TIO, कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मरीज़ों ने सरकार को चिंता में डाल दिया है।मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा दो लाख की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है तो मौतों का आंकड़ा भी 3 हज़ार के पार पहुँचकर एक बार फिर गति तेज कर डरा रहा है।तीन नवंबर के पहले तक प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनज़र ऐसा लगने लगा था कि अब कोरोना की छुट्टी हो चुकी है। और प्रदेश सरकार द्वारा काढ़ा वितरण का कार्यक्रम प्रदेशवासियों की प्रतिरोधक क्षमता इतनी बढ़ा चुका है कोरोना का पावर बौना हो चुका है।जिस तरह राजनीतिक सभाओं में हज़ारों की भीड़ कोरोना को मुँह चिढ़ा रही थी, लग रहा था कि अब कोरोना शर्म के मारे ख़ुद ही ज़मीन में गड़ जाएगा। तो जहाँ चुनाव नहीं थे वहाँ बाज़ारों की भीड़ ने राजनीतिक सभाओं की भीड़ को भी मात कर दिया था। महीनों से धार्मिक स्थलों से बिछड़े लोग धार्मिक स्थलों पर इस तरह उमड़े थे कि लगने लगा था कि कोरोना इतनी भीड़ देखकर ख़ुद ही डरकर भाग जाएगा। शादियों में लोग झूम झूमकर नाचने लगे थे। ऐसा लगने लगा था कि सरकार, राजनैतिक दल, मतदाता और प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की खुशियाँ देखकर कोरोना ने ही मातम मनाना शुरू कर दिया था। और कोरोना से भी ज़्यादा रोने की आवाज़ वैक्सीन की आ रही थी की इतनी बड़ी बीमारी होने के बाद भी किसी ने हमारा इंतज़ार भी नहीं किया और खुली सड़क पर सीना तान कर इस तरह निकल पड़े हैं जैसे बिना वैक्सीन के ही कोरोना दफ़न और जनता अपनी मस्ती में मगन। कोरोना ने भी सोच लिया था कि जब लुका छुपी का खेल शुरू ही कर दिया है तो अब देख ही लो कि बाज़ी कौन जीतता है? लोगों का दुस्साहस देखकर कोरोना ने एक क़दम पीछे खींच कर 11 क़दम आगे बढ़ने की रणनीति पर अमल करने की ठानी और अब एक बार फिर नाइट कर्फ्यू लगाने पर सरकार को मजबूर कर दिया है। मध्यप्रदेश में इंदौर, ग्वालियर, विदिशा और रतलाम के बाद कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने दतिया जबलपुर और धार में भी नाइट कर्फ्यू लगाने का फ़ैसला किया है। हो सकता है कि कोरोना ने और ज़्यादा रंग दिखाया तो फिर मजबूर जनता को लॉक डाउन जैसे हालातों का सामना फिर से करना पड़े।
पर इस पूरे मामले में यह समझ में नहीं आ रहा है कि छला कौन गया है? जनता छली गई या फिर सरकार छली गई अथवा कोरोना ख़ुद ही छला गया है? यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि जनता ने सरकार और कोरोना को छला या फिर सरकार और राजनैतिक दलों ने मिलकर जनता और कोरोना को छला अथवा कोरोना ही इतना शातिर निकला कि उसने सरकार, राजनैतिक दल और जनता सभी को एक साथ छल लिया? यह बात कोरोना ही साफ़ कर सकता है लेकिन विडंबना यह है कि जब से यह कमबख्त आया है सबकी नाक में दम कर रखा है, फेफड़ों का जीना मुश्किल कर दिया है लेकिन यह है कि कुछ बोलता भी नहीं है। मिस्टर इंडिया बन कर बिना दिखे ही जिसके गले पड़ता है उसे चारों खाने चित्त कर देता है। अमेरिका में ट्रंप के गले पड़ा तो उसकी सरकार ही लील गया। लाखों जानें लील गया तो लाखों लोग इसके साइड अफेक्ट से ही मरने को मजबूर हो गए। पर सवाल वही है कि आख़िर कौन छला गया? कोरोना तुम ही बता दो कि तुम छले गए या फिर तुम्हें छला गया है?
फ़िलहाल जब तक जवाब नहीं मिलता है तब तक चाहे मॉर्निंग वाक हो या ईवनिंग वाक मास्क लगाना अनिवार्य है…।कोई सामान बेचे या खरीदे मास्क अनिवार्य रूप से लगाना होगा…।कार – मोटरसाइकिल पर घूमने वालों के लिए भी मास्क लगाना होगा..।जो मास्क नहीं लगायेगा उसके खिलाफ कार्यवाई होगी…और मुँह दिखाई काफ़ी महँगी पड़ेगी। देश भक्ति का जज़्बा लिए हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और सैनेटाइजर का भी भरपूर प्रयोग करें।कई शहरों में नाइट कर्फ्यू लग गया है बाक़ी शहर वाले भी तैयार रहे हैं लेकिन रात में 10 बजे तक शराब की दुकाने खुली रहेंगी। इसलिए पैनिक होने की कोई ज़रूरत नहीं है। कोरोना का जवाब जल्दी ही आ जाएगा कि उसे छला गया है या उसने जनता को छलने का देशद्रोह किया है।जवाब आने तक शांति बनाए रखें और क़ानून व्यवस्था का पूरी तरह से पालन करें।