कमलनाथ जी… कुछ तो गड़बड़ है..!

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राघवेन्द्र सिंह

सियासत को लोग हंसी-मजाक में सर्कस भी कहते हैं। मध्यप्रदेश के संदर्भ में यह इन दिनों ज्यादा मुफीद लगता है। कांग्रेस में लोग सरकार से भाजपा की तुलना में ज्यादा असंतुष्ट रहते हैं। पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर नजर डालें तो लगता है कि सत्ता के सर्कस में कुछ गड़बड़ जरूर है। कमलनाथ जैसे संजीदा मुख्यमंत्री के बावजूद मंत्री से लेकर विधायक, कार्यकर्ता और सहयोगी दल भी नाराज चल रहे हैं। गाहे-बगाहे उनका दर्द छलक भी जाता है। आईफा के खर्चीले आयोजन से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया, सज्जन सिंह वर्मा, अजय सिंह राहुल तक के बयान बताते हैं कि सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। एक मंत्री ने तो ग्वालियर में काम न करने वाले अधिकारी के पैर छूकर अपनी पीड़ा को बताने की लगता है सारी हदें ही तोड़ दीं।
टेलीविजन पर क्राइम पर आधारित शो सीआईडी बड़ा मशहूर है। इसमें एसीपी प्रद्युम्न सिंह और उनके सहयोगी दया के बीच का संवाद तो सबने सुना होगा जिसमें जांच के दौरान जब गुत्थी नहीं सुलझती दिखती तब साक्ष्यों और परिस्थितियों के आधार पर एसीपी प्रद्युम्न इंस्पेक्टर दया से यह कहते हैं कि दया कुछ तो गड़बड़ है।

प्रदेश की सरकार और विपक्ष के जो हालात हैं उसको लेकर सबको लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है। पिछले हफ्ते ही राज्यपाल की दिल्ली यात्रा होती है और उसके कुछ दिन बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को भाजपा हाईकमान दिल्ली बुलाता है। इसमें खास बात यह है कि चौहान को बुखार था, तबीयत खराब होने के बावजूद उन्हें लेने के लिए विशेष विमान भोपाल आता है। राज्यपाल का जाना और फिर चौहान का दिल्ली बुलौआ भी बताता है कि कोई खिचड़ी जरूर पक रही है। इसके पीछे लोकसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी लोगों पर इनकम टैक्स के छापे और उसकी रिपोर्टों को भी जोड़कर देखा जा रहा है। जानकार कहते हैं कि इसमें जो सूत्र मिले हैं वो अगस्ता हैलिकॉप्टर खरीदी के मामले में आर्थिक गड़बड़ियों को लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं को मुश्किल में डाल सकते हैं। आशंका तो यहां तक है कि जांच के पुख्ता सबूत कांग्रेस के किसी बड़े नेता की गिरफ्तारी तक पहुंच सकते हैं। आयकर छापे के दौरान ओएसडी प्रवीण कक्कड़ और आरके मिगलानी के पास से मिले दस्तावेजों की भाजपा खासतौर से दिल्ली के नेताओं में खूब चर्चा है।

इस मुद्दे पर कांग्रेस में गहरी पैठ रखने वाले दिल्ली से जुड़े एक पत्रकार भी कांग्रेस हाईकमान के निकट नेता के निकट भविष्य में फंसने की आशंका जता रहे हैं। इसके अलावा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों की एक फाइल दोबारा खोलने को भी मध्यप्रदेश सरकार के भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है। इसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ का भी जिक्र है। इन तमाम बातों को लेकर आयकर के साथ खुफिया एजेंसियां भी गंभीरता से काम कर रही हैं। इसीलिए राज्यपाल लालजी टंडन और शिवराज सिंह की दिल्ली यात्रा को जानकार हल्के में नहीं ले रहे हैं। इसी बीच प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के आक्रामक तेवर भी कमलनाथ सरकार के भविष्य को लेकर खास वजह का संकेत दे रहे हैं। उनका कहना है कि जल्द ही बदलाव हो सकता है। ऐसे घटनाक्रमों के बीच भाजपा नेताओं ने अपने किचन कैबिनेट के लोगों से कहा कि वो नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार रहें। हालांकि हरकोई जानता है कि सत्ता में बदलाव ऐलान करके नहीं होता।

गुपचुप, घात-प्रतिघात की तैयारी होती है और फिर अचानक पाला बदल का दौर शुरू हो जाता है। प्रदेश में राज्यसभा सदस्यों के चुनाव के आसपास कुछ गंभीर घटनाक्रम नजर आ सकते हैं।

एक तरफ तो भाजपा प्रदेश में तख्तापलट की तैयारी में लगी है और ऐसे में कांग्रेस का असंतोष उसे और उत्साहित करता है। मसलन, ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस के वचन पूरे न होने पर सड़क पर उतरने का ऐलान, सज्जन सिंह वर्मा का यह कहना कि सीएम की किचन कैबिनेट में अफसर हैं वहां कोई मंत्री, विधायक या जनप्रतिनिधि नहीं है, तबादलों में भी मंत्रियों का दखल नहीं। हालांकि बाद में उन्होंने इस पर सफाई भी दी। लेकिन निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता। ऐसे में काम नहीं करने वाले अफसरों में से ग्वालियर में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने तो पैर छूकर पूरी सरकार को ही शर्मिंदगी में डाल दिया। बाद में उनकी दलील है कि वो राम के अनुयायी हैं। जैसा उन्होंने समुद्र से रास्ता देने के िलए तीन दिन विनती की थी, उसके बाद उसे सुखाने के लिए तीर निकला था। उसी तरह पैर छूकर उन्होंने कोई गलती नहीं की है। अगर ग्वालियर की सफाई नहीं हुई तो उनके तरकश में भी तीर है जिन्हें वो चलाने से नहीं चूकेंगे।

हालांकि वरिष्ठ मंत्री गोविंद सिंह ने इस घटना पर दुख जताया है और कहा है कि यह ठीक नहीं है। ऐसे ही गृह मंत्री बाला बच्चन, लाखन सिंह यादव ने भी पैर छूने को उचित नहीं माना है। भाजपा इसे कमलनाथ सरकार का सर्कस बता रही है। अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह का यह कहना कि वो तो बेरोजगारों के िलए रोजगार और किसानों के लिए सिंचाई आदि से लेकर काफी काम करना चाहते थे लेिकन सरकार में कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस मामले में जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सरकार का बचाव करने की रस्म अदा की है। उनका कहना है कि ऐसा कोई मंत्री और अफसर नहीं है जो अजय सिंह के बताए गए काम को न करे। सबको याद होगा कि कुछ महीने पहले महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने एक अधिकारी के तबादले संबंधी आदेश को निकालने में लाचारी प्रकट करते हुए कहा था कि इसमें तो पैसे खर्च होंगे, ऐसा करते हैं निलंबित किए देते हैं।

सहयोगी दलों में बसपा की विधायक रामबाई भ्रष्ट अधिकारियोें से पंचायत कर रिश्वत वापसी कराने के साथ रॉबिन हुड की तरह चर्चा में आई थीं। उन्होंने भी कहा कि कमलनाथ जैसे अनुभवी नेता के बाद भी अधिकारी जनप्रतिनिधि और जनकल्याण की अनदेखी कर रहे हैं। रायसेन जिले के एक नेता हाकिम सिंह रघुवंशी फेसबुक पर लिखते हैं कि कमलनाथ जी आपके मंत्री सच्चे हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं को पहचानने में कच्चे हैं। ऐसे ही कांग्रेस के एक नेता कांग्रेस कार्यालय में लंबे समय बाद जब आते हैं तब उनके लोग पूछते हैं कि पार्टी सरकार में आ गई है, अब तक आप कहां थे। उनका जवाब हकीकत बयां करता है। उनका कहना था कि मैं अभी तक राज्य में सरकार को ढूंढ रहा था। जब वो नहीं मिली तब पीसीसी आया हूं। यह कुछ वो घटनाएं हैं जिन्हें आपसे साझा कर रहे हैं। सब कुछ देखकर लगता है तो कमलनाथ जी कुछ तो गड़बड़ है।

दीपक की दुश्मनी तो सत्ता के अंधेरे से है…
अब यह गड़बड़ क्या है ? इसे ढूंढकर इलाज करना सरकार और पीसीसी का जिम्मा है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया जरूर इसका हल तलाश रहे हैं। उनके पास कुछ नुस्खे भी हैं जो उन्होंने संगठन और सत्ता को बताए भी। इनमें खास यह है कि जो चुनाव लड़कर हार चुके हैं उन्हें संगठन और सरकार में जिम्मेदारी देने की बजाए ऐसे लोगों को काम सौंपा जाए जो चुनाव में न तो टिकट पा सके हैं और न संगठन में अपने हाथ आजमा सके हैं। आने वाले दिनों में हो सकता है कि बाबरिया के फार्मूले पर अमल दिखाई दे या फिर प्रभारी पद से उनकी विदाई भी हो जाए। सरकार की चली तो विदाई के आसार ज्यादा हैं। कांग्रेस के ताजा हालात मैं बावरिया के लिए एक शेर बड़ा मौजू है-
” मैं दीपक हूं मेरी दुश्मनी अंधेरे से है,
 हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ है”…
लेखक IND24 के
प्रबंध संपादक हैं