपित मोनिका यादव ने 20 सितंबर को अपने बयान में रसूखदारों की भूमिका का खुलासा नामों के साथ कर दिया था। तीन महीने बीतने के बावजूद एसआईटी ने संबंधितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

मोनिका ने पुलिस को दिए बयानों में बताया था कि पत्रकार गौरव शर्मा ही ब्लैकमेलिंग द्वारा कमाई हुई रकम का हिसाब किताब रखता था, वही ब्लैकमेल के शिकार लोगों से पैसा वसूल करता था। आरती दयाल और श्वेता विजय जैन के साथ मिलकर व्यवसायी अरुण सहलोत, पत्रकार वीरेन्द्र शर्मा काम करते थे। छतरपुर का एक थानाप्रभारी मामले की आरोपित आरती दयाल का करीबी था जिसे आरोपितों के कामों की पूरी जानकारी थी। एसआईटी ने मामले के अहम किरदार पत्रकार गौरव शर्मा को पिछले तीन महीने से स्वतंत्र छोड़ रखा है जबकि शर्मा के पास उन सभी लोगों की जानकारी है।

जिनसे ब्लैकमेलिंग के जरिए मोटी रकम वसूली गई और महंगी जमीन के सौदे किए गए। एसआईटी इसे आरोपित बनाकर पूछताछ करती तो बड़े खुलासे हो सकते थे। लम्बे अंतराल में तो सबूत भी नष्ट किए जा सकते हैं जिनसे उन महंगे सौदों, सरकार के बड़े अफसरों के नाम उजागर हो सकते थे।

बयानों से यह भूमिका आई सामने

– आरोपित मोनिका यादव के बयानों के मुताबिक व्यवसायी अरुण सहलोत की श्वेता विजय जैन से अच्छी दोस्ती थी। सीनियर आईएएस पीसी मीणा का वीडियो भी वायरल करने में सहलोत की अहम भूमिका थी।

मोनिका यादव ने यह भी बताया कि पत्रकार वीरेन्द्र शर्मा के फ्लैट पर मीणा से 20 लाख स्र्पए की रकम ली थी।

– पत्रकार गौरव शर्मा भी हर लेन-देन में बराबर शामिल था। एक आईएएस से एक करोड़ की रकम लेकर आरती, श्वेता विजय और गौरव ने बराबर 33-33 लाख रुपए लिए थे।

यदि एसआईटी ने गिरफ्तार आरोपितों के बयानों के आधार पर उनके साथ शामिल रहे अन्य लोगों का नाम चालान में शामिल किए लेकिन उन्हें आरोपित नहीं बनाया है, तो अब मामला कोर्ट में पहुंच चुका है। कोर्ट को इसमें पर्याप्त सबूत नजर आते हैं तो उन्हें आरोपित बनाया जा सकता है। – सुभाष त्रिपाठी, रिटायर्ड डीजीपी

एसआईटी ने यदि सबूत मिलने के बावजूद आरोपितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है तो यह बेहद गंभीर है। जब गिरफ्तार आरोपितों ने इस मामले में शामिल अन्य लोगों के नामों का खुलासा कर दिया है तो एसआईटी को इस मामले में विस्तृत जांच कर सच सबके सामने लाना चाहिए। – अनुराग माहेश्वरी, सीनियर वकील

यदि मामले में गिरफ्तार आरोपितों ने अपने साथ शामिल लोगों के नाम लिए हैं तो एसआईटी को उनसे तुरंत पूछताछ कर कार्रवाई करनी चाहिए। जिनके नाम लिए जा रहे हैं जरूर उनकी कोई भूमिका रहेगी, तभी उनके नाम सामने आए हैं। इसे एसआईटी को स्पष्ट करना चाहिए। – एनके त्रिपाठी, रिटायर्ड डीजीपी