लाखों लोगों का पलायन देख मदद के लिए घरों से निकले प्रदेशवासी, मजदूरों, गरीबों की सेवा में जुटा उंगली गु्रप

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TIO भोपाल

 लॉकडाउन फेज-4 का आज पहला दिन है। मध्य प्रदेश में इसकी स्थिति कैसी रहेगी, अभी ये साफ नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज रात 8 बजे प्रदेश की जनता को संबोधित कर इसकी जानकारी देंगे। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में अभी तक संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सका है। प्रदेश के 52 में से 45 जिलों में संक्रमण फैल चुका है। जैसे-जैसे प्रवासी अपने गांवों तक पहुंचेगे, नए मामले सामने आएंगे। इधर, पलायन का दंश झेलने वाले बिहार, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के मजदूरों की मदद के लिए लिए प्रदेशवासी सड़कों पर आ गए हैं।

प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर जिन रास्तों से लोग गुजर रहे हैं, उन जिलों के लोगों ने खाने-पीने, बच्चों के लिए दूध, दवाईयों समेत कपड़ों और जूते-चप्पलों की व्यवस्था की है। भोपाल में कई स्थानों पर महिलाएं सैनेटरी पैड्स भी बांट रही हैं। मध्य प्रदेश में लोगों का ऐसा व्यवहार देखकर मजदूरों और अन्य लोगों की आंखें भर आईं। मजदूरों का कहना है कि हम 10 दिन से पैदल चल रहे हैं। कहीं कोई मदद नहीं मिली। यहां आकर ऐसा लग रहा है कि जैसे हम अपने घर आ गए हैं।

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर अपने घर की ओर पलायन कर रहे है। इस दौरान सीहोर जिले में भी उंगली गु्रप ने लोगों की मदद करने अपने हाथ आगे बढ़ाए। सुबह हो या शाम योगेश उपाध्याय जी के नेतृत्व में उंगली गुप भूखों के भोजन कराने से लेकर हर तरह की मदद कर रहा है। उंगली गु्रप के उपाध्याय जी का कहना है कि यहां प्यार मिलेगा, दुलार मिलेगा और मिलेगा गर्मागर्म खाना, यही तो है हमारे शहर की पहचान। अन्य जिलों में भले ही इनको पानी के लिए मना कर दिया गया हो, लेकिन हमारे शहर के समाजसेवी संगठनों और दानवीरों ने दर्शा दिया है कि हम पावन धरा सिद्धपुर के वासी हैं। आज उंगली की रसोई अमलाह टोल पहुंची। मान मनुहार कर उन्हें भोजन कराया पानी पिलाया। बच्चों को बिस्किट भी दिये। इसके अलावा सिख समाज के हमारे लाड़ले प्रभजीत अरोरा और साथियों द्वारा लाई गई नई चप्पलें भी जरूरतमंदों को प्रदान की गईं। प्रेम से बोलिये,,
राम जी की चिड़िया, राम जी का खेत।
खाओ री प्यारी चिड़िया भर भर पेट।

शहर के सामाजिक संगठन हर दिन हजारों मजदूरों के भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं। इंदौर-भोपाल फोरलेन पर कोई पैदल तो कोई साइकिलों से निकल रहा है। इन्हें यहां भोजन करवाया जा रहा है। उंगली ग्रुप, सिख समाज, माता की रसोई सहित बड़ा बाजार के युवाओं और अन्य सामाजिक संगठन हर दिन भोजन सामग्री बांट रहे हैं। यही नहीं, भाजपा जिला चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा क्रिसेंट वाटर पार्क के पास स्थित पेट्रोल पंप पर मजदूरों को निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है। डॉ. गगन नामदेव और उनकी टीम यहां मरीजों की जांच कर उन्हें नि:शुल्क दवाएं भी दे रही है।

मुख्यमंत्री आज रात 8 बजे बताएंगे- कैसा होगा फेज-4

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 31 मई तक भले ही बढ़ा दिया है, लेकिन सख्त पाबंदियां सिर्फ कंटेनमेंट जोन तक सीमित कर दी हैं। कंटेनमेंट जोन के बाहर बस-टैक्सी और अन्य यात्री वाहन चलाने की छूट दी गई है। राज्य आपसी सहमति से अंतरराज्यीय बसें भी चला सकेंगे। गृह मंत्रालय ने रविवार को जारी आदेश में स्पष्ट किया कि जिन गतिविधियों का विशेष तौर पर उल्लेख कर पाबंदी नहीं लगाई है, कंटेनमेंट जोन के बाहर उन सभी गतिविधियों को छूट रहेगी। इधर, मप्र सरकार सोमवार को तय करेगी कि रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन काे किस तरह बांटा जाएगा। कौन से जिले रेड जोन में और कौन से बाकी दोनों जोन में होंगे। हालांकि यह साफ है कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन और बुरहानपुर जिले में जिस तरह से कोविड-19 के पाॅजिटिव केस मिल रहे हैं, इन्हें रेड जोन में ही रखा जाएगा। यहां सख्ती बनी रहेगी। जिलों के कंटेनमेंट एरिया को बफर में बदलकर इसके बाहर कुछ ढील दी जा सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार रात 8 बजे जनता को संबोधित करेंगे।

भोपाल में लोग मदद के लिए आगे आए, हाईवे पर मिल रही हर सुविधा

विदिशा-भोपाल हाईवे पर मुबारकपुर शहरवासी सुबह से लोगों की मदद के लिए पहुंच रहे हैं। कोई पोहा तो कोई चाय पिला रहा है। 10 बजे के बाद कई स्थानों पर भोजन के पैकेट, शर्बत और ओआरएस बांटने का काम शुरू हो जाता है। लोग ट्रकों को रोक-रोककर भोजन के पैकेट दे रहे हैं। बच्चों को दूध दिया जा रहा है। महिलाएं सैनेटरी पैड्स दे रही हैं। यहां कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने शहरभर से जूते-चप्पल इकट्ठे कर रोड पर रख दिए हैं। कई दुकानदारों ने हजारों की संख्या में नए जूते-चप्पल दान किए हैं। यहां से गुजर रहे लोग अपनी पसंद और साइड के जूते-चप्पल पहनकर जा रहे हैं। कपड़े के ढेर भी यहां लगे हैं।

गुना में 90 किमी के हाईवे पर हर 8 किमी पर किसी न किसी तरह की मदद

बीते एक हफ्ते के दौरान जब से त्रासदी की तस्वीरें सामने आईं तो लोग भी मदद के लिए बाहर निकलने लगे। देखते ही देखते यह आंदोलन जैसा बन गया। आज की स्थिति में जिले से गुजरने वाले हाईवे के 90 किमी हिस्से में लगभग हर 8 किमी पर कोई न कोई मदद उपलब्ध है। इसमें भोजन-पानी से लेकर दवा और जूते-चप्पल तक दिए जा रहे हैं। इसमें भी एनएफएल से बाइपास तक करीब 35 किमी हिस्से में तो हर 3-4 किमी पर कोई न कोई राहत कैंप संचालित हो रहा है। खास बात यह है कि इसमें सिर्फ खड़ेश्वरी मंदिर के पास ही सरकारी विभाग (वन) का कैंप है। बाकी सब निजी स्तर पर संचालित हो रहे हैं।

  • गुना के फुटवियर कारोबारियों ने जो काम किया, वह अपने आप में एक मिसाल बन गया। उन्होंने रविवार को 2 हजार जोड़ी जूते-चप्पल प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराए। सोशल डिस्टेंस का पालन करने के लिए उन्होंने बाइपास के किनारे इन्हें जोड़ियों में जमाकर रख दिया। लोग अपनी साइज के जूते-चप्पल पहनकर आगे चले जाते हैं।
  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नेकी की दीवार ने अलग-अलग जगहों पर दवा और ओआरएस के पैकेट रखवा दिए हैं।
  • शहर की 4 मिनरल वाटर फैक्टरियों के पास प्रिंटेड पाउच खत्म हो गए। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अनुरोध किया कि वे बिना प्रिंट वाले पाउच में पानी भरकर उपलब्ध कराएं। पाउच की कमी के दौरान बाइपास पर वंदना डाबे के सामने रविवार को 2 हजार ब्रांडेड पानी की बोतलें रखी गईं।

विदिशा में लोग तपती दोपहरी में लोगों की मदद के लिए सड़कों पर खड़े हैं

गुजरात के मोरवी से पैदल आ रहे एक दर्जन मजदूर अपने राज्य छत्तीसगढ़ वापस जा रहे हैं। बागरोद तिराहे के एक बगीचे में दोपहर गुजार रहे इन मजदूरों का कहना था कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। हम जबसे मध्य प्रदेश में आए हैं यहां के लोगों की मदद देख हमारी आंखें भर आती हैं। लोग खाना- दवाइयों से हमारी मदद कर रहे हैं। नपाध्यक्ष का कहना है कि विदिशा के लोगों के जुनून ने बता दिया है कि शहर के सारे लोग ठान लें तो कोई काम कठिन नहीं है।