मुंबई
इकोनॉमी पर कोरोनावायरस का असर कम करने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट में 0.75% कटौती की है। रेपो रेट अब 5.15% से घटकर 4.40% रह गया है। यह 15 साल में सबसे कम है। रेपो रेट से जुड़े सभी कर्ज अब 0.75% सस्ते हो जाएंगे। आरबीआई ने अक्टूबर 2019 से ब्याज दरों को रेपो रेट किसी बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना अनिवार्य कर दिया था। एसबीआई समेत प्रमुख बैंकों ने रेपो रेट का ही विकल्प चुना था। रेपो रेट घटने से कर्ज तो सस्ते होंगे लेकिन, एफडी की ब्याज दरें भी घटेंगी। रेपो रेट में कटौती को ऐसे समझें…
रेपो से लिंक लोन वाले ग्राहकों की ईएमआई कब से कम होगी?
एसबीआई के रेपो रेट से जुड़े कर्ज वाले ग्राहकों की ईएमआई अप्रैल से कम होगी। क्योंकि, रेपो से जुड़ी ब्याज दरों के हर तीन महीने में रीसेट किया जाता है। एसबीआई ने पिछली बार 1 जनवरी को की थीं। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है।
एमसीएलआर बेस्ड लोन वाले ग्राहकों को भी फायदा मिलेगा?
रेपो लिंक लोन के साथ ही बैंकों की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेडिंग (एमसीएलआर) आधारित लोन की पुरानी व्यवस्था भी चल रही है। इसमें रेपो रेट घटने का पूरा फायदा नहीं मिलता, क्योंकि इस व्यवस्था में बैंकों के लिए बाध्यता नहीं कि वे रेपो रेट घटते ही तुरंत रेट कट करें और उतना ही करें जितना आरबीआई ने किया है। रेट घटाने के बाद भी फायदा मिलने में लंबा वक्त लगता है, क्योंकि एमसीएलआर वाले ज्यादातर लोन एक साल में रीसेट होते हैं। एसबीआई का एक साल का एमसीएलआर अभी 7.75% है।
क्या एमसीएलआर वाले ग्राहक रेपो पर शिफ्ट हो सकते हैं?
अपने लोन की ब्याज दरें चेक करें। अगर रेपो रेट से लिंक लोन फायदेमंद लग रहा है तो इस पर शिफ्ट हो सकते हैं। इसके लिए बैंक कुछ फीस लेते हैं।