मंत्री गोविंद सिंह ने तीर्थ दर्शन योजना को बताया फिजूलखर्ची, बोले – ऐसी योजनाएं वोटरों को लुभाने के लिए, इन्हें बंद कर देना चाहिए

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TIO इंदौर

सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने सरकार द्वारा धार्मिक आयोजन कराए जाने को लेकर सवाल खड़ा किया है। मंत्री के अुनसार मेरा व्यक्तिगत मानना है कि धार्मिक आयोजन करना सरकार का काम नहीं है। मैं सरकार के खर्च पर तीर्थयात्रा के खिलाफ हूं। इसमें खर्च होने वाली राशि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर लगाया जाना चाहिए।

उन्होंने मप्र सरकार की तीर्थदर्शन योजना को उन्होंने फिजूलखर्ची करार दिया है। साथ ही कहा कि लोग सरकारी योजना में भक्ति भाव से नहीं बल्कि घूमने-फिरने के लिए जाते हैं। उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि खुद की मेहनत के रुपयों से भगवान के दर पर जाएंगे तो उनके जीवन में खुशहाली आएगी। ऐसी योजनाएं विकास के बजाय सिर्फ वोटरों को लुभाने के लिए शुरू की गई हैं. अब उन्हें बंद किया जाना चाहिए।

हर अच्छे काम को बंद कर रही सरकार

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री ने इस पर कड़ी अपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि ये क्या भावनात्मक संबंधों को समझेंगे। जो सक्षम और समर्थ नहीं हैं, उन बुजुर्गों को तीर्थयात्रा करवाना पवित्र कार्य है। उन्हें तो हर अच्छे कामों को बंद करना है, वे यही कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने शुरू की थी तीर्थ दर्शन योजना
पूर्व की शिवराज सरकार ने तीर्थ दर्शन योजना शुरू की थी। इस योजना के जरिए प्रदेश के बुजुर्गों को धार्मिक यात्राएं करवाया जाना था। शिवराज सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को कमलनाथ सरकार ने अभी जारी रखा है। हालांकि इस सरकार में धार्मिक यात्रा पर रवाना होने वालीं पांच ट्रेनों को रोक दिया गया था। इस यात्रा में बुजुर्गों को वैष्णो देवी, रामेश्वरम, तिरुपति, काशी और द्वारका धाम के दर्शन करवाना था। इसके लिए आईआरसीटीसी काे 17 करोड़ का भुगतान करना था, जो नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया था। 15 फरवरी को वैष्णो देवी के लिए जाने वाली ट्रेन को निरस्त करने के बाद मंत्री ने इस योजना को बंद करने की बात ही कह दी।