लक्षमण कथा पार्ट-1 जब हमने ‘रामायण’ के लक्ष्मण को बना दिया आइसक्रीम वाला..!

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संजीव शर्मा

‘रामायण’ के लक्ष्मण आइसक्रीम बेच रहे हैं !!!.. चौंकना लाजमी हैं, हम भी 27 साल पहले यह ‘एक्सक्लूसिव’ जानकारी पाकर आश्चर्य में पड़ गए थे। यह खबर मैंने 7 अप्रैल 1993 को लिखी थी और देशबंधु के भोपाल संस्करण में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुई थी। ये वो दौर था जब  सोशल मीडिया का जन्म भी नहीं हुआ था क्योंकि फेसबुक का संभवत 2006 में और उसके भाई-बहन व्हाट्सएप – ट्विटर का भारत में पदार्पण भी इसी वर्ष से लेकर 2010 के दरम्यान हुआ है। सोचिए,यदि उस समय आज की तरह सोशल मीडिया की मारामारी होती तो रामानंद सागर की ‘रामायण’ के लक्ष्मण यानि अपने भोपाल के सुनील लहरी शायद अपने आइसक्रीम पार्लर का शटर बाद में खोल पाते, उसके पहले सोशल मीडिया के सहारे उनकी दुकान के सामने हजारों लोगों की भीड़ जमा होती..और शायद ‘मोजो के बाईट-वीरों’ के कारण उन्हें अपना पार्लर बंद भी करना पड़ जाता ।
नब्बे के दौर में सूचनाएं जुटाना इतना आसान नहीं था और न ही सूचनाओं के इतने स्त्रोत थे इसलिए जैसे पुलिस के खबरी होते हैं वैसे ही हम पत्रकारों के भी खबरी होते थे। खबरी से मिली खबर को पुष्ट करना,दूसरे पक्ष की राय लेना और संपादक की कलम से लाल-नीले रंग में नहाने के बाद मिली सहमति के बाद खबर अखबार के जरिये पाठकों तक पहुँच पाती थी…न कि आज की तरह,जहाँ हर मोबाइल धारक पत्रकार है और जो चाहे प्रसारित करने के लिए स्वतंत्र भी फिर चाहे वह सूचना गलत/आधी-अधूरी और किसी की छवि को धूमिल करने वाली ही क्यों न हो।
खैर, यह खबर तो थी कि लोकप्रिय सीरियल रामायण के लक्ष्मण अपने भोपाल के ही हैं लेकिन खबरी ने बताया कि उन्होंने यहाँ आइसक्रीम पार्लर शुरू किया है..अब जरुरी थी लक्ष्मण यानि सुनील लहरी की पार्लर में मौजूदगी क्योंकि सीरियल के बाद भी उनका एक पाँव मुंबई में जमा रहता था…हम ने भी वहां के चक्कर लगाने शुरू कर दिए और खबरी ने भी, अंततः मौका हाथ लग लगा और खबरी ने बताया कि लक्ष्मण दो दिन के लिए शहर में हैं और पार्लर पर दोपहर में आएंगे।  हम भी अपने अखबार देशबंधु के फोटोग्राफर योगेन्द्र शर्मा और दोस्त/लूना के मालिक और लगभग हर रिपोर्टिंग के साथी-सलाहकार Sanjay Saxena के साथ पहुँच गए उनके पार्लर…अभी तमाम मॉडल की कारों में उड़ान भरने वाले पत्रकार शायद यह जानकार हैरान होंगे कि उस समय लूना (मोपेड) होना भी सम्मान की बात थी।
सुनील लहरी यानि लक्ष्मण मिले भी और खूब चर्चा भी हुई। उन्होंने अपनी व्यस्तता से लेकर लोकप्रियता से जुड़े किस्से और रामायण के सेट पर होने वाली खट्टी-मीठी बातें भी बतायीं और आइसक्रीम पार्लर शुरू करने में रामायण सीरियल के दौरान हुए अनुभव भी साझा किये…बस वे पार्लर में बैठे हुए फोटो खिंचवाने के लिए तैयार नहीं थे…शायद उनके अन्दर का लक्ष्मण अभी भी व्यवसायी सुनील पर हावी था। अब बिना फोटो के प्रिंट मीडिया में स्टोरी कैसे दमदार होती इसलिए मायूसी सी छा गयी लेकिन हमारे अनुभवी और स्मार्ट छायाकार योगेन्द्र शर्मा ने दिमाग लड़ाया और सुनील लहरी से कहा कि पार्लर के अन्दर नहीं तो बाहर खुले में एक फोटो तो हो सकती है। सुनील तैयार हो गए, योगेन्द्र भाई ने उन्हें एक पिलर से टिकाकर बढ़िया से फोटो खींच लिए और हम मनचाहा फोटो नहीं मिल पाने की मायूसी के साथ लौट आए,लेकिन असल धमाका किया था योगेन्द्र भाई ने, दरअसल उन्होंने जिस पिलर से टिकाकर सुनील लहरी की फोटो खींची थी उस पर न केवल उनके पार्लर का नाम था बल्कि आइसक्रीम कोन की फोटो भी थी…यह बात सुनील समझ नहीं पाए और हम लोग भी ध्यान नहीं दे पाए थे, लेकिन मछली की आँख पर निशाना लगाने वाले अंदाज में योगेन्द्र भाई की नजर पिलर पर पड़ गयी थी और उन्होंने यह यादगार फोटो रच दिया…फिर क्या था अपन ने भी मैराथनी अंदाज़ में खबर लिखी और फिर वह खबर बिना ज्यादा कांट-छांट के अख़बार में प्रमुखता से स्थान बनाने में कामयाब रही और बाद में लोगों की चर्चा का विषय भी बन गयी…आज जब तीन दशक बाद रामायण सीरियल एक बार फिर लोकप्रियता के झंडे गाड़ रहा है तो हमने भी अपने ख़बरों और लेखों के खजाने से इस नायब हीरे को तलाश लिया..आज भले ही यह खबर खेल-खेल में लिखने जैसी लगे लेकिन उस दौर में ख़बरें मुश्किल से मिलती थीं और उतनी ही मुश्किल से अखबार के पन्ने तक पहुँच पाती थीं..इसलिए हम अख़बारी पत्रकारों के लिए हर खबर कीमती होती थी और हर बाईलाइन बेशकीमती ।
लेखक आकाशवाणी भोपाल के समाचार संपादक है