TIO NEW DELHI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन की शुरुआत दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की। जनकपुरी पश्चिम से बॉटनिकल गार्डन तक मेट्रो की 37 किलोमीटर लंबी मैजेंटा लाइन पर ड्राइवरलेस मेट्रो की सुविधा शुरू की गई है। इससे मेट्रो के संचालन में इंसानी भूल की आशंका खत्म हो जाएगी।
मोदी ने कहा कि 3 साल पहले मैजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था। आज फिर इसी लाइन पर पूरी तरह से ऑटोमेटेड मेट्रो के उद्घाटन का सौभाग्य मिला। ये दिखाता है कि कैसे देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए याद किया कि उन्हें तीन साल पहले मजेंटा लाइन का उद्घाटन करने का मौका मिला और आज चालक रहित मेट्रो का उद्घाटन ये दिखाता है कि देश का विकास कितनी तेजी से हो रहा है।
आज का ये आयोजन अर्बन डेवलपमेंट को फ्यूचर रेडी कर रहा है।
भविष्य की जरूरतों के लिए खुद को और देश को तैयार करना हमारी प्राथमिकता है।
कुछ दशक पहले जब शहरीकरण का असर और शहरीकरण का भविष्य, दोनों ही बिल्कुल साफ था तो उस समय एक अलग ही रवैया देश ने देखा। भविष्य की जरुरतों को लेकर उतना ध्यान नहीं था, आधे-अधूरे मन से काम होता था, भ्रम की स्थिति बनी रहती थी।
इस सोच से अलग, आधुनिक सोच ये कहती है शहरीकरण को चुनौती ना मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम Ease of Living बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है।
2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। दिल्ली में मेट्रो की चर्चा बहुत वर्षों से चली। लेकिन पहली मेट्रो चली अटल जी के प्रयासों से।
2014 में देश में सिर्फ 248 किमी मेट्रो लाइन ऑपरेशनल थी। आज ये करीब तीन गुना यानी 700 किमी से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1,700 किमी तक करने का प्रयास कर रहे हैं।
आखिर कैसे इतना तेज काम हुआ क्योंकि हमने शहरीकरण को चुनौती नहीं अवसर के रूप में देखा था।
हमारी सरकार ने मेट्रो के संबंध में पॉलिसी भी बनाई और इसे चौतरफा रणनीति के रूप में लागू भी किया।
हमने जोर दिया स्थानीय मांग के हिसाब से काम करने पर, हमने जोर दिया स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने पर, हमने जोर दिया मेक इन इंडिया विस्तार पर, हमने जोर दिया आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग पर।
हमने ध्यान दिया कि मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल शहर के लोगों की जरुरतों और वहां की प्रोफेशनल लाइफस्टाइल के हिसाब से ही होना चाहिए। यही वजह है कि अलग-अलग शहरो में अलग अलग तरह की मेट्रो रेल पर काम हो रहा है।
वाटर मेट्रो भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का परिणाम है।
इस तरह की अलग-अलग तरह की मेट्रो से अलग-अलग क्षेत्रों में आखिरी इंसान तक मेट्रो पहुंच सकेगी।
मेट्रो प्रदूषण कम करने का भी बहुत बड़ा जरिया है।
मेक इन इंडिया से लागत कम होती है, देश के लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है।
भारत में बनने से 12 करोड़ से 8 करोड़ हुई कोच की लागत।
दर्जनों कंपनियां मेट्रो के कंपोनेंट के निर्माण में जुटी हुई हैं।
आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है और कॉम मोबिलिटी कार्ड इसके लिए एक बड़ा कदम है। इस एक कार्ड से आप पूरे देश में कहीं भी किसी भी यातायात के साधन से सफर कर सकेंगे।
मेट्रो में सफर करने वाले कार्ड की उपयोगिता अच्छे से जानते हैं और आज के समय में यात्रा करने के लिए समय नहीं गंवाया जा सकता इसलिए यह कार्ड उपयोगी है।
आज तमाम व्यवस्थाओं को एकजुट करके देश को आगे बढ़ाया जा रहा है। एक भारत श्रेष्ठ भारत की ओर यह बड़ा कदम है।
मेट्रो से जाम से मुक्ति मिली है।
वन नेशन वन टैक्स यानी जीएसटी से करों में आसानी हुई है।