- •••• वरिष्ठ अधिकारियों ने इसलिए खारिज कर दी एमवायएच की तीन मंजिलों को कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने की प्लानिंग
- ••••निम्न आय मरीजों की परेशानी को प्रमुखता दी आयएएस अधिकारियों ने, अब ग्रीन जोन में ही रहेगा एमवायएच
इंदौर कीर्ति राणा
एमवायएच की चूने-मिट्टी की दीवारों ने अन्य बीमारी वाले हजारों मरीजों को निजी अस्पतालों के अनाप-शनाप खर्चों से बचा लिया है।एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ ज्योति बिंदल के भेजे गए प्रस्ताव को यदि अपर मुख्यसचिव ने सिरे से खारिज नहीं किया होता तो अस्पताल की चार मंजिलें कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने के साथ ही सरकार को 2 करोड़ से अधिक की राशि नई लिफ्ट व अन्य व्यवस्था पर खर्च करना पड़ती।
कोरोना से बचाव के इंतजाम को लेकर सरकार ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज से भी सुझाव-प्रस्ताव मांगे थे।जो प्रस्ताव भेजा गया उसमें सात मंजिला अस्पताल की तीन मंजिलों (3,4 और 5)को कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सुरक्षित रखने और इन मंजिलों पर 110 बेड आरक्षित रखने, उपचार के लिए दाखिल किए जाने वाले मरीजों के लिए एक लिफ्ट अस्पताल के बाहर दीवार से सटा कर लगाए जाने, अस्पताल की बाकी मंजिलें अन्य बीमारियों के मरीजों के लिए सुरक्षित रखने की प्लानिंग भेजी गई थी।
मप्र में कोराना संक्रमण के मामले में इंदौर देश के टॉप शहरों में माना गया है इस लिहाज से भी सरकार जून-जुलाई में संक्रमण के संभावित खतरों को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।एमजीएम मेडिकल कॉलेज के इस प्रस्ताव की जमीनी हकीकत जानने आयुक्त मेडिकल एजुकेशन निशांत वरबड़े बीते माह इंदौर आए थे।कमिश्नर आकाश त्रिपाठी, कलेक्टर मनीष सिंह, डीन डॉ ज्योति बिंदल, अधीक्षक डॉ पीएस ठाकुर, लोक निर्माण विभाग आदि के अधिकारियों के विचार जाने और इस प्रस्ताव को उपयुक्त नहीं माना था। बाद में अपर मुख्य सचिव मो सुलेमान और संजय शुक्ला ने भी इस प्रस्ताव को औचित्यहीन मान कर नकारने के साथ ही एमवायएच परिसर में लगभग पूर्ण हो चुके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को अस्थायी तौर पर कोरोना संक्रिमत मरीजों के लिए अधिग्रहित करने के निर्देश भी दे दिए थे। एसीएस मो सुलेमान और संजय शुक्ला का कहना था कि यह व्यवस्था अनावश्यक खर्च बढ़ाने वाली तो है ही साथ ही शेष मंजिलों पर दाखिल अन्य बीमारी वाले मरीजों को संक्रमण से बचाना बड़ी चुनौती रहेगी और तीन मंजिलों में 110 बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर भी दिए गए तो भी अन्य अस्पतालों में बेड तो आरक्षित करना ही पड़ेंगे।
ऐसी सारी समीक्षा के बाद एसीएस एम सुलेमान ने एमवायएच को पूरी तरह ग्रीन जोन में ही रखने के निर्देश देने के साथ ही एमवायएच परिसर में तैयार हो रहे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उपयोग कोरोना संक्रमितों के लिए करने के साथ ही 15 जून तक इस अस्पताल को हर हालत में शुरु करने के की हिदायत भी दी है।
🔹“एमवायएच में बाहर से लिफ्ट लगाने के प्रस्ताव को लोक निर्माण विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से नकार दिया था। विभागीय अधिकारियों का मत था कि चूने-पत्थर वाली दीवारें लिफ्ट का बोझ नहीं सह सकेंगी।कमिश्नर आकाश त्रिपाठी सहित अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी प्रस्ताव को उपयुक्त नहीं माना था।”
-निशांत वरबड़े (आयुक्त मेडिकल एजुकेशन)
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🔹”एमवायएच अब पूरी तरह ग्रीन जोन अस्पताल ही रखा जाएगा।इंदौर सहित संभाग व आसपास के अन्य बीमारियों के मरीजों का यहां उपचार हो सकेगा।शहर के विभिन्न क्षेत्रों में फीवर क्लिनिक काम करने लगे हैं।एक सप्ताह में एमवायएच से कोरोना मरीजों के लिए संचालित नई ओपीडी भी एमआरटीबी या एमटीएच में स्थानांतरित करने के बाद पूरी तरह सेनेटाइज करा के सामान्य ओपीडी के रूप में शुरु कराएंगे। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 10 जून तक पानी, बिजली, ऑक्सीजन की लाइन डालने का काम पूरा करा लेंगे। 400 बेड की क्षमता वाला यह अस्पताल पहले चरण में कम से कम 125 बिस्तरों से 15 जून से शुरु हो जाएगा।”
-आकाश त्रिपाठी, संभागायुक्त इंदौर
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🔹“एमवायएच में तीन फ्लोर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सुरक्षित रखने, इनके लिए पृथक से लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था।एसीएस मो सुलेमान ने इसकी अपेक्षा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।एमवायएच में कोरोना मरीजों के लिए संचालित की जा रही नई ओपीडी भी निर्देश मिलते ही अन्यत्र स्थानांतरित कर देंगे।”
-डॉ ज्योति बिंदल, डीन एमजीएम मेडिकल कॉलेज ——-
कोरोना काल में भी अन्य मरीजों को राहत मिलती रही है एमवायएच से कोरोना काल वाली इस अवधि में भी 11सौ बेड की क्षमता वाले एमवायएच अन्य बीमारी वाले मरीजों के लिए न सिर्फ मददगार साबित हुआ बल्कि यहां ऑपरेशन भी होते रहे हैं।
एमवायएच के सूत्रों के मुताबिक इस अवधि में नेत्र विभाग ने 200 से अधिक, स्त्री रोग विभाग में 400 से अधिक, हड्डी रोग विभाग ने 450, शिशु रोग विभाग ने 175, अन्य विभागों ने 350 के करीब सर्जरी की है।इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में भी भूमिका रही है जबकि इस अवधि में डॉक्टर्स से लेकर नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टॉफ भी अन्य जिम्मेदारी के लिए बांट दिया गया था।
आने जाने के एक ही रास्ते ने ग्रीन जोन में मदद की
एमवायएच की तीन मंजिलों को कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित करने के प्रस्ताव को एक झटके में खारिज किया गया तो उसका एक प्रमुख कारण सात मंजिला अस्पताल में आने-जाने के लिए एक ही सीढ़ियों का इस्तेमाल करना घातक माना गया। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने डीन के इस प्रस्ताव पर इसलिए भी आश्चर्य व्यक्त किया कि संक्रमण से फैलने वाली महामारी कोरोना के मामले में यह ध्यान क्यों नहीं रखा गया कि एमवायएच में कोरोना मरीजों के लिए अलग से लिफ्ट लगा भी दी गई तो उन मरीजों के तीमारदारों के साथ ही बाकी मंजिलों पर दाखिल सामान्य मरीजों के रिश्तेदारों का आना जाना तो कॉमन सीढ़ियों से ही होगा। अस्पताल में आने और जाने के लिए पृथक पृथक रास्ते (सीढ़िया) नहीं होने जैसे कारण सेभी इसे ग्रीन जोन के लिए रखना भी उचित समझा गया। सभी वरिष्ठ अधिकारियों का यह मत भी था कि सरकारी अस्पताल होने से निम्न आय वर्ग वाले मरीजों के लिए यह अस्पताल बड़ा सहारा है, शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिल जाता है। तीन मंजिल कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने पर निम्न आय मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों के मनमाने उपचार खर्च से जूझना पड़ेगा।