TIO NEW DELHI
तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 12वां दिन है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसानों से मिलने सिंघु बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘किसानों का मुद्दा और संघर्ष जायज है। हम किसानों के संघर्ष में शुरू से ही साथ रहे हैं। केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने हमसे 9 स्टेडियमों को जेल बनाने की परमिशन मांगी थी। हम पर खूब दबाव बनाया गया, लेकिन हमने परमिशन नहीं दी। केंद्र सरकार चाहती थी कि किसानों दिल्ली आएं और उन्हें जेल में डाल दें।’
उधर, पंजाब के खिलाड़ी और कलाकारों ने ऐलान किया है कि वे किसानों के समर्थन में आज अवॉर्ड वापसी करेंगे।
बंद के दौरान एम्बुलेंस और शादियों वाली गाड़ियां आ-जा सकेंगी
किसान पहले ही कह चुके हैं कि 8 दिसंबर यानी मंगलवार को भारत बंद करेंगे। इसके समर्थन में कांग्रेस समेत 20 सियासी दल और 10 ट्रेड यूनियंस उतर आए हैं। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने 9 दिसंबर को राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी आज किसान आंदोलन को समर्थन का ऐलान किया है। उधर, किसान नेता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने बताया कि मंगलवार को बंद सुबह से शाम तक और चक्का जाम दोपहर 3 बजे तक रहेगा। एम्बुलेंस और शादियों वाली गाड़ियां आ-जा सकेंगी।
अपडेट्स
- लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के घर के बाहर पुलिस लगा दी गई है। अखिलेश आज किसानों के समर्थन में कन्नौज के धरनास्थल पर जाने वाले हैं।
- नोएडा से दिल्ली जाने के लिए चिल्ला बॉर्डर से एंट्री बंद है। ट्रैफिक पुलिस ने कहा है कि दिल्ली आने के लिए नोएडा लिंक रोड की बजाय DND का इस्तेमाल करें।
- NH-24 पर गाजीपुर बॉर्डर बंद है। गाजियाबाद से दिल्ली आने वालों को NH-24 की बजाय अप्सरा, भोपरा या DND के रास्ते आने की सलाह दी गई है।
किसानों का अगला टारगेट- बदरपुर बॉर्डर पर डालना है डेरा
किसानों और सरकार के बीच हुई 5 दौर की बातचीत के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकल सका है। अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के कई बॉर्डर पर किसान डेरा डाले हुए हैं। 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान भी कर चुके हैं। उनका अगला टारगेट बदरपुर बॉर्डर को बंद करने का है। इसे लेकर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां भी हरकत में आ चुकी हैं। पुलिस भी अपने स्तर पर किसानों की स्ट्रैटजी पता लगाने की कोशिश में लगी है।
पंजाब की महिलाएं बोलीं- हरियाणा में दामाद जैसी खातिर हो रही
हरियाणा के लोग दिन रात किसानों की सेवा में लगे हुए हैं। आंदोलन में आई महिलाएं और किसानों के लिए दिल्ली बॉर्डर के साथ लगते हरियाणा के कई गांवों के लोगों ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं। उन्होंने पंजाब की महिलाओं ने अपने घर में रहने, सोने, नहाने के लिए हर सुविधा दे रखी है। कुछ महिलाओं ने तो यहां तक कहा कि हरियाणा में उन्हें ऐसा सम्मान मिल रहा है जैसे ससुराल में दामाद को दिया जाता है। रहने खाने से लेकर पहनने को कपड़े तक दे रहे हैं।
मोबाइल ऐप पर आंदोलन के लिए मीटिंग करती हैं महिला किसान
आंदोलन में बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। आंदोलन में अपनी भूमिका पर बात करने के लिए महिलाएं मोबाइल ऐप के जरिए मीटिंग करती हैं। करीब 70 साल के एक बुजुर्ग कहते हैं कि पंजाब बड़ा भाई और हरियाणा छोटा है, दोनों साथ हैं तो सबक सिखा ही देंगे। एक बुजुर्ग ने कहा, जोश के साथ होश जरूरी है। ये भविष्य की लड़ाई है, सब्र से लड़ी जाएगी।
लखनऊः सपा के दो एमएलसी गिरफ्तार
लखनऊ में समाजवादी पार्टी के एमएलसी राजपाल कश्यप और आशु मलिक जब विक्रमादित्य मार्ग स्थित पार्टी दफ्तर जाने का प्रयास कर रहे थे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। राजपाल कश्यप ने इस पूछा कि पुलिस हमें क्यों रोक रही है? यह अघोषित इमरजेंसी है। आखिर अखिलेश जी को क्यों रोका जा रहा है?
संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार 12वें दिन भी जारी है। किसानों की मांग है कि तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए। इस आंदोलन को विपक्षी पार्टियों को समर्थन मिल रहा है। ऐसे में शिवसेना ने भी केंद्र सरकार को घेरा है। अपने मुखपत्र सामना में पार्टी ने कहा कि सरकार बातचीत के नाम पर सिर्फ टाइमपास कर रही है और टाइमपास का उपयोग आंदोलन में फूट डालने के लिए किया जा रहा है।
पार्टी ने सामने में लिखा, ‘दिल्ली में आंदोलनकारी किसान और केंद्र सरकार के बीच पांच दौर की चर्चा परिणाम रहित रही है। किसानों को सरकार के साथ चर्चा में बिल्कुल भी दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है। सरकार सिर्फ टाइमपास कर रही है और टाइमपास का उपयोग आंदोलन में फूट डालने के लिए किया जा रहा है। किसान आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा है कि ‘कृषि कानून रद्द करोगे या नहीं? हां या ना, इतना ही कहो!’ सरकार ने इस पर मौन साध रखा है। किसान 11 दिनों से ठंड में बैठे हैं।’
शिवसेना का कहना है कि केवल कृषि मंत्री किसानों से बात कर रहे हैं। सामना में लिखा, ‘सरकार ने किसानों के लिए चाय-पानी, भोजन का इंतजाम किया है। उसे नकारकर किसानों ने अपनी सख्ती को बरकरार रखा है। मूलरूप से किसानों को कह कौन रहा है तो कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर। उनके हाथ में क्या है? तोमर कहते हैं, ‘मोदी सरकार सत्ता में किसानों के हित के लिए ही काम कर रही है। इस सरकार के कारण किसानों का उत्पन्न भी बढ़ गया है।’ तोमर ऐसा भी कहते हैं कि, ‘एमएसपी’ जारी ही रहेगी। किसान चिंता न करें।’ परंतु तोमर का बोलना व डोलना निष्फल सिद्ध हो रहा है।’