- तीन महीने टर्म लोन की किश्त नहीं चुकाने पर डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा
- वर्किंग कैपिटल पर ब्याज के भुगतान में भी 3 महीने की छूट, कंपनियों को राहत मिलेगी
- छूट का मतलब यह नहीं कि बकाया कभी चुकाना नहीं होगा, सिर्फ तीन महीने का समय दिया है
TIO मुंबई
कोरोनावायरस संकट के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने रेपो रेट में 0.75% की कटौती का ऐलान किया। साथ ही यह भी कहा कि टर्म लोन की ईएमआई चुकाने में 3 महीने की छूट मिलेगी। कोविड-19 की वजह से बैंकों के कर्ज भुगतान में डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई थी। लेकिन, आरबीआई साफ कहा है कि तीन महीने किश्त नहीं आने पर डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। कोई रेटिंग एजेंसी बैंकों की रेटिंग नहीं घटाएगी।
शक्तिकांत दास के ऐलान के 4 पॉइंट
1. टर्म लोन से छूट
- सभी बैंकों के टर्म लोन की किश्त के भुगतान से 3 महीने की छूट मिलेगी।
- शेयर बाजार की गिरावट से बैंक डिपॉजिट पर असर नहीं होगा, ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रहेगा।
2. रेपो रेट घटी
- रेपो रेट अब 5.15% से घटकर 4.4% हो गई है। इससे सभी तरह के कर्ज सस्ते होंगे। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के 6 में से 4 सदस्यों ने रेट कट के पक्ष में वोट किया था।
- कोविड-19 की वजह से दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। कोविड-19 का असर कितना होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता। हालांकि, क्रूड की कीमतें घटने से कुछ राहत मिलेगी।
3. सीआरआर भी कम हुई, बैंकों में नकदी बढ़ेगी
- कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) 1% घटाकर 3% किया गया। सीआरआर घटने से बैंकों के पास ज्यादा नकदी रहेगी।
- आरबीआई ने जो कदम उठाए हैं, उनसे सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी बढ़ेगी।
- सभी बैंकों के टर्म लोन की किश्त के भुगतान से 3 महीने की छूट मिलेगी।
4. सरकार ने कई कदम उठाए
- सभी नियमों और सरकार की सलाह का पालन करें तो कोविड-19 से मुकाबला कर पाएंगे।
- देश की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के असर से बचाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए।
- आरबीआई की कोशिश रहेगी कि सिस्टम में नकदी की कमी नहीं हो। बैंक और वित्तीय संस्थानों को जरूरतमंदों को नकदी मुहैया करवाने पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
- कोविड-19 के चलते जीडीपी और मंहगाई दर के आउटलुक को लेकर फिलहाल अनिश्चितता है।
ईएमआई में तीन महीने की छूट के क्या मायने?
किश्त चुकाने में छूट का मतलब यह नहीं कि आपको कभी चुकानी नहीं पड़ेगी, बस तीन महीने टाल सकते हैं। बाद में भुगतान करना होगा। यह कदम इस मकसद से उठाया गया है कि लॉकडाउन की वजह से जिनके पास वाकई नकदी की कमी होती है तो उन्हें कर्ज के भुगतान में कुछ समय मिल जाए। विशेषज्ञों की राय है कि वेतनभोगी या जिनके पास पर्याप्त नकदी है उन्हें ईएमआई समय पर ही चुकानी चाहिए, नहीं तो उन पर ही बोझ बढ़ेगा।
देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है
सरकार ने भी गुरुवार को 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसमें गरीब, किसान, मजदूर, महिला, बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगों को राहत के ऐलान किए गए थे। कोरोनावायरस की वजह से देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। इससे अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हो रहा है।