कोरोना वायरस: देश के 21 राज्यों में 274 मरीज, कहां कितने पूरी लिस्ट

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  • सबकुछ ठीक रहा तो देश में कोरोना वायरस का इलाज 6 महीने में: सिप्ला
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नई दिल्ली

कोरोना वायरस का कहर दुनिया के साथ-साथ भारत में भी बढ़ता जा रहा है। सरकारी आंकड़ों में अब तक 274 मामले सामने आए हैं। इसमें से 38 विदेशी हैं। 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है। भारत सरकार की तरफ से लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है, फैलने से रोकने के लिए कई कदम भी उठाए गए हैं। विदेशों में फंसे भारतीयों को भी सरकार वापस ला रही है। अबतक कहां कितने मामले सामने आए

राज्य पॉजेटिव केस (भारतीय) पॉजेटिव केस (विदेशी) डिस्चार्ज मौत
1. दिल्ली 16 1 2 1
2. हरियाणा 4 14
3. केरल 33 7 3
4. राजस्थान 21 2 3
5. तेलंगाना 10 9 1
6. उत्तर प्रदेश 22 1 9
7. लद्दाख 10
8. तमिलनाडु 3 1
9. जम्मू-कश्मीर 4
10. पंजाब 6 1
11. कर्नाटक 15 1 1
12. महाराष्ट्र 59 3 1
13. आंध्र प्रदेश 3
14. उत्तराखंड 3
15. ओडिशा 2
16. प. बंगाल 2
17. छत्तीसगढ़ 1
18. गुजरात 9
19. पुड्डुचेरी 1
20. चंडीगढ़ 5
21. मध्य प्रदेश 4
22. हिमाचल प्रदेश 2
236 38 23 4

सरकार ने जारी किए हैं हेल्पलाइन नंबर
कोरोना से जुड़ी कोई जानकारी लेने या देने के लिए हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 पर फोन किया जा सकता है। इसके अलावा हर राज्य ने अपना हेल्पलाइन नंबर जारी किया हुआ है।

स्वास्थ्य समस्याओं खासकर सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों और फ्लू के बेहतर इलाज का ईजाद करने वाली भारतीय औषधि कंपनी सिप्ला अगले छह महीने में अभी तक लाइलाज कोरोना वायरस के इलाज की दवा पेश कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो सिप्ला कोरोना वायरस की दवा ईजाद करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन सकती है। इसके लिए कंपनी सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर कोरोना की दवा विकसित करने के साथ ही इस बीमारी में सांस लेने से संबंधित तकलीफों में ली जाने वाली दवा, अस्थमा में ली जाने वाली, एंटी वायरल दवाओं तथा एचआईवी की दवाओं के इस्तेमाल पर भी प्रयोग कर रही है। देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक इसके 259 मामले सामने आ चुके हैं।
फेफड़े की सूजनरोधी दवा वितरित
सिप्ला के प्रमोटर यूसुफ हामिद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘हम अपने तमाम संसाधनों को देश के फायदे के लिए झोंकना राष्ट्रीय कर्तव्य मान रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने इन दवाओं का उत्पादन दोगुना कर दिया है। सिप्ला ने स्विट्जरलैंड की कंपनी रोचेज की सूजनरोधी दवा एक्टेमरा को भारत में पहले ही वितरित कर चुकी है, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के इलाज में किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीय चिकित्सा जगत फैसला करता है तो कंपनी के पास और भी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

मायने रखती है सिप्ला की पहल
सिप्ला की पहल मायने रखती है, क्योंकि सांस लेने में तकलीफ, एंटी फ्लू तथा एचआईवी से जुड़ी समस्याओं के इलाज में इस कंपनी का योगदान बेहद उल्लेखनीय है। वर्तमान में कोरोना के मामले में ये दवाएं असरदार साबित हो सकती हैं। फिलहाल कोविड-19 का कोई इलाज नहीं है, जबकि एचआईवी, एंटी-वायरल तथा एंटी मलेरियल दवाओं से इसका इलाज हो रहा है। दुनियाभर में कोरोना से 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

कच्चे माल का उत्पादन चुनौती
नए दवाओं पर प्रकाश डालते हुए हामिद ने कहा कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए एंटी वायरल कंपाउंड जैसे -फेविपिराविर, रेमिडेसिविर तथा बोलैक्सेविर का उत्पादन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर इन तीनों दवाओं के लिए कच्चे माल को किस तरह बनाया जाए। हामिद ने कहा कि कच्चे माल का उत्पादन करने के बाद दवा लाने में छह महीने का वक्त लगेगा।