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कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश में संवैधानिक तरीक़े से कांग्रेस सरकार के तख्तापलट के 116 वें दिन और किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 113 वें दिन मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार दौड़ने लगी है। 13 जुलाई को सोमवार की बड़ी भोर जब प्रिंट मीडिया पत्रकार और TV रिपोर्टर्स की आँख भी नहीं खुल पाई थी तब सुबह 7.30 बजे एक सूची जारी होती है जिसमें मंत्रिमंडल विस्तार के बाद 11 दिन से विभागों के बँटवारे का इंतज़ार कर रहे 28 मंत्रियों सहित सभी 33 मंत्रियों के बीच विभागों का बहुप्रतीक्षित बँटवारा कर दिया जाता है। यह सूची अचानक जारी नहीं हुई थी बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वादे के मुताबिक़ इसे रविवार को ही जारी हो जाना था। पर आख़िरी समय तक यह सुगबुगाहट चलती रही कि महाराज और शिवराज के बीच मंथन जारी है और आख़िरी समय तक पेंच सुलझाया जा रहा है।रात क़रीब एक बजे तक सभी पत्रकार सूची के लिए अपने अपने मोबाइल की वाट्सएप स्क्रीन पर नज़रें गड़ाए रहे और अंततः निराश होकर नींद के आग़ोश में चले गए। भाजपा की यह सरकार रिकॉर्ड बनाने वाली सरकार मानी जा सकती है। शिवराज सिंह चौहान का चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है तो क़रीब एक महीना बिना मंत्रियों के काम करने का रिकॉर्ड है तो उसके बाद 5 मंत्रियों के साथ महीनों काम करने का रिकॉर्ड है तो 102 वे दिन 28 मंत्रियों को शपथ दिलाने का रिकॉर्ड और अंतत: 113 वें दिन सभी मंत्रियों को विभागों के बँटवारे के साथ पूर्णता के साथ सरकार में आने का रिकॉर्ड है। कुल मिलाकर इस सरकार में रिकॉर्डों की बरसात हो रही है यह कहना बेमानी नहीं है।दृढ़ इच्छा शक्ति के धनी शिवराज सिंह चौहान की ये खासियत है कि मंच मिलते ही वह सौ फ़ीसदी परफ़ॉर्म करने में पारंगत हैं। सुबह मंत्रियों के बीच विभागों का बँटवारा हुआ और इस वजह से पिछले छह दिन से टल रही कैबिनेट की बैठक दोपहर बाद संपन्न हो गई।कोरम के लिहाज़ से यह इस सरकार की पहली कैबिनेट बैठक है। ताबड़ तोड़ तरीक़े से फ़ैसले भी लिए गए तो विधानसभा सत्र में विधेयक पेश करना भी तय हुआ और पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के फ़ैसले को पलटने का काम भी पहली कैबिनेट बैठक में संपन्न हुआ। यानी कि मुख्यमंत्री बनने के 116 वें दिन शिवराज सरकार 33 मंत्रियों के साथ मध्य प्रदेश के राजमार्ग पर दौड़ लगाने लगी है।
पहली ही बैठक में मध्यप्रदेश साहूकारी संशोधन विधेयक एवं अनुसूचित जनजाति ऋण मुक्ति विधेयक को कैबिनेट की स्वीकृति मिल जाती है।
पहली बैठक में गरीबों के हित में लिया गया यह बड़ा निर्णय है।मुख्यमंत्री मानते हैं कि आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण मुक्ति विधेयक लाया जा रहा है, जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति वर्ग के सभी व्यक्तियों के 15 अगस्त 2020 तक के सभी ऋण ब्याज सहित माफ किए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। साथ ही अन्य वर्गों को भी साहूकारों के चंगुल से छुड़ाने के लिए मध्यप्रदेश साहूकार (संशोधन विधेयक 2020) लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह चौहान पिछली सरकार में भी ऐसा प्रयास कर चुके हैं लेकिन अब उम्मीद की जा सकती है कि प्रयास को पूर्णता मिलेगी।
शिवराज सरकार की पहली कैबिनेट का एक महत्वपूर्ण फ़ैसला यह भी है कि अब नगरीय निकायों के मुखियाओं के चुनाव जनता के ज़रिए ही संपन्न होंगे।कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का नगरीय निकाय संबंधी महत्वाकांक्षी फ़ैसला शिवराज सरकार की पहली कैबिनेट में डस्टबिन में फेंक दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि प्रदेश में पिछली सरकार के समय की 26 हजार 218 करोड़ की देनदारियां है तथा कोरोना संकट के चलते राजस्व में काफी कमी आयी है। परन्तु प्रदेश के विकास एवं जनता के कल्याण में कोई कमी नहीं आने देंगे।हालाँकि सरकार को यह भी साफ़ करना चाहिए कि प्रदेश की जनता पर अभी तक कितने लाख करोड़ की देनदारियां बाक़ी हैं।
मुख्यमंत्री के वादे के मुताबिक़ रविवार को विभागों का बँटवारा भले ही न हो सका हो लेकिन कांग्रेस का एक और नगीना भाजपा की अंगूठी में ज़रूर जड़ गया है। शिवराज सरकार का उपलब्धियों भरा दौर दौड़ लगाता रहे और प्रदेश के ग़रीब किसान नौजवान मज़दूर सभी के चेहरों पर खुशियाँ बरसती रहें, यही उम्मीद की जानी चाहिए।वैसे चौथी बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए कहा जाए कि मामा है तो मुमकिन है…यही काफ़ी है।