बनता बिगडता है जनता का मूड, मूड से बच कर रहियो..

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ब्रजेश राजपूत की ग्राउंड रिपोर्ट

दृश्य एक : भोपाल में वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल, मुख्यमंत्री दफतर का चैंबर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद अपने मंत्रियों के साथ अनौपचारिक चर्चा करने के लिये बैठे हैं। खुशनुमा माहौल में चल रही चर्चा में सीएम मंत्रियों से कहते हैं कि इतने सालों में आप हम सब अब परिवार के लोग हो गये हो और हमारा ये परिवार इसी तरह चले इसके लिये आपको जरूरी है कि आप सब दोबारा जीत कर आयें। अब आप सब जमकर मेहनत करिये। गांवों में जाइये जनता से बात करिये और हो सके तो गांवों में रात रूकिये क्योंकि जनता का मूड इन दिनों ठीक नहीं है।
Make the mood of the people worse, stay away from the mood.
दृश्य दो : भोपाल में कांग्रेस दफतर इंदिरा भवन के राजीव गांधी सभागार में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पत्रकार वार्ता हो रही है। सवाल पूछा जाता है कि आपको आये अब काफी दिन हो गये कांग्रेस कब सडकों पर उतर कर शिवराज सरकार को घेरेगी, क्योंकि कांग्रेस का विधानसभा घेराव दो तीन बार तारीख बढाने के बाद स्थगित ही हो गया है। इस पर कमलनाथ कहते हैं सरकार को घेरने कांग्रेस सब कुछ करेगी मगर ये तो सोचिये मुझे पद संभाले आज इक्कीस दिन ही हुये हैं। इस पर एक चपल पत्रकार ने फिर कमलनाथ को घेरा अरे आप तो एक एक दिन गिन रहे हैं मुस्कुराकर कमलनाथ ने कहा दिन नहीं घंटे। मेरे पास वक्त बहुत कम है।

सच है पार्टियों के लिहाज से विधानसभा चुनाव के लिये वक्त बहुत कम है। ठीक पांच महीने बाद छटवें महीने में चुनाव हो जाने हैं। और इस साल के आखिरी महीने के शुरूआती हफ्ते में कौन सी पार्टी सत्ता में रहेगी ये तय हो जायेगा। और ये सब कुछ तय करता है जनता के मूड पर कि जनता सरकार के कामकाज को लेकर क्या सोचती है।

जनता का मूड जानने के लिये जब एबीपी न्यूज ने पिछले दिनों सबसे विश्वसनीय सीएसडीएस के साथ मिलकर देश का मूड नाम से जनमत सर्वेक्षण किया तो परिणाम चौंकाने वाले रहे। मध्यप्रदेश में किये गये सर्वे में सामने आया कि बीजेपी के पक्ष में 34 प्रतिशत तो कांग्रेस के पक्ष में 49 प्रतिशत लोग खडे दिखे। पिछले चुनाव यानिकी 2013 में पाटीर्यों के पास ये प्रतिशत एकदम उल्टा था तब बीजेपी के पास 45 तो कांग्रेस के पास 36 प्रतिशत वोट था।

यानिकी जनता का मूड नापें तो करीब पंद्रह प्रतिशत की बढोतरी कांग्रेस के पक्ष में दिखी। निश्चित ही जनता के इस मूड ने सत्ताधारी सरकार के नेताओं और अफसरों का मूड बिगाड दिया। आमतौर पर सर्वे में तीन से पांच प्रतिशत की उंच नीच की गुंजाइश रहती है मगर फिर भी दस प्रतिशत का अंतर यदि कांग्रेस के पक्ष में है तो है ना हैरानी की बात।

बेहद मेहनती मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अगुआई में पिछले तेरह साल से चलने वाली सरकार का जनता में ये प्रदर्शन निराश करने वाला है। हांलाकि इसे चुनाव प्रतिशत का अंतर मानें तो प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव जो 1957 में हुये थे तब जनसंघ को दस और कांग्रेस को पचास फीसदी वोट मिले थे मगर उसके बाद से ये अंतर लगातार घटता रहा ओर 1993 और 1998 के चुनावों में ये अंतर घटकर एक दशमलव पांच ओर एक दशमलव तीन तक आ गया था।

दोनों बार कांग्रेस के दिग्विजय सिहं बेहद कम अंतर से चुनाव जीतकर सीएम बने थे। मगर 2003 में उमा भारती के आते ही ये अंतर एक से उछलकर ग्यारह प्रतिशत तक जा पहुंचा जो शिवराज सिंह की अगुआई में लडे चुनाव 2008 में पांच और 2013 में आठ फीसदी तक जा पहुंचा। वैसे में पंद्रह प्रतिशत के इस अंतर पर सभी ने असहमति जतायी मगर यदि पिछले विधानसभा चुनाव के पांच साल पहले के इन्हीं दिनों को देखे तो समझ आता है कि 2013 के मई जून महीने में भी तकरीबन ऐसा ही माहौल और सरकार के प्रति नाराजगी बढ गयी थी।

भीषण गर्मी से जलाशय और नदियां सूख गयीं थी। किसानों में बेहद हताशा और जल संकट गहराया हुआ था। लोग सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते थे मगर अगस्त में हुयी अच्छी बारिश और शिवराज सिहं के रात दिन के दौरों ने माहौल बदला रही सही कसर 2014 में चलने वाली मोदी मोदी की सूनामी के पहले आयी आंधियों ने पूरी कर दी। 165 सीटों के साथ बीजेपी ने शानदार वापसी की।
तब एबीपी के चुनाव पूर्व सर्वे में 160 सीट बीजेपी को मिलने का ऐलान किया था तो सीएम शिवराज सिंह और बीजेपी के लोग भी भरोसा नहीं करते थे। कहते थे आप बहुत ज्यादा सीटें दिखा रहे हैं। कांग्रेसी नेता तो ऐसे सर्वे को कचरे की टोकरी में डालने को कहते थे मगर सीटें आयीं 165।इसलिये सर्वे और जनता के मूड को नकारने के पहले थोडा सोचिये जरूर,,,

मगर जाते जाते हमें मशहूर खेल कमेंटेटर जसदेव सिंह याद आ गये उनकी भाषा में बोले तो भई हमारी भारतीय हाकी टीम को बडी पुरानी बीमारी है कि पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदल नहीं पाती एमपी के राजनीतिक कमेंटरी करने वाले पत्रकार दीपक तिवारी भी यही कहते हैं एमपी में कांग्रेस को भी बडी पुरानी बीमारी कि वो जनता के मूड को वोट में बदल नहीं पाती। ,, आप इससे सहमत हैं ?

एबीपी न्यूज, भोपाल