नई दिल्ली
संसदीय स्थायी वित्त समिति ने केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) को यह भी कहा है कि वह खर्च के बजट अनुमान और संशोधित अनुमान के बीच के बड़े अंतर को ध्यान में रखते हुए आवश्यक धन का वास्तविक आकलन करे। समिति ने एमओएसपीआई पर अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य की तरफ भी ध्यान दिलाया है कि सांसद निधि में लंबे समय से कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को संसद में पेश की गई।
समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि अधिकतर राज्यों में विधायकों को विधायक निधि के तौर पर 4 करोड़ रुपये सालाना खर्च करने का मौका मिलता है। एक लोकसभा क्षेत्र के दायरे में 5 से 7 विधायक आते हैं। ऐसे में उनके मुकाबले सांसद निधि ऊंट के मुंह में जीरा समान होती है और सांसदों के लिए जनता की मांग को पूरा करने में बाधक भी बनती है। इसके चलते सांसद निधि को दोगुना या तीन गुना किया जाना चाहिए।
ऐसे दिया आकलन
वित्त वर्ष | बजट आकलन | संशोधित आकलन | वास्तविक खर्च |
2018-19 | 4859 करोड़ | 4928 करोड़ | 4897 करोड़ |
2019-20 | 5231 करोड़ | 5231 करोड़ | 3469 करोड़ |
ऐसे बताया अंतर
- 3464 करोड़ रुपये है 2019 का वास्तविक खर्च
- 5444 करोड़ रुपये का है 2020-21 के लिए बजट आकलन
- 1980 करोड़ रुपये का अंतर बताता है मंत्रालय की खर्च अक्षमता