TIO भोपाल
मध्य प्रदेश में मंगलवार को 17 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं। अब तक 64 संक्रमित केस हो गए हैं। सीएमएचओ इंदौर के अनुसार, इंदौर से भेजे गए सैंपल में ये नए मामले पा गए। इनमें इंदौर, उज्जैन समेत मालवा-निमाड़ के अन्य जिलों के मरीज शामिल हो सकते हैं। अभी पूरी डिलेट नहीं आई है। वहीं, प्रदेश के दूसरे राज्यों से सटी सीमाओं को सील किए जाने से 23 हजार से ज्यादा मजदूर बॉर्डर पर फंसे हैं। यह लोग भूखे-प्यासे तेज धूप में बच्चों समेत प्रशासन के आगे घर तक जाने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। करीब 10 जिलों की सीमाओं पर डॉक्टरों, नर्साें और पुलिस की टीम ने इनकी जांच की, जो संदिग्ध मिले, उन्हें बॉर्डर पर ही बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटरों में 14 दिन के लिए रख दिया गया। इदौर में हालत नाजुक स्थिति में पहुंच गई है। हालांकि, राहत की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में 10 मरीजों की हालत में सुधार होने का दावा किया है। इनमें जबलपुर 6, ग्वालियर 1 और भोपाल के तीनों मरीज शामिल हैं। प्रदेश में संक्रमण से अब तक कुल 5 लोगों की मौत हुई है। इनमें इंदौर 3, उज्जैन 2 लोग शामिल हैं।
भोपाल में कोरोना वायरस के 2 नए मरीज मिले
भोपाल में कोरोना वायरस के 2 नए मरीज सामने आए हैं। इनमें 21 साल का एक युवक भी बताया जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बोल रहे हैं कि अभी कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इसके साथ ही भोपाल में पॉजिटिव मरीजों की संख्या 5 हो गई है। इंदौर में 17 नए मरीज सोमवार को मिले हैं।प्रदेश में अब तक 66 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है।
भोपाल को चार जोन में बांटा गया
कोरोना संक्रमण से देश में 27 राज्य प्रभावित हैं। इसमें मध्य प्रदेश दसवें नंबर पर है। लेकिन, शहरों की बात करें तो 24 मार्च तक कोरोना मुक्त रहा इंदौर बीते पांच दिनों में देश के सबसे संक्रमित शहरों की सूची में आठवें नंबर पर आ गया है। केरल में देश का पहला मरीज 30 जनवरी को सामने आया था। महाराष्ट्र और दूसरी जगहों पर मार्च के पहले और दूसरे हफ्ते में मरीजों का आना शुरू हुआ। इंदौर में मरीज बढ़ने की रफ्तार जो रविवार तक 380% थी, वह अब 540% हो गई है।
संक्रमण को रोकने के लिए भोपाल शहर को चार जोन में बांट दिया गया है। नया शहर, पुरानी भोपाल, बैरागढ़ और कोलार को अलग-अलग किया गया। प्रशासन ने ये निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि पुराने शहर के कई इलाकों में अभी लोग एहतियात नहीं रख रहे हैं। उन्हें समूहों में बैठे और घूमते हुए देखा जा रहा है। इंदौर में भी ऐसी ही स्थिति के बाद एकाएक संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने का एक कारण माना जा रहा है। मंगलवार से लागू हो रही व्यवस्था से लोग एक जगह से दूसरे स्थानों पर नहीं जा सकेंगे। शहर में बैरिकेड्स लगाने का काम शुरू हो गया है। जो लोग नियमों को नहीं मानेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पास वालों और जरूरी सामान की आपूर्ति करने वालों को आने-जाने की अनुमति दी जाएगी। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने शहर में आज से चारपहिया वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया। मंगलवार सुबह से शहर और सीमा पर इसका सख्ती से पालन कराया जा रहा है।
दतिया : 8 माह की गर्भवती हूं, 500 किमी दूर से आ रही हूं, मुझे जाने दें
उप्र सीमा में चिरूला के पास बैरिकेड्स लगा दिए गए थे। इससे ग्वालियर-दतिया की ओर से झांसी की ओर जाने वाले एक किमी के रूट पर कई वाहन फंस गए। यहां फंसे लोगों में हरियाणा के रेवाड़ी से पैदल मऊरानीपुर आ रही गर्भवती महिला पूजा भी शामिल थी। वह दो दिन पहले हरियाणा के रेवाड़ी से पैदल चली थी। महिला ने पुलिस से विनती की कि वह आठ माह से गर्भवती है। मैं 500 किमी दूर से पैदल आ रही है। मुझे जाने दें। यहां हजारों मजदूरों से भरे वाहनों को सिंध नदी के पास दतिया प्रशासन ने जिले की सीमा में घुसने से रोक दिया। मजदूरों का कहना था या तो उन्हें जाने दिया जाए, अन्यथा वो नदी में ही कूद जाएंगे।
टीकमगढ़: आवागमन नहीं रुका, ठूंस-ठूंस कर मजदूरों को भेजा जा रहा
यहां मजदूरों का पलायन जारी है। लोग महानगरों से अब अपने गांव की ओर जा रहे हैं। निवाड़ी, टीकमगढ़ जिले में करीब 10 चेक पोस्ट बनाए गए हैं। जहां बाहर से आने वाले करीब 20 हजार मजदूरों की स्क्रीनिंग की गई। जतारा क्षेत्र से लगे यूपी बार्डर से आने वाले लोगों की नगरीय प्रशासन ने घर जाने की बजाय स्कूल में ही रुकने की व्यवस्था की है। इससे गांव में फैलने वाली बीमारी को कंट्रोल किया जा सके। हालांकि जतारा के अलावा ज्यादातर जगह रुकने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसके चलते आवागमन नहीं रुक रहा है।
शिवपुरी: बच्चा गोद में, तपती धूप में नंगे पैर सफर कर रही मां
घर पहुंचने की जद्दोजहद में हजारों लोग भटक रहे हैं। सुरक्षित घर पहुंचने के लिए लोग सैकड़ों किमी का सफर पैदल ही तय करने को मजबूर हैं। इन्हीं में शामिल हैं बैराड़ की कुसुम आदिवासी। वे अपने तीन साल के बच्चे को गोद में लिए सोमवार को शिवपुरी पहुंचीं। उनके साथ कई आदिवासी परिवार थे जो भिंड जिले में आलू खुदाई का काम करने गए थे। लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया तो खाने के लाले पड़ गए। मजबूर होकर सभी आदिवासी परिवार भिंड से पैदल ही निकल पड़े। जैसे-तैसे दतिया पहुंचे। वहां से किसी तरह कोटा-झांसी फोरलेन आए, फिर ट्रक में बैठकर कोटा नाके के आगे एप्रोच रोड पर उतर गए। यहां से 17 किमी पैदल चलकर शिवपुरी आए। कुसुम को बैराड़ जाना है। इसलिए वे अन्य आदिवासियों के साथ बच्चे को गाेद में लिए पैदल ही आगे बढ़ गईं। करीब 70 किमी का सफर नंगे पैर ही तय कर रही हैं। कुसुम का कहना है कि घर पहुंच जाएंगे तो जैसे-तैसे जी लेंगे। बाहर तो मजदूरी बंद होने से भूखे मरने की नौबत आ गई थी। अभी हजारों लोग लगातार आते जा रहे हैं।
रायसेन: लॉकडाउन से रोजी-रोटी छिनी, राशन के लिए मोहताज मजदूर
लॉकडाउन से सबसे अधिक परेशानी मजदूर उठा रहे हैं। वे अपने गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश समेत बड़े शहरों में रहने लगे थे। लेकिन, लॉकडाउन के बाद उनकी मजदूरी छिन गई। वे राशन के लिए मोहताज हो गए तो गांवों की तरफ पलायन करना शुरू कर दिया। जिसको जो साधन मिल रहे हैं, उससे वे घरों तक पहुंच रहे हैं। जिन्हें कोई साधन नहीं मिल पा रहे तो वे साइकिल से तो कहीं पैदल ही जा रहे हैं। जिला भाजपा कार्यालय में सोमवार को भी ऐसे लोगो की सेवा की गई। सामान खरीदी के लिए लोग सुबह 6 से 11 बजे तक ही घरों से बाहर निकल सकेंगे। इसमें उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते रहना होगा। कलेक्टोरेट में पहुंचने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जा रही है। वहां तैनात पुलिस कर्मी और कर्मचारियों द्वारा लोगों को दूर खड़े होने के लिए टोका जा रहा है। इसके अलावा सभी चैनल गेट बंद रखे जा रहे हैं। वहां कर्मचारी भी तैनात है।
भिंड में बरती जा रही लापरवाही
लॉकडाउन को भिंड जिले में काफी हल्के में लिया जा रहा है। सोमवार को एनएच-92 की भिंड-इटावा रोड पर चंबल नदी के दोनों ओर एमपी और यूपी पुलिस ने बॉर्डर नाके लगाए। लेकिन दोनों ही नाकों पर लोगों को रोकने की सिर्फ खानापूर्ति नजर आई। सीमावर्ती इटावा जिले के बढ़पुरा थाना के टीआई अंजन कुमार सिंह चेक पोस्ट पर बैठे हुए थे। वे मीडिया के सामने तो जरूर लोगों को बॉर्डर सील होने और आगे न जाने के निर्देश देते नजर आए। लेकिन, बाद में व्यवस्थाएं शिथिल रहीं। कुछ ऐसी ही स्थिति चंबल नदी के दूसरी तरफ भिंड जिले की सीमा में लगे चेक पोस्ट पर नजर आई। यहां पुलिस का कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं था। लोगों से महज पूछताछ के बाद उन्हें बॉर्डर पार कराया जा रहा था। खास बात तो यह थी कि एमपी सीमा में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच पल्स मीटर से की जा रही थी।