सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने फ्लोर टेस्ट जल्दी कराना जरूरी

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  • सीएम हाउस में आज सन्नाटा,   कमलनाथ ने डीजीपी समेत अफसरों को तलब किया
  • कमलनाथ ने सुबह से दिल्ली में नेताओं से फीडबैक लिया, कानून विशेषज्ञों के लगातार संपर्क में
  • अब भाजपा और कांग्रेस की रणनीति- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही अगली योजना पर अमल करेंगे

TIO भोपाल

मध्यप्रदेश के सियासी संकट पर उच्चतम न्यायालय में एक बार फिर सुनवाई शुरू हो गई है। स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें देते हुए कहा कि अदालत बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए उन्हें दो सप्ताह जितना पर्याप्त समय दे। जिसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बागी विधायकों से बात होगी तो क्या उनके इस्तीफे स्वीकार हो जाएंगे तो सिंघवी ने कहा कि यह संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर लगी याचिका में स्पीकर एनपी प्रजापति के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश की जा रही है। बार-बार फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है। दलबदल कानून से बचने के लिए नया तरीका अपनाया गया है, 16 विधायकों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी। बाद में सरकार बनने पर ये 16 विधायक इसका फायदा उठाएंगे। वकील ने कहा कि विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने के लिए स्पीकर को 2 हफ्ते का समय दिया जाए। जिस्टस चंद्रचूड़ ने इस पर कहा कि हम विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं। इस पर उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्पीकर की विधायकों से बात करने का सुझाव भी दिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यवेक्षक बैठाने की भी बात कही। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने शुरू की दलीलें
स्पीकर की तरफ से अदालत में पेश हुए सिंघवी ने अपनी दलीलें शुरू करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय भी स्पीकर के विवेक को निरस्त नहीं कर सकता है। स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल दिया जा रहा है और केवल बहुमत परीक्षण की बात कही जा रहा है। विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने का अधिकार केवल स्पीकर को है। जिसपर जस्टिस डीवीई चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि स्पीकर फैसला नहीं लेता है तो क्या करना चाहिए।

सिंघवी ने कहा कि नई सरकार को ये बागी विधायक फायदा दे सकते हैं। विधायकों के इस्तीफे स्वीकार न करने पर सिंघवी ने कहा कि आप कुछ समय दे दीजिए। विधायकों को नोटिस जारी कर दिया गया है। यदि विधायक बागी होते तो उन्हें कर्नाटक क्यों ले जाना पड़ता। 200 पुलिसवाले कांग्रेस के विधायकों को दबाकर रख रहे हैं। वहीं कमलनाथ ने कहा कि उनकी बहुमत की सरकार है और विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि यदि विधायक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे तो क्या उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाएंगे?

 

मध्य प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच सीएम हाउस सत्ता बचाने का केंद्र बना हुआ है। हालांकि, गुरुवार को यहां सन्नाटा पसरा रहा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सुबह डीजीपी विवेक जौहरी समेत कुछ अफसरों को तलब किया। सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर होने वाली सुनवाई पर हैं। सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही मुख्यमंत्री अपने पत्ते खोलेंगे।

कमलनाथ इस पूरे ऑपरेशन की बागडोर खुद संभाले हैं। वे सीएम हाउस से सारी रणनीति तैयार करते हैं और उसे अंजाम देने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपते हैं। मुख्यमंत्री सबसे पहले कानूनी विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करते हैं, इसके बाद दिल्ली में नेताओं से फीडबैक लेते हैं। विधायकों को साधने के लिए भी कमलनाथ फॉर्मूले निकाल रहे हैं।

विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर स्पीकर के पास अधिकार है, इसमें दखल की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सदन में विधायकों के अनुपस्थित होने पर भी सवाल उठाए। दलबदल कानून से बचने के लिए इस्तीफे का तरीका अपनाया जा रहा है। नई सरकार में ये 16 लोग फायदा ले लेंगे।

वीडी शर्मा बोले, न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे

मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि हुड़दंग गैंग ने बेंगलुरु में जाकर हुड़दंग करने का प्रयास कि या है। जैसा कि पहले उनके मंत्री कर चुके हैं। मप्र में जिस तरह से आंदोलन करने का प्रयास कि या। भाजपा के कार्यकर्ता लड़ाई लड़ना ही नहीं जानते, उनको जवाब देना भी जानते हैं। लेकि न हम सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास रखते हैं। पूरे घटना की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है और कल भी चलेगी। कोर्ट का जो भी आदेश होगा। उसका पालन करने का प्रयास भाजपा करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी कह रहे है कि हम कोरोना वायरस के कारण विस की कार्रवाई में शामिल नहीं हो रहे हैं। लेकि न आंदोलन के लिए सड़कों पर जमा हो रहे हैं।

चाहता तो 15 महीने पहले ही सीएम बन जाता : शिवराज सिंह चौहान

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा अगर मैं चाहता तो उसी समय (15 महीने पहले) मुख्यमंत्री बन जाता। लोग (विधायक) भी आ रहे थे पर हमने ही कहा, आपकी अधिक सीटें आई हैं आप सरकार बनाओ। सीहोर के रिसॉर्ट में मीडिया से बातचीत में चौहान ने कहा कि भाजपा ने पहले ही कहा था कि इस सरकार को गिराएंगे नहीं। कांग्रेस अपने अंतर्विरोधों के कारण गिर जाए तो कुछ नहीं किया जा सकता है। चौहान ने कहा कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अपने परिवार को मंत्रिमंडल में ले लिया। बेटा, भतीजा सब शामिल हो गए। वरिष्ठों की किसी ने नहीं सुनी और आज हम पर आरोप लगाते हैं कि माफियाओं के कारण भाजपा सरकार गिरा रही है। जनता की अदालत में दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री कमल नाथ को जवाब देना पड़ेगा। कांग्रेस ने बहुमत खो दिया है, अल्पमत में आ गई है।

सीएम कमल नाथ का आरोप, 16 विधायक पुलिस के पहरे में कैद

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बेंगलुरू में मौजूद 16 विधायकों को लेकर कहा, ‘मैं सुबह से कर्नाटक के मुख्यमंत्री समेत देश के गृह मंत्री को फोन लगा रहा हूं लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। यहां तक कि मेरे फोन का जवाब तक नहीं आया। हम तो आज भी चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट हो, लेकिन नियम प्रक्रिया व संविधान के अनुसार हो। मीडिया से चर्चा में नाथ ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा है कि अगर उसे लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है तो वह विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाए। उसे विधानसभा में पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव लाना था। उन्होंने तंज कसा कि ऐसा नहीं होता कि कोई सड़क पर खड़े होकर कह दे कि सरकार के पास बहुमत नहीं है तो क्या यह सही है? मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा कहती है कि हम अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएंगे, आप विश्वास प्रस्ताव लाओ। हमारा 15 महीने से बहुमत बना हुआ हैं। कमल नाथ ने कहा कि भाजपा 16 विधायकों को वापस लाने में घबरा रही है, उन्हें पुलिस के पहरे में कैद कर रखा है।