शेर पर सवार शिवराज …

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राघवेंद्र सिंह

इन दिनों मध्य प्रदेश और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुर्ख़ियों में हैं। वे नौकरशाही के घोड़े की लगाम खीचते हुए अनयास ही शेर की सवारी करने लगे हैं। यह सुखदाई के साथ जोखिम भरी भी है। शेर की सवारी से उतरे तो शेर के शिकार होने का खतरा भी रहता है। मुख्यमंत्री में सख्ती के सुखद बदलाव से आमजन प्रसन्न है। अफसरों पर कठोरता के साथ नेताओं पर कसते शिकंजे ने शिवराजसिंह चौहान को अनायास ही सुशासन देने वाले मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल करा दिया है। अभी तक सख्ती और सुशासन में मामले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल और दिल्ली के अरविंद केजरीवाल भी अपने जनहितैषी निर्णयों के कारण पहले से ही कतार में हैं। बिहार के नीतीश बाबू भी नशाबन्दी जैसे बड़े फैसले के साथ सुशासन लिए खूब चर्चाओं में रहे हैं। मगर अब मामा शिवराज भी अघोषित रूप से इस सूची में टॉप फाइव की फेहरिस्त में आ गए लगते हैं।

सीएम की चौथी पारी में वे आत्मविश्वास और बेफिक्री से भरे हुए हैं। जननायक तो वे हैं लेकिन प्रशासन के मामले में वे थोड़े उदार और नरम दिल माने जाते रहे हैं। विरोधी उनकी इस रहमदिली को प्रशासनिक ढीलापन मान कर उनकी आलोचना करते रहे हैं। मगर चौथी बार के सीएम सत्ता की पिच पर आक्रमक बल्लेबाजी कर रहे हैं। उनमें परिवर्तन कुछ ऐसा ही है जैसे राहुल द्रविड़ और चेतेश्वर पुजारा जैसे छह बॉल में छह चौके जड़ने लगें।


मप्र में लव जिहाद के खिलाफ कानून, ड्रग माफिया के खिलाफ अभियान, बेटी बचाओ के बाद लापता बेटियों को खोजने की मुहिम, कानून व्यवस्था में लापरवाही, रेत की तस्करी के मामले में कलेक्टर-एसपी को हटाने की तुरत फुरत के फैसलों ने जनता में उम्मीद जगाई है कि इस बार शेर पर शिवराज कुछ शानदार करेंगे। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं पर कार्रवाई के निर्णयों ने अपने-पराए सबको चमका दिया है। वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के नक्शा विरुद्ध निर्माण पर नगर निगम के हथोड़े चलवा कर संकेत दे दिया है कि इस बार मामा ऐसई – वैसई नही सही में फार्म में हैं। इससे कुछ नेता अफसर खफा हो सकते हैं लेकिन अबकी बार शेर पर सवार शिवराज कहते हैं उन्हें प्रदेश के हित की चिंता है बस।


लव जिहाद और बेटियों के गायब होने के मसले पर वे बेहद संजीदा हैं। उनका कहना है धोखेबाजी से शादी के बाद बेटियों पर जुल्म होते हैं। बहला फुसलाकर गायब की गई छह हजार बेटियों के आंकड़ों ने उन्हें चिंता और गुस्से से भर दिया है। बेटियों की तलाश में उन्होंने पुलिस से अभियान शुरू कराया है और उसकी वे खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अब तक तीन हजार से अधिक बेटियों का पता लगाने के साथ उन्हें सुरक्षित हाथो में सौंपने के साथ परिवार से मिलाने की व्यवस्था की जा रही है। मामा इस बार जनता के लिहाज से अच्छे मुड में दिख रहे हैं। उनके भांजे- भांजियों के साथ आमजनता की यही ख्वाहिश है कि ये मूड बना रहे। वे किसी माफिया और सियासी प्रेशर में न आएं। तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का 1990 का कार्यकाल याद आ रहा है। उन्होंने अखण्ड मध्यप्रदेश में अतिक्रमण के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया था जिसकी प्रदेश के साथ देश प्रशंसा हुई थी। जिसमे तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर पूरे देश में बुलडोजर मंत्री के नाम से मशहूर हो गए थे और पटवा जी लोह पुरुष के साथ विकास पुरुष के रूप में जाने गए। बाद में मुख्यमंत्री बने बाबूलाल गौर को भी उनके विकास कार्यों के कारण लोह व विकास पुरुष की उपाधियों से नवाजे गए।

अब गठित होंगी भाजपा की जिला इकाइयां…
भाजपा संगठन अब जिला कार्यकारिणी का गठन करने की तरफ गम्भीर होता दिख रहा है। प्रदेश भाजपा ने इस आशय का पत्र जारी अपनी मंशा भी जता दी है। प्रदेश से इस काम के लिए नेताओं को जिलों में भेजा जा रहा है। विचार मंथन के बाद नाम तय होंगे और फिर सूची भोपाल में निरीक्षण परीक्षण के बाद घोषित की जाएगी। ऐसे प्रयोग भाजपा में कम ही देखे जाते हैं। अर्थात सूची जिला नेतृत्व के बजाए प्रदेश नेतृत्व तय कर करेगा।