राघवेंद्र सिंह
सियासत और भ्रष्टाचार का चोली दामन का साथ है। ऐसे में लोग तब सुखद आश्चर्य में डूब जाते हैं जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम से एक खबर हवा में तैरती है कि ” भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ सबूत के साथ शिकायत की जाती है तो दो लाख रुपए का इनाम मिलेगा साथ ही दोषी को बर्खास्त किया जाएगा “… इस बात को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में खासी प्रतिक्रिया हो रही है। एकदम से कोई भी इस पर भरोसा नहीं कर पा रहा है। सरकार और तंत्र चकित है। इसे ना स्वीकार कर पा रहे हैं और ना ही इसका खंडन मण्डन। लेकिन यह शरारत सुर्खियां खूब बटोर रही है। आखिर भ्रष्टाचार पर कार्रवाई हुई तो फिर संख्या बहुत बड़ी होगी ऐसे में काम करने के लिए दफ्तरों में कितने लोग बच पाएंगे। पूरे मामले को समझने के लिए पाकिस्तान के मरहूम और बहुत मशहूर कॉमेडियन उमर शरीफ का किस्सा याद आ रहा है उसका जिक्र जरूरी लगता है।
कॉमेडियन उमर शरीफ ने ‘बकरा किस्तों पर’ और ‘बुड्ढा घर में है’ जैसे कुछ चर्चित शो बनाए की मशहूर हुए थे।
इन्हीं में से इस शो में पाकिस्तान में इस्लामिक कानून लागू करने की मांग करने वालों की हंसी उड़ाई करते थे। उनका कहना था इस्लाम में खून का बदला खून और चोरी के बदले हाथ काट दिए जाते हैं। ऐसे तो आधा पाकिस्तान ठुंटा हो जाएगा। ऐसे ही यदि भ्रष्टाचारी बर्खास्त हुए तो दफ्तर में काम करने के लिए कितने लोग बचेंगे…? बाद में उमर शरीफ के खिलाफ फतवा जारी हो गया था। भ्रष्टाचारियों को बर्खास्त करने के साथ शिकायत करने वालों को इनाम देने अफवाह उड़ाने वाले पर क्या कार्रवाई होती है ? पता नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि सुशासन देने वाली भाजपा सरकार के लिए कथित खबर भले ही अफवाह हो मगर जनता को थोड़ी देर के लिए ही सही सुकून देने वाली है। सरकार के साथ प्रशासन से जुड़े अफसर इस बात का पता लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री के नाम से उड़ रही खबर सच के कितने करीब हैं।
इसका कोई खंडन नहीं आना बताता है भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मन में कुछ कठोर फैसला करने की उथल-पुथल जरूर मची हुई है। वैसे भी चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह जननायक के साथ कठोर प्रशासक के रूप में अपनी छवि बनाना चाहते हैं। अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने नौकरशाही को लगाम लगाने की बात की थी। कहा था कि डंडा लेकर निकला हूं बेलगाम अफसरों को ठीक कर दूंगा। उन्होंने यह भी कहा था आम जनता का कलेक्टर से मिलना कठिन है। उनसे मुलाकात तो भगवान से मिलने के बराबर है। अभी प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव हुए हैं। इनमें से 19 सीटें भाजपा ने जीती हैं। इन नतीजों से मुख्यमंत्री और भाजपा गदगद है। बढ़ते जनसमर्थन का दबाव भी मुख्यमंत्री को तेजी से सुशासन की तरफ ले जाने को प्रेरित कर रहा है।
राजनीतिक दल यदि सत्ता में हो तो फिर ईमानदारी की बात कठिन हो जाती है। अब तो लोग पैसा लेकर काम करने वाले नेता और अफसरों को भ्रष्टाचारी और बेईमान नहीं ईमानदार मानते हैं। उनका तर्क होता है बड़े सज्जन आदमी है पैसा तो लेते हैं पर काम पक्का करते हैं। काम ना होने पर रिश्वत लौटाने वाले को तो लोग हरिश्चंद्र ही मान लेते हैं। भ्रष्टाचार की इतनी स्वीकार्यता के बाद यदि कोई व्यक्ति शिकायत करें तो मान लेना चाहिए कि अगला नेता – अफसर या उनका दलाल बेईमानों का बादशाह है।
गौ माता के दिन फिरेंगे…
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काऊ कैबिनेट ने गौ माता के दिन अच्छे आने की उम्मीद जगा दी है। काउडेक्स की नई व्यवस्था और दो हजार गौशाला खोलने के निर्णय से प्रदेश के गांव देहात और किसान राहत महसूस करेंगे। पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्जा माफ करने और हर ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने की बात कर किसानों का दिल जीत लिया था। इन मुद्दों पर उसने भाजपा से बढ़त बनाई थी। क्योंकि शिवराज सिंह गांव किसान से जुड़े नेता है अब वे सड़कों पर मारी मारी फिर रही गौ माता के लिए गौशाला का प्रबंध करने जा रहे हैं। इस पर इमानदारी से अमल हुआ तो देहात में भाजपा की छवि और भी मजबूत हो जाएगी।
टीम विष्णुदत्तमें देरी के संकेत
विधानसभा उपचुनाव के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा कार्यकारिणी के विस्तार में देरी के संकेत मिल रहे हैं। चर्चा यह है कि पहले विधानसभा अध्यक्ष चुनाव और शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार होगा इसके बाद प्रदेश भाजपा के पदाधिकारी घोषित किए जाएंगे। इसके अलावा पदाधिकारियों की उम्र को लेकर भी उलझन पूर्ण स्थिति है। इस पर अगली बार विस्तार से चर्चा होगी। अभी यह मुद्दा भाजपा हाईकमान के सामने विचाराधीन है।
भ्रष्टाचार पर मशहूर कवि अशोक चक्रधर की कविता बेहद मौजू है…प्रस्तुत है साभार
पिछले दिनों चालीसवां राष्ट्रीय भ्रष्टाचार महोत्सव मनाया गया…
सभी सरकारी संस्थानों को बुलाया गया…
भेजी गई सभी को निमंत्रण-पत्रावली,
साथ में प्रतियोगिता की नियमावली…
लिखा था –
प्रिय भ्रष्टोदय,
आप तो जानते हैं,
भ्रष्टाचार हमारे देश की
पावन-पवित्र सांस्कृतिक विरासत है,
हमारी जीवन-पद्धति है,
हमारी मजबूरी है, हमारी आदत है…
आप अपने विभागीय भ्रष्टाचार का
सर्वोत्कृष्ट नमूना दिखाइए,
और उपाधियां तथा पदक-पुरस्कार पाइए…
व्यक्तिगत उपाधियां हैं –
भ्रष्टशिरोमणि, भ्रष्टविभूषण,
भ्रष्टभूषण और भ्रष्टरत्न,
और यदि सफल हुए आपके विभागीय प्रयत्न,
तो कोई भी पदक, जैसे –
स्वर्ण गिद्ध, रजत बगुला,
या कांस्य कउआ दिया जाएगा…
सांत्वना पुरस्कार में,
प्रमाण-पत्र और
भ्रष्टाचार प्रतीक पेय व्हिस्की का
एक-एक पउवा दिया जाएगा…
प्रविष्टियां भरिए…
और न्यूनतम योग्यताएं पूरी करते हों तो
प्रदर्शन अथवा प्रतियोगिता खंड में स्थान चुनिए…
कुछ तुले, कुछ अनतुले भ्रष्टाचारी,
कुछ कुख्यात निलंबित अधिकारी,
जूरी के सदस्य बनाए गए,
मोटी रकम देकर बुलाए गए…
मुर्ग तंदूरी, शराब अंगूरी,
और विलास की सारी चीज़ें जरूरी,
जुटाई गईं,
और निर्णायक मंडल,
यानि कि जूरी को दिलाई गईं…
एक हाथ से मुर्गे की टांग चबाते हुए,
और दूसरे से चाबी का छल्ला घुमाते हुए,
जूरी का एक सदस्य बोला –
मिस्टर भोला,
यू नो,
हम ऐसे करेंगे या वैसे करेंगे,
बट बाइ द वे,
भ्रष्टाचार नापने का पैमाना क्या है,
हम फैसला कैसे करेंगे…?
मिस्टर भोला ने सिर हिलाया,
और हाथों को घूरते हुए फरमाया –
चाबी के छल्ले को टेंट में रखिए,
और मुर्गे की टांग को प्लेट में रखिए,
फिर सुनिए मिस्टर मुरारका,
भ्रष्टाचार होता है चार प्रकार का…
पहला – नज़राना…
यानि नज़र करना, लुभाना…
यह काम होने से पहले दिया जाने वाला ऑफर है…
और पूरी तरह से
देनेवाले की श्रद्धा और इच्छा पर निर्भर है…
दूसरा – शुकराना…
इसके बारे में क्या बताना…
यह काम होने के बाद बतौर शुक्रिया दिया जाता है…
लेने वाले को
आकस्मिक प्राप्ति के कारण बड़ा मजा आता है…
तीसरा – हकराना, यानि हक जताना…
हक बनता है जनाब,
बंधा-बंधाया हिसाब…
आपसी सैटलमेंट,
कहीं दस परसेंट, कहीं पंद्रह परसेंट, कहीं बीस परसेंट…
पेमेंट से पहले पेमेंट…
चौथा – जबराना…
यानी जबर्दस्ती पाना…
यह देने वाले की नहीं,
लेने वाले की
इच्छा, क्षमता और शक्ति पर डिपेंड करता है…
मना करने वाला मरता है…
इसमें लेने वाले के पास पूरा अधिकार है,
दुत्कार है, फुंकार है, फटकार है…
दूसरी ओर न चीत्कार, न हाहाकार,
केवल मौन स्वीकार होता है…
देने वाला अकेले में रोता है…
तो यही भ्रष्टाचार का सर्वोत्कृष्ट प्रकार है…
जो भ्रष्टाचारी इसे न कर पाए, उसे धिक्कार है…
नजराना का एक प्वाइंट,
शुकराना के दो, हकराना के तीन,
और जबराना के चार…
हम भ्रष्टाचार को अंक देंगे इस प्रकार…
रात्रि का समय…
जब बारह पर आ गई सुई,
तो प्रतियोगिता शुरू हुई…
सर्वप्रथम जंगल विभाग आया,
जंगल अधिकारी ने बताया –
इस प्रतियोगिता के
सारे फर्नीचर के लिए,
चार हजार चार सौ बीस पेड़ कटवाए जा चुके हैं…
और एक-एक डबल बैड, एक-एक सोफा-सैट,
जूरी के हर सदस्य के घर, पहले ही भिजवाए जा चुके हैं…
हमारी ओर से भ्रष्टाचार का यही नमूना है,
आप सुबह जब जंगल जाएंगे,
तो स्वयं देखेंगे,
जंगल का एक हिस्सा अब बिलकुल सूना है…
अगला प्रतियोगी पीडब्ल्यूडी का,
उसने बताया अपना तरीका –
हम लैंड-फिलिंग या अर्थ-फिलिंग करते हैं…
यानि ज़मीन के निचले हिस्सों को,
ऊंचा करने के लिए मिट्टी भरते हैं…
हर बरसात में मिट्टी बह जाती है,
और समस्या वहीं-की-वहीं रह जाती है…
जिस टीले से हम मिट्टी लाते हैं,
या कागजों पर लाया जाना दिखाते हैं,
यदि सचमुच हमने उतनी मिट्टी को डलवाया होता,
तो आपने उस टीले की जगह पृथ्वी में,
अमरीका तक का आर-पार गड्ढा पाया होता…
लेकिन टीला ज्यों-का-त्यों खड़ा है,
उतना ही ऊंचा, उतना ही बड़ा है…
मिट्टी डली भी और नहीं भी,
ऐसा नमूना नहीं देखा होगा कहीं भी…
क्यू तोड़कर अचानक,
अंदर घुस आए एक अध्यापक –
हुजूर, मुझे आने नहीं दे रहे थे,
शिक्षा का भ्रष्टाचार बताने नहीं दे रहे थे, प्रभो!
एक जूरी मेंबर बोला – चुप रहो,
चार ट्यूशन क्या कर लिए,
कि भ्रष्टाचारी समझने लगे,
प्रतियोगिता में शरीक होने का दम भरने लगे…
तुम क्वालिफाई ही नहीं करते,
बाहर जाओ –
नेक्स्ट, अगले को बुलाओ…
अब आया पुलिस का एक दरोगा बोला –
हम न हों तो भ्रष्टाचार कहां होगा…?
जिसे चाहें पकड़ लेते हैं, जिसे चाहें रगड़ देते हैं,
हथकड़ी नहीं डलवानी, दो हज़ार ला,
जूते भी नहीं खाने, दो हज़ार ला,
पकड़वाने के पैसे, छुड़वाने के पैसे,
ऐसे भी पैसे, वैसे भी पैसे,
बिना पैसे, हम हिलें कैसे…?
जमानत, तफ़्तीश, इनवेस्टीगेशन,
इनक्वायरी, तलाशी या ऐसी सिचुएशन,
अपनी तो चांदी है,
क्योंकि स्थितियां बांदी हैं,
डंके का ज़ोर है,
हम अपराध मिटाते नहीं हैं,
अपराधों की फसल की देखभाल करते हैं,
वर्दी और डंडे से कमाल करते हैं…
फिर आए क्रमश:
एक्साइज़ वाले, इन्कम टैक्स वाले,
स्लम वाले, कस्टम वाले,
डीडीए वाले,
टीए, डीए वाले,
रेल वाले, खेल वाले,
हैल्थ वाले, वैल्थ वाले,
रक्षा वाले, शिक्षा वाले,
कृषि वाले, खाद्य वाले,
ट्रांसपोर्ट वाले, एअरपोर्ट वाले,
सभी ने बताए अपने-अपने घोटाले…
प्रतियोगिता पूरी हुई,
तो जूरी के एक सदस्य ने कहा –
देखो भाई,
स्वर्ण गिद्ध तो पुलिस विभाग को जा रहा है,
रजत बगुले के लिए पीडब्ल्यूडी, डीडीए के बराबर आ रहा है…
और ऐसा लगता है हमको,
कांस्य कउआ मिलेगा एक्साइज़ या कस्टम को…
निर्णय-प्रक्रिया चल ही रही थी कि
अचानक मेज फोड़कर,
धुएं के बादल अपने चारों ओर छोड़कर,
श्वेत धवल खादी में लक-दक,
टोपीधारी गरिमा-महिमा उत्पादक,
एक विराट व्यक्तित्व प्रकट हुआ…
चारों ओर रोशनी और धुआं…
जैसे गीता में श्रीकृष्ण ने,
अपना विराट स्वरूप दिखाया,
और महत्त्व बताया था…
कुछ-कुछ वैसा ही था नज़ारा…
विराट नेताजी ने मेघ-मंद्र स्वर में उचारा –
मेरे हज़ारों मुंह, हजारों हाथ हैं…
हज़ारों पेट हैं, हज़ारों ही लात हैं…
नैनं छिन्दन्ति पुलिसा-वुलिसा,
नैनं दहति संसदा…
नाना विधानि रुपाणि,
नाना हथकंडानि च…
ये सब भ्रष्टाचारी मेरे ही स्वरूप हैं,
मैं एक हूं, लेकिन करोड़ों रूप हैं…
अहमपि नजरानम् अहमपि शुकरानम्,
अहमपि हकरानम् च जबरानम् सर्वमन्यते…
भ्रष्टाचारी मजिस्ट्रेट, रिश्वतखोर थानेदार,
इंजीनियर, ओवरसियर, रिश्तेदार-नातेदार,
मुझसे ही पैदा हुए, मुझमें ही समाएंगे,
पुरस्कार ये सारे मेरे हैं, मेरे ही पास आएंगे…