राजबाड़ा 2 रेसीडेंसी

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TIO, अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते है

 • मुरैना जिले के दिमनी विधानसभा क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक गिरराज दंडोतिया के मैदान में होने के बावजूद प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की। दिमनी उनका ग्रह विधानसभा क्षेत्र है और जब उन्हें दंडोतिया की स्थिति कमजोर लगी तो उन्होंने मैनेजमेंट में माहिर विधायक संजय पाठक को अनूपपुर से बुलाकर यहां तैनात कर दिया। यहां शर्मा की ही रणनीति और पाठक और पाठक के मैनेजमेंट की बदौलत ही भाजपा सम्मानजनक स्थिति में आ पाई हालांकि नतीजा अनुकूल रहने में अभी भी संदेह है। यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है कि दिमनी नरेंद्र सिंह तोमर के ही संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।

 • संवेधानिक व्यवस्था के चलते विधायक न रहने के कारण गोविंद सिंह राजपूत को भले ही मंत्री पद छोड़ना पड़ा हो लेकिन परिवहन विभाग पर अभी भी उनका नियंत्रण है। ऐसा भी सालों बाद हुआ था कि इस महकमे में ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित है सारा काम मंत्री ने अपने हाथों में केंद्रित कर लिया और परिवहन आयुक्त व अपर परिवहन आयुक्त की भूमिका सीमित हो गई । जैसा राजपूत चाह रहे थे वैसा ही हो रहा था और अभी भी हो रहा है। इसके पहले तो कमलनाथ के मुख्यमंत्रित्वकाल में राजपूत विभाग के मंत्री होते हुए भी कई बार केवल पांव पटक कर रह जाते थे।

 • 2019 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने वाले गुना के सांसद के पी यादव इस पूरे चुनाव में कहीं दिखाई नहीं दिए। इसकी बड़ी चर्चा भी है। सिंधिया के तिरस्कार के कारण उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था। वहां जाकर केपी की किस्मत खुली और संसद में भले पहुंच गए लेकिन सिंधिया के बीजेपी में आ जाने से वे फिर से हाशिये पर हैं। गुना- अशोकनगर में यादव बहुल सीटों पर केपी यादव की निष्क्रियता बीजेपी को नुकसान कर सकती है खासकर मुंगावली और अशोकनगर में जहां यादवों की भूमिका बड़ी अहम रहती है।

 • सरकार यदि नजरें इनायत कर दे तो नौकरशाह भी आंखे तरेर ही लेते हैं। इंदौर में ही हम इसके दो उदाहरण देख चुके हैं। जब कमलनाथ ने जीतू सोनी को आंखें दिखाई तो लोकेश जाटव और रुचि वर्धन मिश्रा ने उनके साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर दिया। अब जब शिवराज सिंह चौहान की निगाहें कंप्यूटर बाबर पर टेढ़ी हुई तो मनीष सिंह, हरिनारायण चारी मिश्रा और प्रतिभा पाल की तिकड़ी में उनका भी पक्का इंतजाम कर दिया। बाबा उम्मीद कुछ अलग पाल बैठे थे लेकिन हश्र कुछ और हो गया।

 • जबसे एडीजी अन्वेष मंगलम ने पुलिस मुख्यालय में प्रशासन शाखा की कमान संभाली है तब से वहां अलग अलग तरह की अनुमति के लिए पहुंचने वाले आवेदनों पर पूछताछ बहुत बढ़ गई है। इतने सवाल पूछे जाने लगे हैं कि कई बार तो अफसरों को लगता है कि उन्होंने अनुमति का आवेदन देकर ही शायद गलती कर डाली। इस परेशानी जल्दी खत्म होते नजर भी नहीं आ रही है। वैसे इस उठापटक ने अन्वेष मंगलम को पुलिस मुख्यालय में चर्चा में जरूर ला दिया है। वे जहां भी रहते हैं उनके तेवर ऐसे ही रहते हैं।

 • पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी पद पर रहते हुए कंपनी को नई ऊंचाई देने वाले आकाश त्रिपाठी अब तीनों बिजली कंपनियों के चेयरमैन है। पुराने अनुभव का फायदा लेते हुए त्रिपाठी ने इन तीनों कंपनियों के कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए जो कदम उठाए हैं उनका असर दिखने लगा है। इंदौर की बिजली कंपनी का अनुसरण करते हुए बाकी दो कंपनियों ने भी अब अपना ढर्रा सुधारा है। वैसे ऊर्जा विभाग में प्रमुख सचिव संजय दुबे और आकाश त्रिपाठी के बीच के तालमेल की चर्चा प्रशासनिक हलकों में भी है।

 • सरकार ने पुलिस में बड़े पैमाने पर भर्तियों का ऐलान तो कर दिया लेकिन यह अमल में आता नहीं दिखता। कहीं ऐसा ना हो कि यह सिर्फ घोषणा बनकर रह जाए कारण साफ है। मध्य प्रदेश सरकार इन नियुक्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी हालत में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण न दिया जाए। 27प्रतिशत आरक्षण देने की स्थिति में यह सीमा पार हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो नहीं सकती।ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार क्या रास्ता निकालती है इसका सबको इंतजार है। वैसे पुलिस में बड़े पैमाने पर भर्ती की बात कहकर सरकार ने उपचुनाव में तो अपने हित साध ही लिये है।

 • मध्यप्रदेश हाईकोर्ट मैं नए जजों की नियुक्ति मैं कुछ और विलंब हो सकता है। लगभग 12 नए जज नियुक्त किए जाना है और इनकी नियुक्ति से संबंधित जो प्रस्ताव मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से आगे बढ़ा था वह भी दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से आगे नहीं बढ़ पाया है। जिन 12 लोगों को जज बनाया जाना है उनमें से आधे वकील और आधे न्यायिक सेवा के अधिकारी हैं।

चलते चलते

सबको इंतजार इस बात का है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति क्या रहेगी। सोचने वाले कुछ भी सोचे पर सिंधिया निश्चित है कि सब कुछ अच्छा ही होगा।

पुछल्ला

यह पता लगाना जरूरी है कि कांग्रेस की सरकार जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेहद नजदीकी हो गए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति इन दिनों कहां है। मामला कुछ गड़बड़ और कमलनाथ के नाराजी से जुड़ा हुआ है।

अब बात मीडिया की

 • नईदुनिया इंदौर से सालों से जुड़ी रहे वरिष्ठ पत्रकार रूमनी घोष इस सेवाएं अब जागरण समूह दैनिक जागरण के लिए लेगा। रूमनी का तबादला दिल्ली कर दिया गया है‌। वे वहां सेंट्रल डेस्क पर स्पेशल स्टोरीज प्लानिंगऔर रिसर्च का काम करेंगी। इंदौर मे भी कुछ दिनों पहले ही रूमनी की भूमिका में बदलाव किया गया था।

 • पत्रिका में लंबी पारी खेलने के बाद धुरंधर रिपोर्टर नितेश पाल अब दैनिक भास्कर डिजिटल मैं सेवाएं देंगे।

 • इंदौर का खुलासा फर्स्ट अखबार आक्रमक और खोजी पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के लिए एक नया प्लेटफार्म हो गया है। इस अखबार में इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग पर अच्छा काम हो रहा है।

 • दैनिक भास्कर में लंबी पारी खेल चुके रिपोर्टर अमित सालगट अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में जौहर दिखाएंगे। वे एमपी न्यूज़ की टीम का हिस्सा हो गए है।

 • भोपाल में भास्कर डिजिटल में इन दिनों चला चली का दौर है। वहां अहम भूमिका मैं प्रसून मिश्रा है और उनसे पटरी नहीं बैठने के कारण कई लोग नई भूमिका की तलाश में है।