अस्पताल में जिंदा जले 10 नवजात, लापरवाही का जिम्मेदार कौन

0
288

महाराष्ट्र के भंडारा जिले के सरकारी अस्पताल में शनिवार तड़के आग लगने से 10 नवजातों की मौत हो गई। घटना सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (SNCU) में हुई। शुरुआती तौर पर यह घटना के लिए हॉस्पिटल प्रशासन जिम्मेदार नजर आता है। वॉर्ड में 17 बच्चे थे। 7 को बचा लिया गया।

यूनिट से सात शिशुओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जाहिर किया है। उन्होंने इसे हृदय विदारक हादसा करार दिया। उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस हादसे को दर्दनाक बताया। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि वह मृतकों और घायलों के परिजनों को हरसंभव मदद मुहैया कराएं।

अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी दुख जताया है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से इस हादसे को लेकर बातचीत की। साथ ही, मामले की जांच के आदेश दिए हैं।  उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। ईश्वर उन्हें यह असहनीय दुख सहने की शक्ति दे। 

बताया जा रहा है कि इन बच्चों में की उम्र एक दिन से लेकर तीन महीने तक थी। अस्पताल की एक लापरवाही ने इन बच्चों की जान ले ली। जानकारी के मुताबिक आईसीयू वार्ड में कुल 17 बच्चे मौजूद थे जिनमें से सात को ही बचाया जा सका। बताया जा रहा है कि ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने रात करीब दो बजे वार्ड का दरवाजा खोला तो अंदर धुआं ही धुआं था। उसने तुरंत अधिकारियों को इस बारे में बताया। इसके बाद मौके पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंची और आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक 10 मासूमों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। आग लगने की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। सूत्रों के मुताबिक, इसकी वजह शॉर्ट सर्किट हो सकती है। 

हॉस्पिटल की लापरवाही के सबूत

  • ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने कहा- रात 2 बजे सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट का दरवाजा खोला गया तो वहां धुआं था। साफ है कि वहां कोई स्टाफ नहीं था।
  • मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ बच्चों के शरीर काले पड़ गए थे। इसका मतलब ये है कि आग पहले लग चुकी थी। स्टाफ को पता ही नहीं चला।
  • सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में रात में एक डॉक्टर और 4 से 5 नर्सों की ड्यूटी रहती है। घटना के वक्त वे कहां थे?
  • आग की वजह शार्ट सर्किट बताई जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच का नियम है। फिर आग कैसे लग गई?
  • कुछ परिजनों का आरोप है कि उन्हें 10 दिन से बच्चों से मिलने नहीं दिया गया। नियम के मुताबिक, बच्चे की मां फीडिंग के लिए वहां जा सकती है।
  • वार्ड में स्मोक डिटेक्टर क्यों नहीं लगा था? इससे आग की जानकारी पहले मिल जाती और बच्चों की जान बच जाती।