राजबाड़ा 2️-रेसीडेंसी

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अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं कमलनाथ जो कहे या करे वह कम है। कारपोरेट शैली में सरकार चलाने वाले कमलनाथ पद पर रहते मैदान में जाने की बजाए वल्लभ भवन में बैठना ज्यादा पसंद करते थे। ‌ यही कारण है कि मुख्यमंत्री रहते हुए वे प्रदेश के कई जिला मुख्यालय तक भी नहीं पहुंच पाए। ‌ पिछले दिनों जब युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने के बाद विक्रांत भूरिया कमलनाथ से मिलने गए तो उन्होंने यह नेक सलाह दे डाली की विक्रांत स्वागत सत्कार के बजाय ब्लॉक स्तर पर जाकर संगठन को मजबूत करो। काश इस सलाह को खुद कमलनाथ अमल में ले आते तो मैदानी हकीकत जानने के बजाय कमरे मैं बैठकर ही फैसले लेने के एक बड़े आरोप से बच जाते।

 • सुमित्रा महाजन यानि ताई ने एक मुद्दे को हवा देकर सबका ध्यान तो खींच लिया है। जल्दी ही नगर निगम के चुनाव होना है और ताई बहुत बेबाकी से यह कह रही हैं कि राजनीतिक दल को इन चुनावों में उन लोगों को मौका देना चाहिए जो सबकी सुनने और सबको साथ लेकर चलने का माद्दा रखते हैं। आज के दौर की राजनीति मे शुचिता और सादगी की प्रतीक माने जाने वाली ताई यह कहने से भी नहीं चूक रही हैं कि भले ही मुझे रिटायर कर दिया गया हो लेकिन मैं इंदौर के लिए कभी रिटायर नहीं हुई हूं। इंदौर के लिए कभी भी कुछ करना होगा तो मैं हमेशा आगे रहूंगी।

 • मंत्रिमंडल में अपने दो सहयोगियों को शामिल करवाने में भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा हो लेकिन इस सबके बावजूदभारतीय जनता पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकप्रियता बढ़ रही है। 1 जनवरी को उनके जन्मदिन पर कोविड19 के कारण कोई जमावड़ा तो नहीं हुआ लेकिन सोशल मीडिया पर बीजेपी के खांटी नेताओं यहां तक कि संघ पृष्ठभूमि के नेताओं ने बढ़ चढ़कर सिंधिया को बधाईयां दीं। कुछ भी कहो नई पार्टी में उनका ग्लैमर तो दिखने लगा है।

• भारतीय जनता पार्टी में जिस तेजी से मंदसौर के सांसद सुधीर गुप्ता को मुकाम मिल रहा है उससे रतलाम के विधायक चेतन कश्यप का परेशान होना स्वाभाविक है। कश्यप खुद तो मंत्री बन नहीं पाए और जिन गुप्ता को उन्होंने सांसद बनवाने में अहम भूमिका अदा की थी वह दूसरी बार सांसद बनने के बाद अब भाजपा के राष्ट्रीय सहकोषाध्यक्ष होने के साथ ही गुजरात के सह प्रभारी भी हो गए हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि कई राष्ट्रीय नेताओं के खासमखास कश्यप को राष्ट्रीय तो दूर प्रदेश स्तर पर भी कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं मिल पाई है। इस सब से हिम्मत कोठारी भी बहुत खुश हो रहे होंगे।

 • महेश्वर में फिल्म सिटी कब आकार लेगी यह तो अभी कोई बताने की स्थिति में नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि जिस जमीन पर फिल्म सिटी प्रस्तावित है उसके आसपास बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई है। इसमें नई जानकारी यह है कि फिल्म सिटी का प्रोजेक्ट फाइनल होने के बाद कई आईएएस और आईपीएस अफसरों ने इसके आसपास जमीन खरीदना शुरू कर दिया है अब आप पता कीजिए की आखिर ये अफसर हैं कौन।

 • वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा किसी अधिकारी को हटाने की नोट शीट विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को भेजें और प्रमुख सचिव उसे यह लिखकर वापस लौटा दे कि किस ग्राउंड पर अफसर को हटाया जाए यह तो बताइए तो मंत्री का नाराज होना स्वभाविक है। बात मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी है। रस्तोगी इसके पहले भी मंत्री जी की कई नोटशीट पर सवाल खड़े कर चुकी है और ज्यादातर मौकों पर उनकी ही बात मानी गई है। जब आदिवासी विकास आयुक्त थी तब उन्होंने अपने ही प्रमुख सचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

 • लोकायुक्त और ई ओ डब्लू में सालों तक एसपी रह चुके अरुण मिश्रा कागजों पर कभी कमजोर नहीं रहते हैं। उनकी यही मजबूती इन दिनों सरकार में बैठे लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। चुनाव आयोग द्वारा मुख्य सचिव और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को तलब करने के सरकार का पत्र जिस स्वरुप में ई ओ डब्लू तक पहुंचा है उसे मिश्रा के तीखे तेवर का ही नतीजा बताया जा रहा है। यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि ई टेंडर मामले की जांच मिश्रा ही कर रहे थे और इसमें जो लोग शंका के घेरे में थे वे अब सरकार में बड़े पदों पर है। कनेक्शन आप ही जोड़ लीजिए।

 • कोरोना के कारण सरकारी अर्थतंत्र किस कदर गड़बड़ आया हुआ है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि बहुत ज्यादा खर्चा ना आने के बावजूद मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय कैलेंडर, अवकाश ,डायरी, नोटबुक आदि की छपाई बंद करते हुए उसके स्थान पर उसका डिजीटलाइजेशन करते हुए करते हुए एक एप ही लांच कर दिया है। पता नहीं कोरोना का असर और कहां-कहां देखने को मिलेगा।

चलते चलते

 • महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी की निलंबित अंजू मसीह किसकी लापरवाही के कारण बाहर हो गई यह पड़ताल का विषय है। उंगली भले ही पूर्व मंत्री इमरती देवी पर उठ रही हो लेकिन शंका के घेरे में है प्रमुख सचिव अशोक शाह और उप सचिव जगदीश जटिया।

 • आदिवासी वोट बैंक को संभाल कर रखने की कवायद में 6 जनवरी को कमलनाथ कांग्रेस के आदिवासी विधायकों से रूबरू हो रहे हैं। इस संबंध में चुनिंदा आदिवासी नेताओं को भी शामिल होने का मौका मिलेगा।