नई दिल्ली
दिल्ली चुनाव खत्म होते ही आम आदमी पर महंगाई का डबल अटैक हुआ है। बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर बुधवार से 144.5 रुपए महंगा हो गया। यह जनवरी 2016 के बाद सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। गैस कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को कीमतों में बदलाव करती हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इस बार दिल्ली चुनाव की वजह से एलपीजी की कीमतों में बदलाव 12 तारीख से लागू किया गया। दूसरी ओर खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में ज्यादा इजाफे की वजह से जनवरी में खुदरा महंगाई दर 7.59% पहुंच गई। यह पिछले 5 साल और 8 महीने में सबसे ज्यादा है। इससे पहले मई 2014 में 8.33% थी। अर्थव्यवस्था को भी दोहरा झटका लगा है। एक तरफ खुदरा महंगाई दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन घट गया। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती की वजह से दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन के इंडेक्स (आईआईपी) में 0.3% गिरावट आ गई। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने बुधवार को महंगाई दर और आईआईपी के आंकड़े जारी किए।
वस्तु | दिसंबर में महंगाई दर | जनवरी में महंगाई दर |
सब्जियां | 60.5% | 50.19% |
फल | 4.45% | 5.76% |
धान एवं संबंधित उत्पाद | 4.36% | 5.25% |
मांस-मछली | 9.57% | 10.50% |
अंडा | 8.79% | 10.41% |
दालें एवं संबंधित उत्पाद | 15.44% | 16.71% |
मसाले | 5.76% | 8.25% |
बिजली-ईंधन | 0.70% | 3.66% |
खुदरा महंगाई दर में लगातार छठे महीने इजाफा
जुलाई 2019 | 3.15% |
अगस्त 2019 | 3.28% |
सितंबर 2019 | 3.99% |
अक्टूबर 2019 | 4.62% |
नवंबर 2019 | 5.54% |
दिसंबर 2019 | 7.35% |
जनवरी 2020 | 7.59% |
खुदरा महंगाई बढ़ने से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम
आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरें तय करते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4-6% के दायरे में रहे। लेकिन, आरबीआई के लक्ष्य की ऊपरी सीमा को भी पार कर चुकी है। ऐसे में रेपो रेट में कटौती की उम्मीद और घट गई है। आरबीआई ने पिछली दो बैठकों में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।